विद्यालय में अच्छे निर्देशन सेवा संगठन के कार्य-निर्देशन का कार्य क्षेत्र बहुत ही व्यापक है, फिर भी इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है-
1. निर्देशन के शिक्षण संस्थानों के साथ जन-सामान्य को भी उन्मुख होना चाहिए।
2. संस्थान में प्रवेश नियम, प्रवेश शुल्क, परीक्षा आदि का कार्य भी निर्देशन संगठनों का है।
3. संस्थान के परपंराओं में संशोधन करना।
4. विद्यार्थियों का प्रगति विवरण एवं मूल्यांकन सम्बन्धी सूचनाएँ तथा अन्य विवरण को अभिलेख रूप में सुरक्षित रखना।
5. विद्यार्थियों का स्वास्थ्य सम्बन्धी परीक्षण कराना तथा आवश्यक सुझावों व सावधानिय के बारे में जानकारी उपलब्ध कराना, निर्देशन-सेवा का ही अंग है। इसका भी शिविर आदि माध्यम से निर्वहन करना चाहिए।
6. विद्यार्थियों में सामाजिक व पारिवारिक सामंजस्य को विकसित करके उनकी असमायोजन या कुसमायोजन जैसी समस्याओं का निराकरण करना।
7. निर्देशन सहकर्मियों का विद्यार्थियों के संवेगात्मक पक्ष को भी निर्देशन सेवा देने समय पूरी तरह ध्यान में रखना चाहिए।
8. प्रशासन-स्तरीय कठिनाइयों, छात्रावास सम्बन्धी व्यवस्थाओं को भी निर्देशन सेवा में सम्मिलित किया जाना चाहिए।
9. पाठ्येत्तर क्रियाकलापों में विद्यार्थियों को प्रेरित करना तथा विद्यार्थियों की आवश्यकताओं व अभिरुचियों के अनुकूल खेल-कूद, भाषण, सम्मेलन तथा प्रतियोगिताओं का आयोजन करना भी व्यक्तित्व विकास का एक आवश्यक पहलू मानकर निर्देशन सेवा में जोड़ना चाहिए।
10. शिक्षण सम्बन्धी होने वाली कमियाँ, दोष तथा उनके कारणों का पता लगाकर उनका निराकरण व विश्लेषण करना।
11. आवश्यकतानुसार विद्यार्थियों के लिए निदानात्मक शिक्षण-प्रशिक्षण की व्यवस्था भी करना, निर्देशन सेवा की सार्थकता के लिए आवश्यक हो जाता है।
12. आर्थिक रूप से वंचन झेल रहे विद्यार्थियों के लिए आर्थिक स्रोतों की सूचनाएँ देना तथा उन विद्यार्थियों को अंशकालिक नियोजन (Placement) तथा सहायता प्रदान करना।
निर्देशन कार्यक्रम को क्रियान्वित करने में मुख्य रूप से तीन संगठनों का उपयोग किया जा सकता है। इन तीनों संगठनों में से प्रशासनिक अधिकारी विद्यार्थियों व संस्थान की आवश्यकता या निर्देशन लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए किसी एक संगठन प्रारूपता चयन करके निर्देशन कार्यक्रम का कार्यान्वयन कर सकते हैं। इन संगठनों के तीन प्रकार निम्नवत् हो सकते हैं-
(i) रेखा संगठन (Line Organization)-
इस संगठन में अधिकार क्रम का स्तरीकरण रहता है जो कि प्रशासनिक अधिकारी (निरीक्षक या अधीक्षक) से विद्यार्थी (नीचे) की ओर चलता है। अतः इस प्रकार के संगठन में अधिकार की दृष्टि से प्रशासनिक अधिकारी सबसे ऊपर होता है।
(ii) कर्मचारी संगठन (Staff Organization)-
इसमें प्रशासनिक अधिकारी सम्बद्ध अधिकारों का कर्मचारियों तथा शीर्ष अधिकारियों को उनके उत्तरदायित्व के रूप में उनको सौंपता है। इस संगठन प्रारूप का एक बड़ा लाभ यह होता है कि प्रत्येक वर्ग के कर्मचारी अपने-अपने कार्यों में विशेष रूप से कुशलता प्राप्त कर लेते हैं।
(iii) रेखा-कर्मचारी मिश्रित संगठन (Line & Staff Combined Organization)-
संगठन का यह प्रारूप रेखा संगठन तथा कर्मचारी संगठन का मिश्रित (mixed or combined) रूप होता है।
विद्यालय में अच्छे निर्देशन सेवा संगठन की विशेषता-
विद्यालयों में अच्छी निर्देशन सेवा का मुख्य उद्देश्य समायोजन में सहायता करना है। यहाँ पर यह एक सौद्देश्य प्रक्रिया होती है। बिना निर्देशन के विद्यालय की कोई भी क्रिया पूर्णता को प्राप्त नहीं कर सकती। इसके मुख्य विशेषताओं का वर्णन निम्नलिखित है-
1. निर्देशन सेवाएँ सभी छात्रों को उपलब्ध होनी चाहिये।
2. विद्यालय के समस्त कर्मचारियों को निर्देशन सेवा के संगठन में सहयोग करना चाहिये। व्यवस्थित निर्देशन का उत्तरदायित्व प्रशिक्षित और अनुभवी कर्मचारियों का होना चाहिये।
3.निर्देशन संगठन छात्र केन्द्रित होना चाहिये। तभी छात्र को स्वयं की योजनाओं का नर्माण करने, कार्यान्वित करने तथा सफलता प्राप्त करने में निर्देशन सहायक हो सकता है।
4.निर्देशन संगठन को जनतंत्रात्मक बनाने के उद्देश्य से निर्देशन प्राप्त करने वाले व्यक्ति को ही अन्तिम निर्णय लेने के लिये स्वतंत्र रखा जाये।
5. निर्देशन संगठन को निर्देशन के लिये आवश्यक उचित और पर्याप्त सामग्री निर्देशन कर्मचारियों को उपलब्ध करवानी चाहिये।
6. अच्छा निर्देशन संगठन वह है जो शिक्षित, प्रशिक्षित और अनुभवी व्यक्तियों का निर्देशन कार्य के लिये चयन करता है और उनको अपनी योग्यता बढ़ाने के अवसर देता है।
7. अच्छे निर्देशन संगठन में गोपनीयता पर अधिक ध्यान दिया जाता है। छात्रों से सम्बन्धित गोपनीय सूचनाएँ परामर्शदाता के अधिकार में हों और उन तक किसी की पहुँच न सके।
8. निर्देशन संगठन तथा उसके कार्यों को व्यवस्थित रूप में संचालित करने के उद्देश्य से विद्यालय बजट में से निर्देशन को पर्याप्त धन मिलना चाहिये।
9. निर्देशन संगठन को व्यवस्थित रूप से संचालित करने के लिये विद्यालय भवन में उसको पर्याप्त स्थान मिलना चाहिये।
10. एक अच्छे निर्देशन संगठन को समाज की अन्य एजेंसियों से सम्पर्क साधकर उनका सहयोग प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिये।
11. निर्देशन में संलग्न शिक्षकों तथा अन्य कर्मचारियों को निर्देशन कार्य के लिये पर्याप्त समय उपलब्ध करवाने का समयचक्र में प्रावधान होना चाहिये।
इसे भी पढ़े ….
- विद्यालय निर्देशन सेवा संगठन सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- विद्यालय निर्देशन सेवा संगठन के क्षेत्र का विस्तार में वर्णन कीजिए।
- विद्यालय में निर्देशन प्रक्रिया एवं कार्यक्रम संगठन का विश्लेषण कीजिए।
- परामर्श और निर्देशन में अंतर
- विद्यालय निर्देशन सेवाओं के संगठन के आधार अथवा मूल तत्त्व
- निर्देशन प्रोग्राम | निर्देशन कार्य-विधि या विद्यालय निर्देशन सेवा का संगठन
- विद्यालय निर्देशन सेवा संगठन का अर्थ, परिभाषा, आवश्यकता एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- निर्देशन का अर्थ, परिभाषा, तथा प्रकृति
- विद्यालय में निर्देशन सेवाओं के लिए सूचनाओं के प्रकार बताइए|
- वर्तमान भारत में निर्देशन सेवाओं की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- निर्देशन का क्षेत्र और आवश्यकता
- शैक्षिक दृष्टिकोण से निर्देशन का महत्व
- व्यक्तिगत निर्देशन (Personal Guidance) क्या हैं?
- व्यावसायिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? व्यावसायिक निर्देशन की परिभाषा दीजिए।
- वृत्तिक सम्मेलन का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसकी क्रिया विधि का वर्णन कीजिए।
- व्यावसायिक निर्देशन की आवश्कता | Needs of Vocational Guidance in Education
- शैक्षिक निर्देशन के स्तर | Different Levels of Educational Guidance in Hindi
- शैक्षिक निर्देशन के उद्देश्य एवं आवश्यकता |
- शैक्षिक निर्देशन का अर्थ एवं परिभाषा | क्षेत्र के आधार पर निर्देशन के प्रकार
- शिक्षण की विधियाँ – Methods of Teaching in Hindi
- शिक्षण प्रतिमान क्या है ? What is The Teaching Model in Hindi ?
- निरीक्षित अध्ययन विधि | Supervised Study Method in Hindi
- स्रोत विधि क्या है ? स्रोत विधि के गुण तथा दोष अथवा सीमाएँ
- समाजीकृत अभिव्यक्ति विधि /समाजमिति विधि | Socialized Recitation Method in Hindi
- योजना विधि अथवा प्रोजेक्ट विधि | Project Method in Hindi
- व्याख्यान विधि अथवा भाषण विधि | Lecture Method of Teaching