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मानवाधिकार का अर्थ Meaning of Human rights in Hindi

मानवाधिकार का अर्थ Meaning of Human rights in Hindi
मानवाधिकार का अर्थ Meaning of Human rights in Hindi

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मानवाधिकार का अर्थ Meaning of Human rights in Hindi

मानवाधिकार का अर्थ Meaning of Human rights in Hindi – मानव के अधिकारों व उनके महत्व को मानव समाज में प्राचीन काल से ही मान्यता मिली है। ये अधिकार मानवीय जीवन शैली से इस तरह जुड़े हैं कि इनके अभाव में मनुष्य न तो अपने व्यक्तित्व का विकास कर पाता है और न ही समाज के किसी कार्य में सहयोग कर सकता है। यह तथ्य सर्वविदित है कि बिना अधिकारों के मनुष्य का जीवन निरर्थक है। समाज के साथ-साथ राज्य भी यह चाहते हैं कि मनुष्य को उसके प्रकृति-प्रदत्त अधिकार प्राप्त हों तथा वे राज्य के विकास में अपना योगदान दे सकें।

मानव अधिकारों के बारे में मनुष्य समाज का वर्तमान भाग द्वितीय विश्व युद्ध के पहले से ही सचेत था। मानवाधिकारों की घोषणा सबसे पहले अमेरिका तथा फ्रांस की क्रान्तियों के बाद हुई। 1941 ईए में अमेरिकी कांग्रेस में तत्कालीन अमेरिका के राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने मनुष्य के चार स्वतंत्र अधिकारों के बारे में बताया –

1. भाषण तथा अपने विचार को व्यक्त करने का अधिकार |

2. धर्म तथा विश्वास का अधिकार ।

3. अभाव से मुक्ति का अधिकार

4. भय से मुक्ति का अधिकार।

उन्होंने कहा कि ये अधिकार मनुष्य मात्र के लिए हैं जो विश्व के प्रत्येक मानव को हर स्थिति में प्राप्त होने चाहिए। अटलाण्टिक चार्टर से लेकर द्वितीय महायुद्ध समाप्त होने से पहले तक अनेक सम्मेलन हुए जिनमें मित्र राष्ट्रों के द्वारा मानवीय अधिकार तथा आधारभूत स्वतन्त्रताओं पर विशेष बल दिया गया। विश्व में शान्ति तथा सुरक्षा को बनाये रखने के लिए 1944 ईए में एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना के साथ-साथ यह भी कहा गया था कि मानव अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए कुछ बुनियादी उद्देश्य भी स्वीकार किये जायें।

प्रत्येक को शिक्षा पाने का अधिकार है जो प्रारम्भिक तथा मौलिक अवस्था में निःशुल्क होगी। प्रारम्भिक शिक्षा अनिवार्य होगी। तकनीकी, व्यावसायिक या अन्य प्रकार की शिक्षा की सामान्य
उपलब्धि की व्यवस्था की जायेगी तथा योग्यता के आधार पर उच्च शिक्षा सभी समान रूप से प्राप्त कर पायेंगे। शिक्षा का लक्ष्य मानव व्यक्तित्व का पूर्ण विकास और मानवाधिकारों एवं मौलिक स्वतंत्रताओं की प्रतिष्ठा बढ़ाना होगा। प्रत्येक व्यक्ति को समाज के सांस्कृतिक जीवन में स्वतंत्रतापूर्वक भाग लेने तथा कलाओं का आनन्द लेने तथा वैधानिक विकास से लाभान्वित होने का अधिकार प्राप्त है।

इस प्रकार संयुक्त राष्ट्र का घोषणा-पत्र मानव अधिकारों की प्रत्येक सीमा व क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए अपनी नैतिक जिम्मेदारी की पवित्र भावना के साथ प्रगति की राह पर अग्रसर है।

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