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शैक्षिक अवसरों की समानता का अर्थ Meaning of Equality of Educational Opportunity in Hindi

शैक्षिक अवसरों की समानता का अर्थ Meaning of Equality of Educational Opportunity in Hindi
शैक्षिक अवसरों की समानता का अर्थ Meaning of Equality of Educational Opportunity in Hindi

शैक्षिक अवसरों की समानता का अर्थ (Meaning of Equality of Educational Opportunity)

शैक्षिक अवसरों की समानता का अर्थ Equality of Educational Opportunity in Hindi – समानता शब्द से तात्पर्य उन समान परिस्थितियों से है जिनमें सभी व्यक्तियों को विकास के समान अवसर प्राप्त हो सकें। शैक्षिक अवसरों की समानता का तात्पर्य सभी के लिए एक समान शिक्षा नहीं है, बल्कि प्रत्येक बालक को शारीरिक, मानसिक, सांवेगिक नैतिक परिस्थितियों के अनुरूप शिक्षा प्रदान करना है। इसका तात्पर्य राज्य द्वारा व्यक्तियों की शिक्षा के सन्दर्भ में जाति, रूप, रंग प्रान्तीयता व भाषा, धर्म आदि के मध्य भेदभाव न करने से भी है।

इसके अर्थ को प्रकट करने हेतु निम्नलिखित परिभाषाएँ प्रस्तुत की गयी हैं जो इस प्रकार से हैं

(1) प्रो. लास्की के शब्दों में, “समानता का अर्थ यह नहीं है कि प्रत्येक व्यक्ति के साथ एक जैसा व्यवहार किया जाये अथवा सभी को समान वेतन दिया जाए। यदि एक पत्थर ढोने वाले का वेतन एक प्रसिद्ध गणितज्ञ व वैज्ञानिक के समान कर दिया जाये तो इससे समाज का उद्देश्य ही नष्ट हो जायेगा। अतः समानता का अर्थ यह है कि विशेष अधिकार वाला वर्ग न रहे और सबको उन्नति के समान अवसर मिले।”

(2) यू. एन. डिक्लरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स (U. N. Declaration of Human Rights) के अनुसार, “प्रत्येक व्यक्ति इस घोषणा से उद्धृत धारा 2 – मूल अधिकारों व स्वतन्त्रता का हकदार है। अतः उन्हें जाति, भाषा, धर्म, रंग, लिंग, राजनीति मतों द्वारा पृथक्-पृथक् नहीं किया जा सकता है।”

धारा 1 के अनुसार – “सभी व्यक्ति जन्म से स्वतन्त्र हैं। अत: वे सम्मानजनक व समान अधिकारों के हकदार हैं वे सभी तर्क व चेतना से अभिपूरित हैं तथा उन्हें परस्पर एक-दूसरे के प्रति भाई-चारे की भावना के साथ कार्य करना चाहिए।”

उपरोक्त विश्वव्यापी आन्दोलनों से भारतीय संविधान भी प्रभावित है। संविधान के क्रियान्वयन के साथ ही सन् 1950 ई. में भारत में सभी के लिए अनिवार्य शिक्षा की घोषणा कर दी गयी है। इन्हीं समानताओं को लक्ष्य मानकर शिक्षा को राष्ट्र की आर्थिक, सामाजिक, नैतिक, सांस्कृतिक प्रगति का मार्ग माना गया है। इसकी प्रगति के लिए सुव्यवस्था व सुनिश्चित समान अवसरों को जुटाया गया है।

शिक्षा के क्षेत्र में समानता की अवधारणा को स्थापित करने के लिए निम्न प्रयास किए गए –

(1) उच्च स्तर पर सभी के लिए अपेक्षित शैक्षिक उन्नति की व्यवस्था ताकि वे उचित योगदान देने में सक्षम हो सके।

(2) एक निश्चित अवधि व भेद-भाव रहित निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था।

(3) माध्यमिक स्तर पर विभिन्नकृत पाठ्यक्रम व्यवस्था।

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