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ध्वनि प्रदूषण का अर्थ | Meaning of Sound Pollution

ध्वनि प्रदूषण का अर्थ
ध्वनि प्रदूषण का अर्थ

ध्वनि प्रदूषण
Sound Pollution

विकास के इस युग में अन्य प्रदूषणों की भाँति ध्वनि प्रदूषण ने भी एक गम्भीर समस्या का रूप धारण कर लिया है। ग्रामों की अपेक्षा कस्बों, नगरों एवं महानगरों में ध्वनि की समस्या ने विकराल रूप ले लिया है। विकसित एवं विकासशील देशों के नगरों तथा महानगरों में शान्ति पूर्वक जीवन व्यतीत करना कठिन होता रहा है। सड़कों पर परिवहन के विभिन्न साधनों; जैसे- रेल, ट्रक, बस, मोटर कार, स्कूटर, बाइक आदि के इन्जन एवं टायरों की चरमराहट तथा इनके हॉर्न की आवाज इतना अधिक शोर उत्पन्न करते हैं कि सामान्यत: सुनने में अधिक कठिनाई होती है। तेज गति के विमानों, सुपरक्राफ्ट, रेलगाड़ियों तथा कारवां की भाँति चलने वाले सड़क वाहनों एवं उनके शोर करते तीखे हॉर्न, कल-कारखानों में लगी विभिन्न प्रकार की मशीनों, टेलीफोन की घण्टियों, बैण्ड-बाजों, लाउडस्पीकरों, नगरों की तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या ने शोर (ध्वनि) का विलक्षण वातावरण उत्पन्न कर दिया है। हमारे चारों ओर के पर्यावरण में गूंजने वाली विभिन्न प्रकार की ध्वनियाँ हमारी आधुनिक सभ्यता की देन हैं। ऐसा लगता है कि शान्तिपूर्ण वातावरण मिलना आज के विकसित नगरों में बड़ा ही कठिन है।

वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास से जहाँ भौतिक सुख-साधनों में वृद्धि हुई है वहीं दूसरी और कल-कारखानों, परिवहन एवं मनोरंजन के विभिन्न साधनों ने ध्वनि या शोर प्रदूषण की समस्या को जन्म दिया है। यह तकनीकी विज्ञान में प्रगति का परिणाम है। वास्तव में निरन्तर शोर एक उत्पीड़न है जिसका मनुष्य की भावुक एवं बौद्धिक अवस्था पर कुप्रभाव पड़ता है। इससे स्मृति कम हो जाती है, मन एकाग्र नहीं हो पाता। अकस्मात् अथवा रुक-रुककर होने वाला शोर निरन्तर होने वाले शोर से अधिक हानिकारक होता है।

ध्वनि एक विशेष प्रकार की दाब तरंग है जिसका संचारण प्रायः वायु द्वारा होता है। किसी वस्तु से उत्पन्न आवाज जब कानों की सहज सीमा से अधिक हो जाती है तो वह अप्रिय लगने लगती है। इसे शोर या अधिक ऊँची आवाज कहते हैं। दूसरे शब्दों में अवांछित आवाज जिससे मानव के कानों में दर्द या कष्ट का अनुभव होता हो ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। ध्वनि का मापन डेसीबल में किया जाता है। उच्च तीव्रता वाली ध्वनि को अवांछित आवाज कहते हैं।

 

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