Pleasures by Aldous Huxley Summary In Hindi
Pleasures by Aldous Huxley Summary In Hindi – आधुनिक युग में जनता के लिए मनोरंजन के साधनों को संगठनों द्वारा उपलब्ध कराया जाने लगा है। हर क्षेत्र में जनसाधारण को आनंदित करने के लिए खेलकूद, क्रिकेट, मुक्केबाजी, नाटकों, सिनेमा आदि की व्यवस्था की जा रही है। लेखक के मत इस प्रकार के आयोजित मनोरंजन सभ्यता के लिए जर्मन यौद्धिकता से अधिक खतरनाक हैं। युद्ध और अन्य अनेक प्रकार के खतरों से सभ्यता बच गई है लेकिन ‘मनोरंजन’ के खतरे से नहीं उबर सकेगी।
सभ्यता का सबसे बड़ा खतरा आन्तरिक है। ये खतरे हमारे मन को प्रभावित करते हैं। जबकि अन्य खतरे हमारे शरीर को प्रभावित करते हैं। आयोजित मनोरंजन जनसाधारण के लिए प्रस्तुत किये जाते हैं। ये आयोजित आनंद कठिन उबाऊ मजदूरी से भी घातक हैं। आज के यांत्रिक उत्पादन ने श्रमिक का काम काफी नीरस कर दिया है अब उसे चीजें बनाने का सुख नहीं मिलता। वह उसे मशीनों द्वारा बनाये जाते देखता है। वह मशीनों की सेवा करता है, चीजें बनाता नहीं। नीरस काम के बाद उतना ही एकरस उबाऊ मनोरंजन जीवन का सारा मजा ही किरकिरा कर देते हैं। ऐसे आनन्द की अपेक्षा लेखक आठ घंटे आफिस का कठोर काम करना पसंद करेगा। उसे साल भर में दस लाख शब्द पत्रकारिता के लिखना उतना अप्रिय नहीं लगेगा।
आज के मनोरंजन में मनुष्य मात्र दर्शक बनकर रह गया है, उसका सहभागी नहीं वह स्वयं न खेल कर दूसरों का खेल देखकर प्रसन्न होता है। प्राचीन काल में हमारे पूर्वज अपना मनोरंजन स्वयं करते थे। अपने खेल, गाने, उनकी धुनें अपने नृत्य स्वयं बनाते गाते और नाचते थे। सोलहवीं शताब्दी में इंग्लैण्ड में लोग शेक्सपियर के नाटकों को समझते थे और उनका आनंद लेने के लिए बौद्धिक प्रयास करते थे। उस युग में शिक्षित लोग गाना बना लेते थे। नृत्य में भी विविधता और व्यक्तिगत विशेषता परिलक्षित होती थी। उनके मनोरंजन बौद्धिक और जीवन्त होते थे। वे उनके निर्माता थे और उनमें भाग लेते थे। वे अपना मनोरंजन स्वयं करते थे।
आज यह सब बदल गया है। वे आनंद के निष्क्रिय अकर्मण्य ग्राहक या दर्शक मात्र रह गये हैं। जैसे उपभोग की अनेक वस्तुओं का निर्माण फैक्टरियों में किया जा रहा है वैसे ही आनन्द को विशाल स्तर पर गढ़ा जा रहा है। आज के फिल्म के दृश्य लेखक का आविष्कार अमरीका के फिल्म नगर लॉस ऐन्जिलीस से सारी दुनिया में प्रसारित किया जाता है। लाखों-लाखों लोग एक ही प्रकार की गुनगुना निरर्थक बकवास सुनते और देखते हैं। इससे मनोरंजन में विविधता समाप्त हो गयी है। इनमें किसी प्रकार का मानसिक और शारीरिक श्रम अपेक्षित नहीं होता। बस बैठकर आँखे खुली रखनी होती है।
यही बात साहित्य के लिए भी सच है। अब अखबारों द्वारा सस्ते साहित्य का प्राविधान होने लगा है। साहित्य की इन झलकियों और कतरनों को पाठक बिना ध्यान के शीघ्रता से पढ़ता है। समझने का प्रयास भी नहीं करता। जो आसानी से समझ ले वह काफी है। अखबारों पर आंखे एक सुर्सी से दूसरी पर फिसलती है। एक स्तंभ के ऊपर से नीचे सरकती है, आँखे चलती हैं, दिमाग स्थिर और निष्क्रिय रहता है। इसी प्रकार खेल खेलते बहुत कम लोग हैं, उन्हें देखते बहुत अधिक लोग हैं उनके बारे में सुनकर ही असंख्य लोग प्रसन्न हो जाते हैं। यही हाल नाचते, गाने की भी हो गई है उमें भी विविधता और सहभागिता का अभाव होता जा रहा है। क्षेत्रीय रंग और विशिष्टता समाप्त होती है जा रही है।
ये निष्क्रिय मनोरंजन सारे संसार में अब एक जैसे हो गये हैं ये जर्मनी से बड़े खतरे हैं। यंत्रवत काम और यांत्रिक-मनोरंजन आदमी की आत्मा की सर्जक शक्ति को नष्ट कर रहे हैं। वे ऐसा जहर पैदा कर रहे हैं जो हमारी आत्मा को ही मार डालेगा। हमारी आत्मा धीरे-धीरे कुंठित और जड़ हो जायगी और एकरसता से क्लान्त और खिन्न होकर मर जायेगी।
इस प्रकार के मनोरंजन से खिन्न और उचाट मन वाले लोगों को आनंदित करने के लिए अधिक उत्तेजनाप्रद दृश्यों का आयोजन करना होगा। इस प्रकार की मनःस्थिति सभ्यता के विनाश का लक्षण है। रोमन सभ्यता के अपकर्ष के समय वे लोग भी इसी प्रकार के क्रूरतापूर्ण लोमहर्षक दृश्यों को देखना चाहते थे जैसे साँड़ और आदमी की लड़ाई, तनी रस्सी पर चलना आदि। आधुनिक सभ्यता भी इसी अवस्था में पहुंच रही है जहाँ लोगों की खिन्नता और उचाटपन को तोड़ने के लिए अत्यधिक क्रूरता और हिंसापूर्ण उत्तेजक मनोरंजनों को आवश्यकता पड़ेगी।
Pleasures by Aldous Huxley Summary of the Essay In English
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