ध्वनि प्रदूषण के स्रोत (Sources of sound pollution)
ध्वनि प्रदूषण के स्रोत को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है-
(अ) प्राकृतिक स्रोत- इसके अन्तर्गत वे ध्वनियाँ सम्मिलित हैं जिनका निर्गम प्राकृतिक रूप से होता है। इनके द्वारा उत्पन्न ध्वनियाँ अनियमित होती हैं और मानव पर उनका प्रभाव क्षणिक होता है। कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-
- बादलों की गर्जना।
- विद्युत की गर्जना ।
- तीव्र तूफानी पवनें।
- भयंकर तूफान।
- भयंकर जलवृष्टि।
- उच्च पर्वतों से गिरते जल की ध्वनि।
- भूकम्प।
- ज्वार-भाटा।
- ज्वालामुखी का प्रस्फुटन।
- दावालन का भयंकर प्रकोप आदि।
(ब) कृत्रिम स्त्रोत- अत्यधिक भौतिक विकास ने मानव जीवन में कृत्रिमता उत्पन्न कर दी है जिसके कारण ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती जा रही है। ध्वनि प्रदूषण के कृत्रिम स्रोतों को निम्नलिखित तीन उपविभागों में विभाजित किया जा सकता है-
1. उद्योग-धन्धे एवं मशीनें- आधुनिक काल में विभिन्न देशों के औद्योगीकरण की तीव्रता ने कल-कारखानों, मिलों एवं उद्योगों में दैत्याकार मशीनें एवं यन्त्र-उपकरण लगाये जाने को प्रेरित किया है जिनसे अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण होता है। उद्योग-धन्धों से उत्पन्न प्रदूषित ध्वनि स्थायी प्रकृति की होती है जिससे उनमें कार्यरत श्रमिक एवं अन्य व्यक्ति निरन्तर प्रभावित होते रहते हैं। यह प्रदूषित ध्वनि क्षणिक न होने के कारण अधिक घातक है। श्रमिकों को कम सुनायी पड़ता है तथा उनका स्वास्थ्य एवं मानसिक स्तर प्रभावित होता है। इसके अतिरिक्त भवन निर्माण, पुल एवं बाँध निर्माण तथा अन्य अनेक निर्माण कार्यों में लगी मशीनें एवं यन्त्र निरन्तर ध्वनि प्रदूषण करते हैं।
2. परिवहन के साधन- ध्वनि प्रदूषण के परिवहन के साधनों का अध्ययन निम्नलिखित तीन स्रोतों के आधार पर किया जा सकता है-
(i) स्थल परिवहन- स्थल परिवहन के साधनों द्वारा उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण अन्य साधनों की अपेक्षा अधिक प्रभावकारी, विस्तृत एवं स्थायी होता है। सड़कों पर चलने वाले विभिन्न साधनों में बस, ट्रक, ट्रैक्टर, मोटर कार, बाइक, स्कूटर तथा रेलमार्गों पर चलने वाली रेलगाड़ियाँ प्रमुख हैं। इनसे 100 डेसीबल से भी अधिक का शोर होता है। विकास की इस औद्योगिक युग में व्यक्तिगत परिवहन साधनों का प्रयोग इतना अधिक बढ़ गया है कि उनको ध्वनि प्रदूषण की विकट समस्या उत्पन्न होती जा रही है।
(ii) वायु परिवहन- वायुपत्तनों के निकट निवास करने वाले व्यक्तियों को वायुयानों के उड़ान भरने तथा उतरने के समय तीव्र ध्वनि का सामना निरन्तर करना पड़ता है। जेट विमानों से भी अधिक गति वाले सुपरसोनिक विमानों का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। इन विमानों की आवाज भी कई गुना अधिक होती है तथा वायुमण्डल में 150 से 180 डेसीबल की ध्वनि पहुँच जाती है। वैज्ञानिकों के अनुसार 150 डेसीबल से शीघ्र बहरापन, 100 डेसीबल से शरीर में जलन तथा 180 डेसीबल से मृत्यु तक सम्भव है। युद्ध के समय टैंक, तोप तथा युद्धक विमान आदि ऐसे ध्वनि प्रसारक हैं जो विमान से भी कहीं अधिक ध्वनि उत्पन्न करते हैं और ध्वनि प्रदूषण का वाहक बनते हैं।
(iii) जल परिवहन- जल परिवहन भी ध्वनि प्रदूषण के लिये उत्तरदायी हैं। यद्यपि इनके द्वारा उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण परिवहन के अन्य साधनों की अपेक्षा कम प्रभावशाली होता है क्योंकि मानव आवास इतने दूर होते हैं परन्तु यात्री इस प्रदूषण से प्रभावित होते हैं।
3. मनोरंजन के साधन एवं सामाजिक क्रियाकलाप- मनोरंजन के विभिन्न साधनों; जैसे-सिनेमा, थियेटर, सर्कस, रेडियो, टेलिविजन, ग्रामाफोन, लाउडस्पीकर, डिस्को-डांस, स्पीकर, स्टीरिया आदि द्वारा तीव्र एवं प्रचण्ड ध्वनि निकलती है जिससे ध्वनि प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
हमारे देश में सामाजिक उत्सवों एवं धार्मित स्थलों पर लाउडस्पीकारों द्वारा कर्कश आवाज में संगीत एवं भजन प्रसारित करना अत्यधिक प्रचलित है। इसके अतिरिक्त विवाहोत्सव तथा विभिन्न त्यौहारों पर तीव्र संगीत प्रसारित किये जाते हैं, आतिशबाजी एवं पटाखे चलाये जाते हैं। इनके द्वारा उत्पन्न ध्वनि तीव्र एवं कष्टदायक होती है। चुनाव, हड़ताल, विज्ञापनों एवं अन्य अवसरों पर भी लाउडस्पीकरों के माध्यम से तीव्र आवाज में भाषण एवं नारेबाजी से भी ध्वनि प्रदूषित उत्पन्न होता है।
Important Links
- जलवायु परिवर्तन या हरित गृह प्रभाव | Climate Changing or Green House Effect
- भूमण्डलीय ताप वृद्धि ( ग्लोबल वार्मिंग ) का अर्थ, कारण, हानियाँ, तथा इसके बचाव
- लिंग संवेदनशीलता की विशेषताएँ | Characteristics of Gender Sensitization
- लिंग संवेदनशीलता की अवधारणा | Concept of Gender Sensitization
- लैगिंक असमानता क्या है ? | Sexual Difference – In Hindi
- भूमण्डलीकरण या वैश्वीकरण का अर्थ तथा परिभाषा | Meaning & Definition of Globlisation
- वैश्वीकरण के लाभ | Merits of Globlisation
- भूमण्डलीकरण या वैश्वीकरण का अर्थ तथा परिभाषा | Meaning & Definition of Globlisation
- वैश्वीकरण के लाभ | Merits of Globlisation
- वैश्वीकरण की आवश्यकता क्यों हुई?
- जनसंचार माध्यमों की बढ़ती भूमिका एवं समाज पर प्रभाव | Role of Communication Means
- सामाजिक अभिरुचि को परिवर्तित करने के उपाय | Measures to Changing of Social Concern
- जनसंचार के माध्यम | Media of Mass Communication
- पारस्परिक सौहार्द्र एवं समरसता की आवश्यकता एवं महत्त्व |Communal Rapport and Equanimity
- पारस्परिक सौहार्द्र एवं समरसता में बाधाएँ | Obstacles in Communal Rapport and Equanimity
- प्रधानाचार्य के आवश्यक प्रबन्ध कौशल | Essential Management Skills of Headmaster
- विद्यालय पुस्तकालय के प्रकार एवं आवश्यकता | Types & importance of school library- in Hindi
- पुस्तकालय की अवधारणा, महत्व एवं कार्य | Concept, Importance & functions of library- in Hindi
- छात्रालयाध्यक्ष के कर्तव्य (Duties of Hostel warden)- in Hindi
- विद्यालय छात्रालयाध्यक्ष (School warden) – अर्थ एवं उसके गुण in Hindi
- विद्यालय छात्रावास का अर्थ एवं छात्रावास भवन का विकास- in Hindi
- विद्यालय के मूलभूत उपकरण, प्रकार एवं रखरखाव |basic school equipment, types & maintenance
- विद्यालय भवन का अर्थ तथा इसकी विशेषताएँ |Meaning & characteristics of School-Building
- समय-सारणी का अर्थ, लाभ, सावधानियाँ, कठिनाइयाँ, प्रकार तथा उद्देश्य -in Hindi
- समय – सारणी का महत्व एवं सिद्धांत | Importance & principles of time table in Hindi
- विद्यालय वातावरण का अर्थ:-
- विद्यालय के विकास में एक अच्छे प्रबन्धतन्त्र की भूमिका बताइए- in Hindi
- शैक्षिक संगठन के प्रमुख सिद्धान्त | शैक्षिक प्रबन्धन एवं शैक्षिक संगठन में अन्तर- in Hindi
- वातावरण का स्कूल प्रदर्शन पर प्रभाव | Effects of Environment on school performance – in Hindi
- विद्यालय वातावरण को प्रभावित करने वाले कारक | Factors Affecting School Environment – in Hindi
- प्रबन्धतन्त्र का अर्थ, कार्य तथा इसके उत्तरदायित्व | Meaning, work & responsibility of management