Essay on CNG सी.एन.जी. के फायदे और नुकसान
प्रस्तावना
सड़कों पर वाहनों की बढ़ती हुई संख्या के परिणामस्वरूप ध्वनि प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण उत्पन्न होते हैं। वाहनों के धुएँ को हम सभी प्रत्यक्ष रूप से अन्तःश्वसन करते हैं, जिससे अनेक घातक बीमारियाँ पैदा होती है। दिल्ली को अत्यन्त प्रदूषणकारी महानगर मानते हुए उच्चतम न्यायालय ने यह आदेश दिया था कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बसों में 31 मार्च, 2001 तक ईंधन के रूप में डीजल तथा पेट्रोल के स्थान पर कम प्रदूषणकारी कॅम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (सी.एन.जी.) का प्रयोग किया जाना चाहिए।
सी.एन.जी. तथा यू.एल.एस.डी.
टाटा ऊर्जा अनुसन्धान संस्थान ने अल्ट्रा लो सल्फर डीजल (यू.एल.एस.डी.) को भी सी.एन.जी. के ही समान कम प्रदूषणकारी बताकर उसे सी.एन.जी. के विकल्प की घोषणा की। कई विशेषज्ञ सी.एन.जी. को डीजल की अपेक्षा प्रत्येक दृष्टि से उत्तम मानते हैं। हालाँकि दिल्ली की परिवहन व्यवस्था में दो-तिहाई ईंधन के रूप में डीजल का ही उपयोग होता है परन्तु विश्वभर के ईंधनों का सर्वेक्षण करने पर डीजल को ही सबसे खतरनाक माना गया है। दिल्ली में 65 प्रतिशत सूक्ष्म कण केवल डीजल से ही उत्सर्जित होते हैं, जिनसे कैंसर होता है। डीजल की सर्वोत्तम तकनीक भी सी.एन.जी. से दस गुनी खतरनाक होती है। अल्ट्रा लो सल्फर डीजल में भी सामान्य डीजल से केवल 15 प्रतिशत कम प्रदूषण होता है जब कि सी.एन.जी, में 90 प्रतिशत तक प्रदूषण कम हो जाता है।
सी.एन.जी. की रचना
सी.एन.जी. पृथ्वी की धरातल के भीतर पाये जाने वाले हाइड्रोजन कार्बन का मिश्रण है और इसमें 80 से 90 प्रतिशत मात्रा ‘मेलथेन’ गैस की होती है तथा यह गैस पेट्रोल एवं डीजल की अपेक्षा कार्बन मोनो ऑक्साइड 70 प्रतिशत, नाइट्रोजन ऑक्साइड 87 प्रतिशत तथा जैविक गैस लगभग 89 प्रतिशत कम उत्सर्जित करती है। सी.एन.जी. गैस रंगहीन, गन्धहीन, हवा से हल्की तथा पर्यावरण की दृष्टि से सबसे कम प्रदूषण उत्पन्न करने वाली है। इसको जलाने के लिए एल.पी.जी, की अपेक्षा ऊँचे तापमान की आवश्यकता पड़ती है इसलिए आग पकड़ने का खतरा भी कम होता है। इन सब विशेषताओं के कारण ही वर्तमान समय में भारत में प्रतिदिन लगभग 650 करोड़ घनमीटर सी.एन.जी, का उत्पादन हो रहा है, जबकि इसकी माँग 1100 करोड़ घनमीटर है। आज सी.एन.जी. का प्रयोग बिजली-घरो, उर्वरक कारखानों, इस्पात कारखानों, घरेलू ईंधन तथा वाहनों में ईंधन के रूप में हो रहा है।
सी.एन.जी. : एक सर्वोत्तम ईंधन
आरम्भ में सी.एन.जी. बसों में पैसा अधिक अवश्य लगता है परन्तु उनका परिचालक व्यय कम होता है। इसके विपरीत सामान्य डीजल को अल्ट्रा लो सल्फर डीजल में परिवर्तित करने पर रिफाइनडरियों के व्यय बहुत अधिक हो जाएँगे। डीजल की तुलना में सी.एन.जी, में कार्बन-डाई-ऑक्साइड में उत्सर्जन की मात्रा कम है इसलिए यह डीजल से कम जहरीली है। विशेषज्ञों ने भी इसे सबसे साफ सुथरा ईंधन माना है जो शीघ्रता से प्रदूषण को समाप्त करता है।
विश्वभर में सी.एन.जी. का प्रयोग
इस समय विश्वभर में लगभग 20 लाख वाहन सी.एन.जी, चालित हैं। जापान की राजधानी टोक्यो में पिछले 40 वर्षों से सभी टैक्सियाँ सी.एन.जी. चालित हैं। दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में यह प्रयोग पिछले 25 वर्षों से जारी है। इसके अतिरिक्त नेपाल, बैंकॉक, ताइवान तथा आस्ट्रेलिया में भी अधिकतर वाहन सी.एन.जी, चालित है।
वाहनों में प्राकृतिक गैस का प्रयोग 1980 से प्रारम्भ हुआ था। तभी से अमेरिका, ब्रिटेन, कनाड़ा, इटली, थाईलैंड, न्यूजीलैंड तथा ईरान जैसे देशों में सी.एन.जी. का प्रयोग होने लगा है।
सी.एन.जी. के नुकसान
सी.एन.जी. बसे जल्दी गर्म हो जाती है या रूक जाती हैं। डेनमार्क तथा अमरीकी विशेषज्ञों ने अपने निजी अनुभव के आधार पर यह घोषणा की है कि परिवर्तित वाहन पूर्णरूपेण सफल नहीं है क्योंकि वे सुरक्षा को खतरा पहुँचा सकते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें ठोस परिवर्तन तकनीक की आवश्यकता है जो भारत में प्रारम्भिक चरण में है। सी.एन.जी. पैट्रोल तथा डीजल की तुलना में गतिक ऊर्जा है, इसी कारण ऊँचे पहाड़ी क्षेत्रों में यह विफल है। आज सी.एन.जी. किट बड़ी मात्रा में उपलब्ध नहीं है और उनकी रिफलिंग में भी समय लगता है। हमारे देश में पर्याप्त भरोसेमन्द सिलेंडर भी नहीं हैं और जो है भी उनकी कोई गुणवता नहीं है।
उपसंहार
विश्व के किसी भी बड़े शहर में सार्वजनिक यातायात पूरी तरह से सी.एन.जी. चालित नहीं है, वरन् उनके साथ सल्फर डीजल तथा अन्य तरह के ईंधन पर आधारित वाहन भी चल रहे हैं। परन्तु सी.एन.जी. के आने से ध्वनि प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण की समस्या पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है। डीजल प्रयोग के कारण ही आज हम अस्थमा, मधुमेह, हृदयरोग, श्वॉसरोग, बहरापन आदि समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऐसी आशा की जाती है कि भविष्य में सी.एन.जी. किट आसानी से उपलब्ध हो सकेगे तथा हम प्रदूषण की समस्या से मुक्ति पा सकेंगे।
Important Links
- डॉ. मनमोहन सिंह पर निबन्ध | Essay on Dr. Manmohan Singh in Hindi
- डॉ. जयभगवान गोयल का जीवन परिचय, रचनाएँ, साहित्यिक परिचय, तथा भाषा-शैली
- मलयज का जीवन परिचय, रचनाएँ, साहित्यिक परिचय, तथा भाषा-शैली
- रवीन्द्रनाथ टैगोर | Rabindranath Tagore Biography Jeevan Parichay In Hindi
- केदारनाथ अग्रवाल का -जीवन परिचय
- आदिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ/आदिकाल की विशेषताएं
- राम काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ | रामकाव्य की प्रमुख विशेषताएँ
- सूफ़ी काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ
- संतकाव्य धारा की विशेषताएँ | संत काव्य धारा की प्रमुख प्रवृत्तियां
- भक्तिकाल की प्रमुख विशेषताएँ | स्वर्ण युग की विशेषताएँ
- मीराबाई का जीवन परिचय
- सोहनलाल द्विवेदी जी का जीवन परिचय
- हरिवंशराय बच्चन के जीवन परिचय
- महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ के जीवन परिचय
- जयशंकर प्रसाद का- जीवन परिचय
- मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय, रचनाएँ, तथा भाषा-शैली
- कबीरदास जी का – जीवन-परिचय
- डॉ० धर्मवीर भारती का जीवन परिचय, रचनाएँ, साहित्यिक, तथा भाषा-शैली
- महाकवि भूषण जीवन परिचय (Kavi Bhushan)
- काका कालेलकर – Kaka Kalelkar Biography in Hindi
- श्रीराम शर्मा जी का जीवन परिचय, साहित्यिक सेवाएँ, रचनाएँ , तथा भाषा-शैली
- महादेवी वर्मा का – जीवन परिचय
- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी – जीवन परिचय