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शैक्षिक प्रशासन के उद्देश्य/आवश्यकता Shaikshik Prashasan in Hindi

शैक्षिक प्रशासन के उद्देश्य/आवश्यकता
शैक्षिक प्रशासन के उद्देश्य/आवश्यकता

शैक्षिक प्रशासन के उद्देश्य/आवश्यकता Shaikshik Prashasan in Hindi

शैक्षिक प्रशासन के उद्देश्य/आवश्यकताप्रशासन एक व्यवस्था है, जिसके अभाव में किसी भी संस्था के लिए अपने उद्देश्यों की पूर्ति करना सम्भव नहीं होगा। प्रशासन के द्वारा ही हम किसी भी संगठन के अन्तर्गत निर्मित संस्था के उद्देश्यों को क्रियात्मक रूप देते हैं। प्रशासन के द्वारा ही जो मानवीय एवं भौतिक साधन उपलब्ध होते हैं, उनका लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए श्रेष्ठतम उपयोग किया जाता है। शिक्षा की प्रक्रिया को भी अच्छी प्रकार से संचालित करने के लिए एक व्यवस्था, एक प्रशासन की आवश्यकता होती है। शैक्षिक प्रशासन के द्वारा हम शिक्षा के अंगों में सामंजस्य लाते हैं तथा शिक्षा को समाज के लिए उपयोगी बनाने का प्रयास करते हैं, साथ ही राष्ट्र की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को भी पूरा करने का प्रयास करते हैं। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद देश की परिस्थितियों के बदलने पर शिक्षा के उद्देश्यों, मूल्यों, आदर्शों, और मान्यताओं आदि सभी में परिवर्तन होना प्रारम्भ हो गया है। देश में प्रजातन्त्र शासन की स्थापना हो जाने से शिक्षा का महत्व और अधिक बढ़ गया और नवीन शिक्षा-प्रशासन की आवश्यकता प्रतीत हुई। देश की आवश्यकता और शैक्षणिक विकास की दृष्टि से शैक्षिक प्रशासन के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

(1) शिक्षा में व्याप्त अपव्यय-अवरोधन को शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर रोकना।

(2) शिक्षा के नवीन उद्देश्यों, मूल्यों, मान्यताओं, सिद्धान्तों आदि का निर्धारण करना।

(3) शिक्षा सम्बन्धी प्रत्येक संगठन के लिए अलग-अलग प्रशासनिक नेतृत्व पैदा करना।

(4) शिक्षा विभाग के प्रत्येक कर्मचारियों और अधिकारी को अपने-अपने कर्तव्यों, उत्तरदायित्वों और अधिकारों से अवगत कराना।

(5) शैक्षणिक दृष्टि से शिक्षार्थी एवं शिक्षक तथा पालक में सुरक्षा की भावना विकसित करना।

(6) शिक्षा सम्बन्धी नवीन उत्तरदायित्वों को स्वीकार करना तथा उनका उचित निर्वाह करना।

(7) शिक्षा के माध्यम द्वारा जनतन्त्रीय व्यवस्था को सफलीभूत बनाने के लिए योग्य तथा कुशल नागरिक उत्पन्न करना।

(8) छात्रों के व्यक्तित्व का सर्वागीण विकास करना, उनकी विभिन्न शक्तियों को प्रशिक्षित करना, उनके दृष्टिकोणों को विकसित करना तथा उनके चरित्र का विकास करना।

(9) शिक्षा सम्बन्धी नीतियों का निर्धारण करना, शिक्षा-योजनाएँ बनाना तथा उन्हें कार्यान्वित करना।

(10) समाज के बच्चों के समुचित विकास हेतु पर्यावरण तैयार करना तथा आवश्यक साधन और समग्री जुटाना।

(11) शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर शैक्षणिक कार्यक्रमों, क्रिया-कलापों, तथा गतिविधियों को सुचारु रूप से संचालित करना।

(12) शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की नियुक्ति, सेवा-शर्तों का निर्धारण और प्रशिक्षण तथा उसमें प्रगति करने आदि की व्यवस्था करना।

(13) शिक्षा विभाग के कर्मचारियों के मध्य तथा शिक्षा के विभिन्न कार्यक्रमों में समन्वय और समायोजन स्थापित करना।

(14) शैक्षणिक कार्यक्रमों को चलाने हेतु आवश्यक धन की व्यवस्था करना तथा शिक्षा से सम्बन्धित आय-व्यय का अभिलेख तैयार करना।

(15) शिक्षा-संस्थाओं का निरीक्षण एवं पर्यवेक्षण कराना और आवश्यक प्रगति हेतु निर्देशन देना।

(16) शिक्षा क्षेत्र में अधिकतम उपलब्धियाँ प्राप्त करने हेतु साधन जुटाना और अनुकूल
शैक्षणिक पर्यावरण उत्पन्न करना।

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