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समुदाय का अर्थ | विद्यालय के विकास में समुदाय की भूमिका

समुदाय का अर्थ | विद्यालय के विकास में समुदाय की भूमिका
समुदाय का अर्थ | विद्यालय के विकास में समुदाय की भूमिका

समुदाय का अर्थ (Meaning of Community in Hindi)

समुदाय का अर्थ (Meaning of Community):-समुदाय शब्द अंग्रेजी भाषा के ‘कम्युनिटी’ शब्द से लिया गया है।

जॉन डीवी के अनुसार- किसी समुदाय में रहने के लिए कुछ बाते सामान्य होती है। इसमें आपसी सम्प्रेषण के तरीके ही वह माध्यम होते हैं, जिसके कारण वे वशिष्ट पहचान के अधिकारी होते हैं। एक समुदाय निमित होने हेतु जिन सामान्य बातों की आवश्यकता होती हैं, वे हैं-समुदाय के उद्देश्य, महत्वाकांक्षाएँ, ज्ञान तथा आम साझेदारी।

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि समुदाय के अन्तर्गत व्यक्तियों की परस्पर सम्बद्धता , पारस्परिक समझ, समान भाषा, विश्वास आस्थाएँ तथा समुदाय के प्रति समान भावना होना आवश्यक है। इसके फलस्वरूप यह हमारा समुदाय है, हम इसके, यह भावना समुदाय सम्बन्धों के लिए आवश्यक है।

विद्यालय में नवयुवक शिक्षा केन्द्रों का संचालन किया जाना चाहिए जिससे बुजुर्ग या युवा ग्रामीण विद्यालय व्यवस्था को जान सकें तथा उसमें सहयोग कर सकें।

विद्यालय में अभिभावकों को समय-समय पर आमन्त्रित किया जाना चाहिए जिससे अभिभावकों से विद्यालय के प्रशासन में सहयोगह प्राप्त हो सके, इसके हेतु अभिभावक दिवस की महीने के अन्तिम दिन श्रेष्ठ भूमिका रखती है।

उपर्युक्त उपायों से स्पष्ट हो जाता है कि सामुदायिक प्रबन्धन का कार्य पूर्णतः सम्पन्न होगा तथा समुदाय के माध्यम से विद्यालय की व्यवस्था एवं शैक्षिक व्यवस्था के उत्थान के लिए प्रयत्न किये जाने चाहिए। सामुदायिक प्रबन्धन के द्वारा ही समुदाय को उचित मार्गदर्शन प्रदान करते हुए विद्यालय और शिक्षा व्यवस्था से सम्बद्ध किया जा सकता है।

विद्यालय के विकास में समुदाय की भूमिका :-

राष्ट्रीय शिक्षा आयोग की मान्यता है कि सामान्य शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक और राष्ट्रीय समस्याओं की वास्तविक समझ विकसित करने तथा सांस्कृतिक धरोहर को आत्मसात करने के लिए विद्यालयों को स्थानीय समुदाय के सम्पर्क में लाना आवश्यक है। इससे छात्रों में दायित्व, भावना, सरकार की भावना तथा समाज सेवा की इच्छा विकसित की जा सकती है। एक प्रशिक्षित तथा उत्साही शिक्षक, जो स्थानीय समुदाय से निकट सम्पर्क रखता है आसानी से उन संस्थितियों की खोज कर सकता है जो सामान्य ग्राम्य विकास से सम्बन्धित है। विद्यालय और समुदाय की निकटता का यह आन्दोलन बहुत पुराना है। आज अधिकांश शिक्षा से सम्पूर्ण विद्यालय अन्योन्याश्रित संबंध स्वीकार करते हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इन कार्यक्रम को इस प्रकार का पागलपन मानते हैं तथा छात्रों और शिक्षकों के समय की बर्बादी मानते हैं।

ये वे लोग हैं जो राजकीय नियम, सेवा शर्तों तथा बोर्ड द्वारा निर्देशित पाठ्यक्रम तक ही विद्यालयों के कार्यक्रमों को सीमित रखना चाहते हैं। परन्तु 21वीं सदी की भविष्यवाणी करने वालों के अनुसार यह एक अत्यन्त महत्वपूर्ण उद्देश्य है। 21वीं सदी के बारे में किए गए प्रारम्भिक चिन्तन में मात्र समुदाय में प्रौढ़ों के लिए सतत् शिक्षा का कार्यक्रम तथा युवाओं के लिए अनुरंजनात्मक कार्य करना ही विद्यालय समुदाय कार्यक्रम में आते थे। परन्तु अब यह समग्र विद्यालय प्रणाली के दर्शन को प्रभावित करती है। जिसके अन्तर्गत विद्यालय की बहुत बृहतर भूमिका की परिकल्पना की जाती है। जैक मिजे विद्यालय की भूमिका में निम्नलिखित कार्यों को समाहित करते हैं।

समुदाय के संसाधनों का अत्यधिक प्रयोग होना चाहिए- पाठ्यक्रम का निर्माण समुदाय की आवश्यकताओं के अनुसार होना चाहिए। समग्र समुदाय की शैक्षिक आवश्यकताओं की सम्पूर्ति करना जिसमें निदानात्मक, उपचारात्मक तथा अनुरंजनात्मक कार्यक्रम शामिल हैं। इनमें पौढ़ों के लिए शैक्षिक सुविधाएँ प्राथमिक, माध्यमिक, व्यावसायिक तथा अनवरत शिक्षण कार्यक्रम व सामाजिक तथा जन सेवा भी शामिल है।

सामुदाय तथा राजकीय संसाधनों का प्रभावशाली उपयोग किया जाता है।

सामुदायक शिक्षण प्रक्रिया का विकास जिसमें सामुदाय परिषद् को गठित किया गया है।

अदिश सामुदायक जीवन की तैयारी एवं वास्तविक जीवन का शिक्षा के लिए सामुदायक विद्यालय अत्यधिक महत्वपूर्ण है। क्योंकि व्यवहारिक समस्याओं का समाधान शिक्षा के कार्यक्रमों में आवश्यक रूप से शामिल होना चाहिए। यदि जनतन्त्रीय मूल्यों की शिक्षा देनी होती तब व्यक्तिगत सम्मान, परस्पर सहयोग एवं समानता का अवसर जुटाने आवश्यक होते हैं। हमारी शिक्षा में मात्र आत्माभिव्यक्ति के लिए छात्रों को तैयार किया जाता है। तथ्यों का ज्ञान देना शिक्षा का मुख्य उद्देश्य रहा है। परन्तु आने वाली समस्याओं को कैसे सुलझाएं इसके बहुत कम अवसर छात्रों को मिलते हैं। आज विद्वान मानते हैं कि विद्यालय एवं समुदाय अलग-अलग होकर कार्य नहीं कर सकते हैं। शिक्षा देने की परम्परा में आज प्रमुख रूप से दो उपागम देखे जाते हैं।

1.विषय केन्द्रित उपागम।
2. बाल रुचि केन्द्रित उपागम।

प्रथम उपागम में अकादमिक विद्यालय हैं एवं दूसरे उपागम में सामुदायिक विद्यालय हैं। जो मानवीय आवश्यकताओं पर केन्द्रित हैं। बाल रुचि केन्द्रित उपागम के समर्थक समुदाय को वस्तुतः एक लेवोरेट्री मानते हैं। जहाँ बालक विद्यालय में पढ़े हुए ज्ञान का परीक्षण व्यवहारिक संसार में करते हैं। अत: समुदायक विद्यालय जो समुदाय को केन्द्र मानकर चलते हैं। वस्तुतः वे ही जीवन की शिक्षा दे सकता है। इस प्रकार का विद्यालय मानव जीवन की गुणवत्ता का विकास करता है।

समुदाय के साथ विद्यालय सम्पर्क में निम्न शैक्षिक लाभ होते हैं।

1. विद्यालय एवं उससे परे जीवन में जनतन्त्रीय जीवन का विकास करता है

2. समुदाय के संसाधनों का विद्यालय के सभी कार्यक्रमों में प्रयोग में लाया जाता है।

3. सामुदायिक, विद्यालय, युवाओं के जीवन की आधारभूत आवश्यकताओं के सन्दर्भ में शिक्षित करता है।

4. युवाओं एवं प्रौढ़ों के समूहों के लिए सेवा केन्द्र का कार्य करता है।

5. सामुदायिक जीवन के सुधार के लिए अन्य सामाजिक अभिकरणों के साथ व्यक्तिगत रूप से लागू हो।

बालक के समग्र विकास का कार्य एक सामूहिक सहयोग का कार्य करता है। जिसमें, विद्यालय एवं बेहतर समाज सभी अपनी-अपनी भूमिकाएँ निर्वाह करते हैं। वस्तुतः इन सभी की अविभाज्य भूमिकाएँ हैं। अत: इनके प्रभाव का विश्लेषण करना ही अत्यधिक कठिन है। विद्यालय समुदाय की एक अमूल्य निधि है। जो समुदाय के हित में कार्यरत रहती है एवं भावी प्रगति की मार्ग प्रशस्त करती है। एन.एस.एस.ई. के अनुसार, असली तौर पर सामुदायिक विद्यालय एक प्रयोगशाला है जो शैक्षिक प्रक्रिया के माध्यम से लोगों का जीवन स्तर उठाने के लिए पड़ौस समुदाय, जनसंसाधनों का जन समस्याओं के साथ सम्बन्ध जोड़ता है।

एक अच्छा विद्यालय होना अपने आप में ठीक है। परन्तु सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार समुदाय सहयोग के प्रति उचित अभिवृत्ति समुदाय के सुधार के लिए कुछ कर सकता है। आदि ऐसी बातें हैं जो सामुदायिक विद्यालय के लिए अति आवश्यक है।

प्रभावी विद्यालय व समुदाय के सम्बन्धों के लिए निम्नलिखित अवधारणाओं पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है।

1. विद्यालय का नैतिक दायित्व है कि वह समुदाय के जीवन व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन के लिए कार्यशील रहे।

2. विद्यालय समुदाय के लिए है।

3. समुदाय एवं विद्यालय के मध्य स्पष्ट सम्प्रेषण नियमित रूप से होता है।

4. समुदाय के लोगों की नियमित व उचित साझेदारी होनी चाहिए।

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