राजनीति विज्ञान / Political Science

प्लेटो: साम्यवाद का सिद्धान्त, अर्थ, विशेषताएँ, प्रकार तथा उद्देश्य

प्लेटो: साम्यवाद का सिद्धान्त, अर्थ, विशेषताएँ प्रकार तथा उद्देश्य

प्लेटो: साम्यवाद का सिद्धान्त, अर्थ, विशेषताएँ, प्रकार तथा उद्देश्य

साम्यवाद का सिद्धान्त
(Theory of Communism)

प्लेटो ने अपने आदर्श में न्याय की प्राप्ति के लिए जो दो तरीके अपनाए हैं, उनमें से साम्यवाद का निषेधात्मक व भौतिक तरीका भी शामिल है। प्लेटो का मानना है कि आदर्श राज्य की स्थापना में तीन बाधाएँ – अज्ञान, निजी सम्पत्ति व निजी परियार है। इन बाधाओं को दूर करने के लिए प्लेटो शिक्षा का सिद्धान्त व साम्यवादी व्यवस्था का प्रावधान करता है। अज्ञान को तो शिक्षा द्वारा दूर किया जा सकता है लेकिन निजी सम्पति परिवार की संस्था का लोप करने के लिए वह जिस व्यवस्था का समर्थन करता है, वह साम्यवाद के नाम से जानी जाती है। प्लेटो का साम्यवाद राजनीतिक सत्ता तथा आर्थिक लोलुपता के सम्मिश्रण से उत्पन्न बुराई को दूर करता है। प्लेटो साम्यवाद के द्वारा अभिभावक या संरक्षक वर्ग को सम्पत्ति तथा पारिवारिक जीवन की चिन्ताओं से मुक्त रखना चाहता है।

इस सिद्धान्त को प्रतिपादित करने के पीछे प्लेटो का उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से निःस्वार्थी शासकों को तैयार करने के बाद भी सांसारिक आकर्षणों और चारित्रिक दुर्बलताओं के शिकार होकर अपने कर्तव्य-पथ से भटकने को रोकना है। प्लेटो साम्यवाद को समाज का आध्यात्मिक उत्थान करने का नकारात्मक मार्ग कहता है। वह इसे व्यक्ति के उत्थान का भौतिक साधन मानता है। प्लेटो का मानना है कि कांचन और कामिनी का मोह संरक्षक वर्ग को धनलोलुप, स्वार्थी और आस्वत बना देता है। अतः संरक्षक वर्ग को अपने कर्तव्य पथ से विचलित होने से रोकना अति आवश्यक है। इसके लिए यह सम्पत्ति और पत्नियों का साम्यवाद का सिद्धान्त पेश करता है। इसके बारे में बार्कर ने कहा है- “साम्पवाद आत्मिक सुधार का केवल एक भौतिक व आर्थिक अनुपूरक साधन है, जिसे सर्वप्रथम तथा सर्वाधिक महत्त्व देते हुए प्लेटो लागू करना चाहता है।”

साम्यवाद का अर्थ
(Meaning of Communism)

प्लेटो का मानना है कि सैनिक और शासकों के लिए आदर्श राज्य में न तो अपना परिवार या घर होना चाहिए न ही निजी सम्पत्ति। अपने इस उद्देश्य या विचार को सकारात्मक रूप देने के लिए प्लेटो ने जिस विस्त त योजना का निर्माण किया है, उसे ही प्लेटो का साम्यवाद या प्लेटो का साम्यवादी सिद्धान्त कहा जाता है। प्लेटो का कहना है कि संरक्षक या अभिभावक वर्ग के सदस्य विवाह करने और निजी परिवार बसाने के अधिकार से वंचित रहेंगे। पतियों, पलियों तथा बच्चों पर एक व्यक्ति या परिवार का अधिकार न होकर, सम्पूर्ण समाज या राज्य का अधिकार रहेगा। सभी को उसमें साँझा अधिकार प्राप्त होगा। अच्छी संतान या योग्य सन्तान पैदा करने के लिए योग्य पुरुष व स्त्री का संयोग कराया जाएगा, संरक्षक वर्ग के सदस्य निजी सम्पत्ति से भी वंचित रखे गए हैं। प्लेटो के अनुसार समस्त सम्पत्ति (चल व अचल) राज्य के नियन्त्रण में ही रहेगी। प्लेटो की योजना के अनुसार सनी सैनिकों व शासकों को (अभिभावक या संरक्षक वर्ग) बैरकों में रखना होगा और उन्हें साथ-साथ भोजन करना होगा। उत्पादक वर्ग अपनी पैदावार का कुछ हिस्सा उन्हें दे देगा ताकि उनकी अनिवार्य आवश्यकताएँ पूरी हो सकें। सामूहिकता की जीवन-व्यवस्था को प्लेटो ने पत्नियों व सम्पत्ति को साम्यवाद का नाम दिया है।

प्रेरणा स्रोत
(Sources of Inspiration)

प्लेटो की साम्यवादी विचारधारा कोई नवीन तथा मालिक विचारधारा नहीं है। प्लेटो से पहले भी यूनान में साम्यवाद के बीज विद्यमान थे। एथेन्स में 5 वीं शताब्दी ई. पूर्व में ही साम्यवाद के दर्शन होते हैं। एथेन्स में राज्य का व्यक्तिगत सम्पत्ति पर नियन्त्रण था। स्पार्टा में स्त्रियों को राज्य हित की दष्टि से शासन संचालन का भार सौंप दिया जाता था, बालकों को 7 वर्ष की आयु के बाद राज्य को सौंप दिया जाता था। स्पार्टा में सार्वजनिक जलपान ग ह तथा भोजनालयों की व्यवस्था थी। स्पार्टा के नागरिक अपनी उपज का एक भाग सामूहिक भोजनालयों में भेजते थे। क्रीट नामक नगर में सामूहिक खेती की जाती थी। । एयेन्स के नगर में भी राज्य की अपनी जंगलात व खानें थीं।

एथेन्स में पाइथोगोरस का मत था- “मित्रों की सम्पत्ति पर समान रूप से सबका अधिकार है।” यह साम्यवादी विचार थां यूरीपाइडीज नामक विचारक ने भी प्लेटो से पहले ही स्त्रियों के साम्यवाद के सिद्धान्त का प्रतिपादन कर दिया था, हिरोडोटस ने अर्गाथीसियन्ज की चर्चा में नारियों की साम्यवादी प्रथा का वर्णन किया है। प्लेटो के यवादी विचारों पर लीन परिस्थितियों का गहरा प्रभाव पड़ा है। प्लेटो के काल सम्पत्तिशालियों हित में शासन का संचालन होता था, शोषण प्रथा प्रचलित थी एवं आर्थिक तत्व राजनीतिक वातावरण पर प्रभावी थे। प्लेटो के युग में महिलाओं की दशा काफी दयनीय थी। सामाजिक क्षेत्र में उनकी भूमिका नगण्य थी। उन्हें चारदीवारी तक ही सीमित कर दिया गया था। उनका कर्तव्य पति की कामवासना की त प्ति, संतानोत्पत्ति व उनके पालन-पोषण तक ही सीमित था। प्लेटो नारियों की दुर्दशा से चिन्तित था। इसलिए उसने नारी उत्थान के लिए पत्नियों साम्यवाद का सिद्धान्त पेश किया।

प्लेटो के साम्यवाद की विशेषताएँ
 (Features of Plato’s Communism)

प्लेटो की सम्पत्ति व पत्नियों से सम्बन्धित साम्यवाद की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं :-

1. अर्ध-साम्यवाव (Hall Communism) : प्लेटो की साम्यवादी व्यवस्था समाज के केवल एक वर्ग (शासक वर्ग) पर लागू होती है; उत्पादक वर्ग पर नहीं। इसमें संरक्षक वर्ग सम्पत्ति और कुटुम्ब से अछूता रहेगा, उत्पादक वर्ग को अपनी सम्पत्ति व परिवार रहेंगे। इसलिए इसे अर्ध-साम्यवाद की संज्ञा दी जाती है।

2. न्याय की पूरक व्यवस्था (Supplementary to Justice) : प्लेटो के न्याय सिद्धान्त का प्रमुख उद्देश्य आदर्श राज्य की स्थापना करना है। प्लेटो ने न्याय सिद्धान्त की व्यावहारिकता के लिए दो साधनों – शिक्षा एवं साम्यवाद को अपनाया है। शिक्षा योजना न्याय की प्राप्ति का आध्यात्मिक व सकारात्मक साधन है। वहीं साम्यवादी योजना न्याय की प्राप्ति का नकारात्मक तरीका है।

3. अभिजातवादी (Aristocruties) : प्लेटो केवल उच्च वर्ग को ही साम्यवादी व्यवस्था के अन्तर्गत रखता है। यह व्यवस्था केवल शासक वर्ग के लिए है, साम्यवाद का प्रयोजन केवल योड़े शासकों के जीवन को नियन्त्रित करना है ताकि वे सामाजिक हित के कार्य निर्वाध रूप से पूरे कर सकें। अतः प्लेटो का साम्यवाद ‘बौद्धिक अल्पतन्त्र’ के शासन की स्थापना करता है।

4. राजनीतिक (Political): प्लेटो का साम्यवाद आर्थिक न होकर राजनीतिक है। प्लेटो के साम्यवाद का उद्देश्य आर्थिक असमानता को दूर करना नहीं था अपितु तत्कालीन राजनीतिक दोषों को दूर करना था। प्लेटो चाहता था कि शासन की बागडोर दार्शनिक शासक के हाथों में हो।

5. तपस्यात्मक (Ascetic) : प्लेटो ने शासक तथा सैनिक वर्ग को सम्पत्ति तथा परिवार का मोह त्यागकर संन्यासी बनने को कहा है। वह व्यक्तिगत सुख की अपेक्षा समाज के सुख को महत्त्व देता है। प्लेटो के शासक वर्ग का जीवन त्याग का है, भौतिक सुखों का नहीं। प्लेटो का साम्यवाद साधुवादी है जिसमें शासक वर्ग समस्त आर्थिक सुख-सुविधाओं का त्याग करता है।

6. आर्थिक ढाँचे में परिवर्तन नहीं (No change in Economic Pattern) : प्लेटो का साम्यवाद उत्पादक वर्ग को इस व्यवस्था से बाहर रखता है। उत्पादक वर्ग अपनी सम्पत्ति का स्वामी बना रहता है। प्लेटो अपने साम्यवाद में आर्थिक ढाँचे को यथावत बनाए रखना चाहता है।

7. राज्य की एकता की रक्षक व्यवस्था (System of Preserving Unity of State) : प्लेटो राज्य में एकता स्थापित करने के लिए संरक्षक वर्ग के लिए साम्यवादी व्यवस्था की योजना प्रस्तुत करता है। प्लेटो की साम्यवादी योजना अभिभावक वर्ग को कंचन और कामिनी के मोह से दूर रखकर सार्वजनिक हित में शासन करने के लिए प्रेरित करेगी। स्त्रियों को भी राज्य की सेवा का सक्रिय अवसर मिलेगा, इससे राज्य की एकता में व द्धि होगी।

साम्यवाद के प्रकार
(Types of Communism)

प्लेटो का साम्यवाद दो तरह का है :-

(क) सम्पत्ति का साम्यवाद (Communism of Property)
(ख) पत्नियों का साम्यवाद (Communism of Wives)

(क) सम्पति का साम्यवाद (Communism of Property) : प्लेटो ने सम्पत्ति के साम्यवाद के अन्तर्गत यह व्यवस्था की है कि अभिभावक वर्ग के लिए अर्थात शासक एवं सैनिक वर्ग के लिए निजी सम्पत्ति निषिद्ध होगी; उनकी कोई निजी भूमि या निजी सम्पत्ति नहीं होगी। उनका निजी घर भी नहीं होगा अपितु वे राज्य द्वारा निर्मित बैरकों में रहेंगे, उनका आवास सभी के लिए खुला रहेगा जिसमें कोई भी कभी आ सके। राज्य के उत्पादकों द्वारा उनको इतनी जीवन व ति दी जाएगी कि वह उनके लिए कम न पड़े और न ही निजी संग्रह के लिए बचे। वे सामूहिक रूप से मेजों पर भोजन करेंगे। उन्हें सोने-चाँदी के सामान का स्पर्श करना निषिद्ध होगा। चल-अचल सम्पत्त्वि से विरक्त होकर वे देश की सेवा और रक्षा करेंगे। इसी में उनकी मुक्ति है और ऐसा करने से वे राज्य के रक्षक बन सकेंगे। किन्तु जब वे कभी भी भूमि, घर और धन का उपार्जन करेंगे तब वे अन्य नगरवासियों से घणा करने लग जाएंगे। वे प्रपंच करेंगे: द्वेष करेंगे तथा राज्य के रक्षक बनने की बजाय उसके शत्रु और निरंकुश व्यक्ति बन जाएंगे। लोग उनसे घ णा करेंगे और वे लोगों से। वे अपने सार्वजनिक हित के धर्म से पदच्युत हो जाएंगे। इस प्रकार वे राष्ट्र के सर्वनाश का ही मार्ग प्रशस्त करेंगे। प्लेटो के सम्पत्ति विषयक साम्यवाद की कुछ विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :-

1. यह साम्यवाद सभी नागरिकों के लिए नहीं, बल्कि केवल शासक और सैनिक वर्ग के लिए है। उसका उद्देश्य यद्यपि सम्पूर्ण समाज का कल्याण है किन्तु सम्पूर्ण समाज द्वारा व्यवहार में नहीं लिया जाता है।

2. प्लेटो का सम्पत्ति सम्बन्धी साम्यवाद भोग का नहीं बल्कि त्याग का मार्ग है। यह समाज के शासक वर्ग की कंचन और कामिनी का मोह छोड़कर जन-कल्याण में लगे रहने के लिए प्रेरित करता है। फोस्टर के शब्दों में “प्लेटो के संरक्षक वर्ग को सामूहिक रूप से सम्पत्ति का स्वामित्व ग्रहण करना नहीं, वरन् इसका त्याग करना है।”

3. इसका उद्देश्य राजनीतिक है, आर्थिक नहीं। वर्तमान साम्यवाद की तरह यह आर्थिक विषमता को दूर न करके राजनीतिक दोषों को ही दूर करता है।

( Arguments in favour of the ommunism of Property )

प्लेटो ने निम्न आधारों पर सम्पत्ति को साम्यवाद का समर्थन किया है :-

1. मनोवैज्ञानिक आधार (Psychological Basis) : प्लेटो के अनुसार शासक और सैनिक आत्मा के विवेक और साहस तत्त्व का क्रमशः प्रतिनिधित्व करते हैं। इन तत्त्वों से प्रेरित होकर वे अपने निश्चित प्रतिनिधित्व करते हैं। इन तत्त्वों से प्रेरित होकर वे अपने निश्चित उत्तरदायित्वों को निभाना चाहते हैं, तो उन्हें क्षुधारूपी निकृष्ट तत्त्व के जाल में नहीं फंसना चाहिए। निजी सम्पत्ति की व्यवस्था मनुष्य की उदार प्रव त्ति पर विपरीत प्रभाव डालती है और व्यक्ति को स्वार्थी बनाती है। यदि दार्शनिक शासक व सैनिक वर्ग के लिए निजी सम्पत्ति की व्यवस्था स्वीकार की जाएगी तो उनमे भी स्वार्थ की व द्वि होगी और क्रमशः उनका विवेक और साहस कुण्ठित हो जाएगा। सेवाइन के अनुसार- “शासकों को लालच से मुक्ति दिलाने का एक ही उपाय है कि उन्हें किसी चीज को अपना या निजी कहने के अधिकार से वंचित कर दिया जाए और यह उपाय प्लेटो की सम्पत्ति की व्यवस्था में ही सम्भव है। अतः प्लेटो का सम्पत्ति का साम्यवाद आदर्श राज्य के लिए मनोवैज्ञानिक आवश्यक शर्त है।

2. राजनीतिक और व्यावहारिक आधर (Political and Practical Basis) : प्लेटो का सम्पत्ति का सिद्धान्त दो आधारों पर राजनीतिक है। एक तो यह सिर्फ शासक व सैनिक वर्ग पर लागू होता है, उत्पादक वर्ग पर नहीं। शासक वर्ग तक सीमित होने के कारण यह राजनीतिक है। दूसरा यह है कि शासन के ऊपर धन का बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इस बुराई को दूर करने के लिए प्लेटो अभिभावक वर्ग को सम्पत्ति के अधिकार से मुक्त करता है। प्लेटो के अनुसार जब राजसत्ता तथा निजी सम्पत्ति का संयोग हो जाता है तो राज्य का पतन हो जाता है।

शासक वर्ग धन की लालसा के लिए सत्ता का दुरुपयोग करता है। अतः प्लेटो राजनीतिक अर्थ शक्ति के केन्द्रीयकरण को समाप्त करके शासक वर्ग को केवल राजनीतिक शक्ति देने के पक्ष में है। प्लेटो की यही व्यावहारिक मान्यता भी है और राजनीतिक अनिवार्यता। यदि शासकों को व्यक्तिगत सम्पत्ति की छूट दी जाए तो शासक वर्ग भ्रष्ट होकर आदर्श राज्य को धनिकतन्त्र (Plutocracy) में बदल देगा। इस सम्बन्ध में सेबाइन ने लिखा है- “जहाँ तक सैनिकों व शासकों का सम्बन्ध है, प्लेटो को शासन के ऊपर धन के बुरे प्रभावों के बारे में इतना दृढ़ विश्वास था कि इस दोष को मिटाने के लिए उसे स्वयं सम्पत्ति के नाश के अतिरिक्त कोई रास्ता दिखाई नहीं दिया।”

3. नैतिक आधार (Moral Basis) : प्लेटो इस बात में विश्वास नहीं करता कि व्यक्ति का अस्तिल मात्र स्वार्थसिद्धि के लिए है, उसके अनुसार कर्तव्यों का पूर्ण निष्ठा के साथ सम्पादन कर, अपने योग्य कार्य क्षेत्र की सीमा में रहकर एवं समृष्टि के एक अभिन्न अंग के रूप में अपने अस्तित्व को स्वीकार करके ही व्यक्ति अपने जीवन को सार्थक बना सकता है। प्लेटो का सिद्धान्त व्यक्ति को विवेकी व निस्वार्थी बनाकर कत्तव्यों का सम्पादन करने पर जोर देता है।

4. वार्शनिक आधार (Philosophical Basis) : प्लेटो का सम्पत्ति का साम्यवादी सिद्धान्त दार्शनिक आधार पर भी उचित है। प्लेटो ने इसे कार्य विशिष्टीकरण के आधार पर सही ठहराया है। प्लेटो का कहना है कि जिन लोगों के ऊपर शासन का भार है, उनकी जीवन-शैली विशिष्ट होनी चाहिए। यह शैली कार्य विशेष के आधार पर ही होनी चाहिए। शासक वर्ग को सच्चादों को प्राप्त करने के लिए सांसारिक प्रलोभनों से मुक्त होना चाहिए। प्लेटो का कहना है कि जिन व्यक्तियों पर शासन का भार है, उन्हें अपने कार्य में बाँधा या विघ्न उत्पन्न करने वाले सभी सांसारिक तत्त्व से उसी प्रकार बचना चाहिए जिस प्रकार ईश्वर की भक्ति में लगे एक साधक या संन्यासी को घर, पानी, बच्चे, सम्पत्ति या सांसारिक मोह माया से दूर रहना चाहिए।

सम्पत्ति के साम्यवाद के उद्देश्य
(Aims of Communism of Property)

प्लेटो की सम्पत्ति की योजना के प्रमुख उद्देश्य निम्न प्रकार से है :-

1. सार्वजनिक हित के लिए For Public Interest) : प्लेटो का दार्शनिक राजा सार्वजनिक हित में शासन करता है। वह सैनिक वर्ग व उत्पादक वर्ग पर सार्वजनिक हित के ही सन्दर्भ में कठोर नियन्त्रण रखता है।

2. अभिभावक वर्ग के लिए कार्यकुशलता (For efficiency of Guardian Class) : सम्पत्ति के साम्यवाद की योजना सैनिक वर्ग तथा शासक वर्ग को आर्थिक चिन्ताओं से मुक्त करती है और वह अपना समस्त समय व ध्यान अपनी कार्यकुशलता की वृद्धि में लगा सकते हैं।

3. राज्य की एकता के लिए (For the Unity of State): जब शासक वर्ग के पास निजी सम्पत्ति होती है तो शासक वर्ग में सम्पत्ति को लेकर आपसी प्रतियोगिता व ईर्ष्या भी होती है और इससे राज्य को एकता को भय उत्पन्न हो जाता है। किन्तु सम्पत्ति को साम्यवादी योजना शासक वर्ग में इस प्रकार का भय उत्पन्न नहीं होने देती और यह राज्य की एकता की रक्षक सिद्ध होती है।

4. सामाजिक भात भाव के लिए (For Social Harmony) : प्लेटो का सम्पत्ति का साम्यवाद संरक्षक वर्ग को साधुवादी प्रवृत्ति अपनाने की सलाह देता है। सम्पत्ति पर किसी एक का अधिकार न होकर सम्पूर्ण समाज का अधिकार होगा। इससे किसी के पास कम या अधिक सम्पत्ति संचय करने की भावना पैदा नहीं होगी। सम्पत्ति का साम्यवाद लोगों में भ्रात भाव की भावना को जन्म देगा।

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