राजनीति विज्ञान / Political Science

केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद् (union council of minister) का गठन और उसके प्रमुख कार्य एवं अधिकार

 केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद् का गठन और उसके प्रमुख कार्य एवं अधिकार

केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद् का गठन

केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद् का गठन

केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद्

केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद्सं विधान के अनुच्छेद 74 में लिखा है कि राष्ट्रपति को परामर्श देने और उसके कार्यों में सहयोग करने के लिए एक मंत्रिपरिषद् होगी । वह राष्ट्र के समस्त प्रशासनिक कार्यों को सम्पन्न करेगी । मन्त्रिपरिषद् सरकार का सबसे महत्वपूर्ण अंग होती है, क्योंकि देश का शासन चलाने की वास्तविक शक्ति इसी के हाथ में निहित रहती है ।

केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद् का गठन

मन्त्रियों की नियुक्ति –

प्रधानमंत्री और अन्य मन्त्रियों के संयुक्त रूप को मन्त्रिपरिषद करते हैं। पीवधान में प्रधानमंत्रो को नियुक्त करने का अधिकार राष्ट्रपति को दिया गया है परन्तु इस सम्बन्धवह आनी मनमानी नहीं कर सकता । वह उसी दल के नेता को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त करता है, जिस दल का लोकसभा में बहुमत होता है । यदि लोकसभा में किसी भी दल को बहमत प्राप्त नहीं है तो एसो स्थिति में यह किसी भी दल के उस नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकता है जो बहुमत प्राप्त करने में सफल हो सके । तत्पश्चात् वह प्रधानमंत्री के परामर्श से अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करता है । मन्त्री तीन स्तर के होते हैं …

(1) कैबिनेट मंत्री (2) राज्यमंत्री तथा (3) उपमंत्री।

मन्त्रिमण्डल का निर्माण हो जाने के उपरान्त प्रधानमंत्री केबिनेट मन्त्रियों में से प्रत्येक को कोई न कोई विभाग सोपकर उन्हें उसका अध्यक्ष नियुक्त करता है। राज्यमंत्री सामान्यतः विभागाध्यक्षों के सहायक के रूप में कार्य करते हैं। उपमंत्री सदेव सहायक के रूप में ही कार्य करते हैं।

मन्त्रियों की योग्यताएं –

संविधान में मन्त्रियों को योग्यताओं के सम्बन्ध में केवल इतना ही उल्लेख मिलता है कि उन्हे मन्त्रिपरिषद् का सदस्य बनने के लिए संसद के किसी भी सदन का सदस्य होना चाहिए । यदि प्रधानमंत्री किसी ऐसे व्यक्ति को मंत्री नियुक्त कर देता है जो संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं है, तो उसे 6 महीने के अन्तर्गत ही किसी भी सदन की सदस्यता अवश्य प्राप्त करनी पड़ती है, अन्यथा उसका मन्त्री पद स्वतः ही समाप्त हो जाता है।

मन्त्रिपरिषद् के कार्य एवं अधिकार

मन्त्रिपरिषद् के प्रमुख कार्य एवं अधिकार निम्नलिखित हैं –

(1) विधि-निर्माण सम्बन्धी कार्य – सामान्यतः मन्त्रियों द्वारा ही संसद के विधेयक प्रस्तुत किये जाते हैं । संसद द्वारा पारित होने पर राष्ट्रपति विधेयकों पर हस्ताक्षर करता है और वे कानून का रूप धारण कर लेते हैं।

(2) शासन का उत्तरदायित्व – शासन के संचालन हेतु प्रधानमंत्री सम्पूर्ण प्रशासनिक कार्यों को अनेक विभागों में विभाजित करके प्रत्येक विभाग का उत्तरदायित्व एक-एक मंत्री को सौपता है । उनके कायों की देखभाल का उत्तरदायित्व प्रधानमंत्री पर होता है । इस प्रकार कार्यपालिका का सम्पूर्ण शासन मन्त्रिमण्डल द्वारा ही संचालित होता है।

(3) वित्त सम्बन्धी कार्य – बार्षिक बजट तैयार करना, नये कर लगाना, करों की दर निश्चित करना, अनुपयुक्त करों को समाप्त करना एवं धन सम्बन्धी समरत कायों को करने का अधिकार मन्त्रिपरिषद को प्राप्त होता है ।

(4) नीति निर्धारण का कार्य – सरकार की गृह-नीति, विदेश नीति एवं प्रशासन सम्बन्धी नियमा आदि का निर्धारण मन्त्रिमण्डल ही करता है।

(5) नियुक्ति सम्बन्धी कार्य – देश के अनेक महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियों का अधिकार संविधान द्वारा राष्ट्रपति को दिया गया है, परन्तु राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के परामर्श से ही समस्त नियुक्तियाँ करता है । इस प्रकार अप्रत्यक्ष रूप से समस्त प्रकार को नियुक्तियाँ करने का अधिकार मन्त्रिमण्डल के हाथों में होता है।

(6) राज्यों के सम्बन्ध में अधिकार – मन्त्रिपरिषद् को राज्यों के सम्बन्ध में अनेक प्रकार के महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान किये गये हैं । राज्यों का निर्माण करने तथा राज्यों की सीमा में परिवर्तन करने सम्बन्धी निर्णय लेने का अधिकार मन्त्रिपरिषद् को ही है, जिसको कार्यरूप संसद की संस्तुति के पश्चात् प्रदान किया जाता है।

(7) आलोचनाओं का उत्तर – सरकार की ओर से मन्त्रिपरिषद् ही संसद में पूछे जाने वाले प्रश्नों व पूरक प्रश्नों आदि का उत्तर देती है और संसद में प्रस्तुत किये जाने वाले विषयों का निर्णय करती है । प्रत्येक विषय का समय भी निश्चित करती है।

(8) संविधान में संशोधन – संसद में संविधान संशोधन सम्बन्धी प्रस्ताव मन्त्रिपरिषद् द्वारा ही प्रस्तुत किये जाते हैं और उनके पारित कराये जाने में मन्त्रिपरिषद् की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ।

(9) व्यवस्थापिका की कार्यवाही सम्बन्धी कार्य – लोकसभा एवं राज्यसभा के अधिवेशनों की तिथि निश्चित करना, अधिवेशनों के समय को निश्चित करना तथा विधेयकों के प्रस्तुत करने का क्रम एवं उन पर विचार करने का समय निश्चित करना आदि समस्त कार्य मन्त्रिपरिषद् के द्वारा ही सम्पन्न होते हैं।

उपर्युक्त प्रकार के विवरण से केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद् के गठन एवं कार्य स्पष्ट हो जाते हैं।

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