B.Ed. / BTC/ D.EL.ED / M.Ed.

अन्धे बालकों को आप शिक्षित कैसे करेंगे ? How will you educate blind Children?

अन्धे बालकों को आप शिक्षित कैसे करेंगे ? How will you educate blind Children?
अन्धे बालकों को आप शिक्षित कैसे करेंगे ? How will you educate blind Children?

अन्धे बालकों को आप शिक्षित कैसे करेंगे?

अन्धे बलको को शिक्षा देना एक चुनौती भरा कार्य है। आज हमारा दृष्टिकोण इन बालको के प्रति बदल गया है। जिन बालकों की दृष्टि एक्युटी 20/200 होती है। या इससे कम होती है। या कोई अन्य असामान्यता होती है। तो उस बालक को अन्धा समझा जाती है यू.एस. ए. मे एच. जी. हौव ने 1866 ई. में अन्धे बच्चों के लिए एक स्कूल खोला। उसका यह विश्वास था कि जो बच्चे आशिक रूप से देख सकते हैं। उन्हें साधरण बालकों के साथ पढ़ाना चाहिए। अन्धा बालक क्योंकि पूर्णतया अपनी ज्ञानेन्द्रियों पर निर्भर होता है। अतः उसे अपनी ज्ञानेन्द्रीयों के स्वास्थ्य की देखभाल करनी चाहिए। हम अन्धे बालकों को इस प्रकार से शिक्षा प्रदान करते हैं।

1. विशेष विद्यालयः- अन्धे बालकों के लिए अलग विद्यालय की स्थापना करनी चाहिए अन्धे बालकों के लिए बने स्कूल में पूरी गतिविधियाँ उनको आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर की जाती है तथा वह एक सुरक्षित वातावरण में रहते हैं। सामान्य विद्यालयों और अन्ध विद्यालयों के वातावरण में काफी अन्तर होता है। माँ बाप व रिश्तेदारों को चाहिए कि वह समय समय पर अपने बालकों को मिलते रहें। ताकि वह अपने आप को घर से दूर न समझे।

2. विशेष ढंग:- अन्धे बालक अपने ज्ञानेन्द्रियों के सहारे ज्ञान प्राप्त करते है। अध्यापक को चाहिए कि वह उन्हें, सोचने, सूँघने, छूने तथा बोलने की क्षमता पर विशेष ध्यान दें। अध्यापक को बालकों को अपनी ज्ञानेन्द्रियों का अधिक से अधिक प्रयोग करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

3. विशेष समान:- चूंकि अन्धे बच्चों के लिए चित्रो तथा प्रतिमाओं का कोई स्थान नही होता इसलिए इन बच्चों के लिए विशेष सामग्री का प्रबन्ध करना चाहिए। ब्रेल विधि मे कागज पर उभरे हुए बिन्दु होते है। उन्हें हाथ से छूकर शिक्षा दी जाती है। यह किताबें ग्रेड-प तथा ग्रेड II आदि की होती है। इन किताबो से धीरे धीरे पढ़ा जाता है। इसके अतिरिक्त बोलने वाली किताबे का भी प्रयोग किया जाना चाहिए। ब्रेल लिपि के द्वारा बालक पढ़ भी सकते है तथा लिख भी सकते हैं।

4. गणित शिक्षण- अध्यापक को गणित पढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह कुछ अध्याय जो कि वह साधारण व अन्धे बच्चों को पढ़ा रहे है। छोड़ देने चाहिए तथा उनको अलग से अन्धे बच्चों को पढ़ाना चाहिए। गणित पढ़ाने में ब्लैक बोर्ड तथा मौखिक निर्देशन द्वारा पढाया जाता है। साधारण बच्चे उनको जल्दी समझ लेते हैं लेकिन अन्धे बच्चों के लिए उतना ही मुश्किल होता है। अध्यापक को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि उसके पढ़ाने की गति धीमी हो ताकि अन्धे बालक उनको भली-भाँति समझ सके। ब्रेल लिपि की किताबे, बोलने वाली किताबें तथधा आवाज वाले कैलकुलेटर का प्रयोग करना चाहिए। –

5. भाषा शिक्षण:- भाषा पढ़ने के लिए अन्धे बच्चो को ब्रेल लिपि पढ़ने लिखने दोनों का ज्ञान देना चाहिए। इसके प्रयोग के बारे में पूरी जानकारी देनी चाहिए ताकि विषय वस्तु पढ़ाते समय उनको विषय का सम्पूर्ण ज्ञान हो सके। टेप रिकार्डर के द्वारा भी उनको शिक्षा दी जा सकती है।

6. व्यवसायिक प्रशिक्षण:- अपनी अक्षमता के कारण अन्धे बालक रचनात्मक कार्य जैसे हाथ से कुछ कार्य करना नहीं कर सकते। इसके स्थान पर उनको गाना बजाना, तबला, ढोलक बजाना तथा व्यवसायिक कार्य जैसे बुक बाइंडिंग, कुर्सियाँ तथा चारपाई बुनना आदि में निपुण किया जा सकता है। अन्धे बालकों को ब्रेल लिपि दोनों हाथों से पढ़नी पड़ती है। बाजा आदि बजाने के लिए भी दोनो हाथो का प्रयोग करना पड़ता है। अतः उन्हें सारा कार्य अपनी स्मृति के द्वारा ही करना पड़ता है। अन्धे बालकों के लिए संगीत सीखना सबसे सरल कार्य है। अन्धी लड़कियों को भी संगीत के अतिरिक्त दूसरे रचनात्मक गृह कार्यों में निपुण किया जा सकता है।

7. विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान शिक्षण:- विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान पढ़ाना भी अन्धे बच्चों को अगर आसान नहीं तो बंटिल भी नहीं है। बच्चों के अन्दर वैज्ञानिक दृष्टिकोण को उभारना चाहिए। उनको बाहर घुमाने के लिए ले जाना चाहिए। ताकि उनको बाहर का ज्ञान हो सके। तथा रास्ते में जो दृश्य या वस्तुएँ नजर आती है। उनका ज्ञान उनको देना चाहिए। साईस विषय में प्रयोग आदि करने पड़ते है। अन्धे बालकों के लिए यह मुश्किल जरूर है। लेकिन असभव नहीं है। ब्रेल लिपि किताबें या बोलने वाली किताबें उपलब्ध नहीं है। उन विषयों को अध्यापक कक्षा के साथी व माता पिता पढ़कर सुना सकते है।

8. फर्नीचर:- कक्षा-कक्ष के अन्दर अनावश्यक फर्नीचर या बिजली का समान आदि नही रखाना चाहिए ताकि अन्धे बालको को आते-जाते समय किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े। अनावश्यक सामान उनकी सामान्य पढ़ाई में बाधा बन सकता है।

9. प्रेरणा- अन्धे बालकों को विद्वानों के भाषण सुनने के लिए प्रेरित करना चाहिए । उनको विभिन्न प्रकार के आयोजनों आदि में भाग लेने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए। हालांकि अन्धापन जीवन के लिए बाधक है लेकिन हमें भगवान की इच्छा का सम्मान करना चाहिए। उनको बताना चाहिए कि अगर वे देख नहीं सकते तो यह जीवन का अन्त नहीं है। उनको महापुरूषों, जिन्होंने अपनी जिन्दगी में कष्ट सहे हैं, की कहानियाँ सुनाकर प्रेरित करना चाहिए। अन्धे बालकों को शिक्षा देते समय हमें उपरोक्त बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि वे शिक्षित होकर आत्मनिर्भर बन सकें।

Related Link

Important Links

Disclaimer

Disclaimer: Sarkariguider.in does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment