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परामर्श के क्षेत्र- Scope of Counselling in Hindi

परामर्श के क्षेत्र- Scope of Counselling in Hindi
परामर्श के क्षेत्र- Scope of Counselling in Hindi

अनुक्रम (Contents)

परामर्श के क्षेत्र की विवेचना कीजिए।

अथवा

परामर्श के क्षेत्र पर निबन्ध 

परामर्श का क्षेत्र (Scope of Counselling)- सामाजिक, शैक्षिक तथा आर्थि विकास ने परामर्श प्रक्रिया के उद्भव एवं विकास का मार्ग प्रशस्त किया। इस प्रकार इसका क्षेत्र क्रांतिकारी एवं काफी विस्तृत हो गया। परामर्श के क्षेत्र का वर्णन निम्नलिखित है-

1. छात्र सम्बन्धी सूचनायें एकत्रित करना-

छात्र को परामर्श देने के लिये आवश्यक है कि परामर्शदाता छात्र की पृष्ठभूमि से परिचित हो। इसके लिए छात्र की कक्षा की प्रगति, परिवार, मित्र, व्यवहार, रुचि, अभिरुचि आदि से सम्बन्धित सभी तथ्यों का संग्रह परामर्श कार्यालय में हो।

2. अग्रिम शिक्षा सूचनाओं का संग्रह (Collection of Information About Further Education)-

शैक्षिक निर्देशन में परामर्श के लिये अग्रिम शिक्षा और विद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया, छात्रावास सुविधा, शुल्क आदि का होना आवश्यक है।

3. परीक्षण की सुविधा (Facility of Tests)-

परामर्श में परीक्षण की सुविधा होनी चाहिये। परामर्श कार्यालय सभी प्रकार के परीक्षण होने चाहिये। परामर्श के क्षेत्र में परीक्षणों का प्रशासन, परिणामों का विश्लेषण और परिणामों का छात्रों को ज्ञान कराने सम्बन्धी कार्य सम्मिलित हैं।

4. व्यवसाय और वृत्तियों की सूचनाओं का संग्रह करना (Collection of Informations of occupations and Careers)-

परामर्श के क्षेत्र में व्यवसायों और वृत्तियों के बारे में सूचनायें एकत्रित करना भी सम्मिलित है, क्योंकि इनके बिना व्यावसायिक निर्देशन सम्भव नहीं है।

5. साक्षात्कार करना (To Conduct Interview)-

कठिनाई से पीड़ित छात्रों के साथ साक्षात्कार करना भी परामर्श के क्षेत्र में सम्मिलित है।

6.समस्याओं के समाधान में सहायता करना (To Help in Solving Problems)-

परामर्श के द्वारा व्यक्ति को आत्मानुभूति कराके उसको स्वयं समस्या हल करने के योग्य बनाने का प्रयास किया जाता है

7. अभिभावक एवं संगठनों से सम्पर्क (To Establish Contact with Parents and Professional Organisation)-

 छात्रों के माता-पिता और व्यवसायिक संगठनों से सम्पर्क साधना परामर्श के क्षेत्र का कार्य है।

8. वार्तालाप का आयोजन करना (To Organise Taks and Seminars)-

छात्रों के लिये विशेषज्ञों की वार्ता या संगोष्ठी का आयोजन करना भी परामर्श के क्षेत्र का अंग है।

9. मनोवैज्ञानिक परामर्श Phychological Counselling)-

मनोवैज्ञानिक परामर्श एक ऐसे क्रिया-कलापों की विभिन्नता से है। इनको विधेयात्मक तरीके की अपेक्षा निषेधात्मक तरीके से लक्षित करना आसान है। अपनी विशिष्ट प्रक्रियाओं मुक्त साहचर्य, व्याख्या प्रत्यारोपण तथा स्वप्न विश्लेषण से स्वतन्त्र मनोविश्लेषण को उन क्रिया-कलापों की संज्ञा नहीं दी जा सकती। वे स्थायी संश्लेषण, सम्मोह, मनोनाटक इत्यादि साधनों का प्रयोग नहीं करते। वे केवल सेवार्थी और परामर्शदाता के मध्य होने वाली वार्तालाप पर ही निर्भर करते हैं। यह बातचीत प्रश्नोत्तर के माध्यम से होती है। बीते हुए इतिहास के पुनः निर्माण अथवा वर्तमान समस्याओं पर वाद-विवाद का रूप धारण कर सकती है। सेवार्थी द्वारा भावाभिव्यक्ति में किया गया स्वतः विवरण हो सकता है अथवा चिकित्सक द्वारा सेवार्थी से सब कुछ कहलवाने का प्रयत्न हो सकता है। चिकित्सक उत्साहित कर सकता है, जानकाकरी दे सकता है तथा सलाह दे सकता है, ये अपेक्षाकृत ऐसे विधेयात्मक कार्य है जो चिकित्सक द्वारा किए जाते हैं और मनोवैज्ञानिक परामर्श के अन्तर्गत सामान्य रूप से किए जाते हैं।

10. नैदानिक परामर्श (Clinical Counselling)-

जैसाकि इसके नाम से विदित होता है कि ‘नैदानिक परामर्श’ निदान करने वाला उपबोधन, यह उपबोधन का एक प्रारूप है। सर्वप्रथम नैदानिक परामर्श शब्द का प्रयोग एच.बी. पेपिस्की ने किया।

पेपिस्की के अनुसार नैदानिक परामर्श का आशय है।

(i) पूरी तरह न दबे एवं अक्षय न बना देने वाले, असाधारण कार्य व्यापार सम्बन्धी (इन्द्रिय या आंगिक के अलावा) कुंसमायोजनों का निदान व उपचार।

(ii) परामर्श व प्रार्थी के मध्य मुख्य रूप से व्यक्तिगत व आमने-सामने का सम्बन्ध। इससे यह स्पष्ट है कि नैदानिक परामर्श का सम्बन्ध व्यक्ति के सामान्य कार्य व्यापार व सम्बद्ध कुसमायोजन से है। इसके अन्तर्गत सेवार्थी एवं उपबोधक का प्रत्यक्ष सम्बन्ध निहित होता है। नैदानिक परामर्श मनोविज्ञान की एक शाखा है नैदानिक परामर्श में समस्या का विश्लेषण करने तथा समस्या का उपचार सुझाने का प्रयास किया जाना है।

इंगलिश एवं इंगलिश के अनुसार, “नैदानिक शब्द व्यक्ति को उसकी अभूतपूर्व समग्रता में अध्ययन करने की विधि को सन्दर्भित करता है। इसके द्वारा विशेष व्यवहारों को देखा जा सकता है और विशिष्ट गुणों को निष्कर्ष के रूप में आत्मसात किया जा सकता है। लेकिन लक्ष्य, व्यक्ति विशेष को समझना ही होता है।”

11. वैवाहिक परामर्श (Marrage Counselling)-

वैवाहिक परामर्श जैसा कि इसके नाम से विदित होता है इसके अन्तर्गत उपर्युक्त जीवनसाथी के चयन हेतु राय एवं सुझाव दिए जाते हैं। यदि प्रार्थी विवाहित है, तो वैवाहिक जीवन की समस्याओं को सुलझाने के लिए परामर्श दिया जाता है। वैवाहिक समस्याओं के कई कारण हो सकते हैं, यथा- औद्योगीकरण, नगरीकरण के कारण परिवार तीव्र गति से विघटित हो रहे हैं। यही कारण है कि उन्हें विवाहित परामर्श की आवश्यकता होती है।

12. व्यक्तित्व परामर्श (Personality Counselling)-

व्यक्तिगत और संवेगात्मक समस्याओं का निराकरण करना ‘व्यक्तित्व परामर्श’ का कार्य क्षेत्र है। उदाहरणार्थ- अकेलापन, हीनाता की भावना, मित्रों का अभाव आदि। इस प्रकार की समस्याओं का निराकरण करना अति आवश्यक होता है वरना इनका विपरीत प्रभाव विद्यार्थी की स्कूली शिक्षा के साथ-साथ जीवन पर भी पड़ता है।

13. स्थानापन परामर्श (Placement Counselling)-

नियोजन या स्थानापन परामर्श के अन्तर्गत सेवार्थी की अभिरुचियों, योग्यताओं एवं दृष्टिकोणों के अनुरूप व्यवसाय चुनने में सहायता करना है। अर्थात् प्रार्थी जिस प्रकार के पद पर कार्य करने के अनुरूप योग्यता रखता है तथा जिससे व्यक्ति को रोजगार सन्तोष मिल सकता है, उस प्रकार के कार्य या व्यवसाय में नियुक्ति प्राप्त करने में स्थानापन परामर्श सेवार्थी की मदद करता है। परामर्श के इन विभिन्न प्रकारों से ज्ञात होता है कि इन क्षेत्रों में व्यक्ति समस्याओं का सामना करता है। समस्या की प्रकृति पर ही परामर्श का प्रकार निर्भर करता है।

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