निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए- (अ) विश्वव्यापी जैव विविधता (ब) राष्ट्रीय जैव विविधता (स) स्थानीय जैव विविधता (द) भारत एक विशाल जैव विविधता वाला राष्ट्र
(अ) विश्वव्यापी जैव विविधता- विश्वव्यापी जैव विविधता में जीवमण्डलीय वृहद पारिस्थितिकीय तन्त्र में मिलने वाली जैव विविधता को सम्मिलित किया जाता है। इसका क्षेत्रीय विस्तार अधिक होने के कारण भौगोलिक कारकों की बदलती प्रकृति से भिन्नता अधिक मिलती है। विश्वव्यापी जैव विविधता में विविधता के प्रमुख कारण स्थलाकृतिक एवं जलवायुवीय सम्पूर्ण जैवमण्डल में लगभग 21 मिलियन ज्ञात जीवित जातियाँ हैं तथा 50 मिलियन कुल जातियाँ होने का अनुमान लगाया जाता है। इनमें अनेक एकाकी वर्ग मिलते हैं जो अपने परिवेश के अनुसार अनुकूलित होते हैं। सम्पूर्ण प्रकृति में मिलने वाली जैव विविधता में जलवायु कटिबन्ध सीमा निर्धारित करते हैं। भूमध्यरेखीय वर्षा वन प्रदेशों की जैव विविधता, टेगा वन प्रदेशों का टुण्ड्रा प्रदेश से जलवायु के कारण भिन्न रखती है। इस प्रकार सर्वाधिक सम्पन्न जैव विविधता भूमध्यरेखीय वर्षा वन प्रदेश हैं, जो विश्वव्यापी जैव विविधता में मुख्य भूमिका रखते हैं।
(ब) राष्ट्रीय जैव विविधता- राष्ट्रीय स्तर पर जैव विविधता का सीमांकन एक सीमा तक राजनीतिक इकाइयों के प्रभाव क्षेत्र पर निर्भर करता है। यह विश्वव्यापी जैव विविधता का एक भाग है। उदाहरणार्थ भूमध्यरेखीय वर्षा वनों में स्थित देश तीन महाद्वीपों में स्थित है। प्रथम ‘अमेजन बेसिन के सेल्वा’ प्रदेश, दूसरा ‘काँगो बेसिन’ तथा तीसरा ‘पूर्वाच्च एशिया के द्वीप समूह वाला क्षेत्र है। इसमें इण्डोनेशिया मलेशिया प्रमुख हैं जहाँ महाद्वीपीय प्रभाव कम होने से अमेजन बेसिन एवं कांगों बेसिन से भिन्न जैव विविधता मिलती है। इस प्रकार विश्वव्यापी जैव विविधता में प्रादेशिक भिन्नता के आधार पर राष्ट्रीय जैव विविधता स्पष्ट होती है। इसी प्रकार मानसूनी जलवायु प्रदेश विश्वव्यापी जैव विविधता का एक प्रमुख हिस्सा है लेकिन इससे भी भारत, चीन एवं हिन्दचीन की जैव विविधता से भिन्नता मिलती है। राष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाले विभिन्न पारिस्थितिक तन्त्रों के कारण भी यह भिन्नता मिलती है। इसे आवास जैव विविधता भी कहते हैं।
(स) स्थानीय जैवविविधता – जैव विविधता की सर्वाधिक सामान्य अभिव्यक्ति किसी स्थान विशेष पर मिलने वाली जातियों की संख्या है। इसे स्थानीय जैव विविधता कहते हैं। जैव विविधता स्थिर नहीं है तथा इसके स्थानिक वितरण में बदलती पारिस्थितिकीय दशाओं में भिन्नता मिलती है। भारत की राष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाली जैव विविधता में भी इसके विभिन्न पारिस्थितिकी प्रदेशों के अनुसार भिन्नता मिलती है। हिमालय पर्वतीय प्रदेश की जैव विविधता थार के मरुस्थल तथा तटवर्ती मैदानों की तुलना में बिल्कुल भिन्न है। इसी प्रकार आवास की प्रकृति के अनुसार भी स्थानीय जैव विविधता बदल जाती है। जैसे—हिमालय के वन क्षेत्रों की जैव विविधता गंगा नदी बेसिन, डेल्टा क्षेत्रों या झीलों (चिल्का, सांभर) से भिन्न होती है। स्थानीय जैव विविधता में भिन्नता का प्रमुख कारण स्थानीय स्तर पर बदलती पारिस्थितिकी तन्त्रों की प्रकृति है। नदी पारिस्थितिक तन्त्र, झील पारिस्थितिक तन्त्र, पर्वतीय पारिस्थितिक तन्त्र, डेल्टाई पारिस्थितिक तन्त्र आदि की भिन्न प्रकृति से उनकी जैव विविधता भी भिन्न मिलती है। स्पष्ट है कि किसी भी स्थानीय स्तर पर मिलने वाली जीवित जातियों की संख्या को स्थानीय जैव विविधता कहते हैं।
(द) भारत एक विशाल जैव विविधता वाला राष्ट्र- भारत में पायी जाने वाली भौगोलिक दशाओं की विविधता के कारण विशाल जैव विविधता पायी जाती है। देश में मिलने वाली जैव विविधता में धरातलीय स्वरूप एवं जलवायु की भिन्नता के कारण अक्षांशीय वितरण मिलता है। उत्तर में पर्वतीय भूस्वरूप पाया जाता है। जीवों में मृग, याक आदि मिलते हैं जबकि गंगा के मैदान के पश्चिमी भाग में शुष्क दशाएँ मिलती हैं। फलस्वरूप मरुद्धभिद् पादप एवं चीतल, हिरन, चिंकारा, गोडावन आदि शुष्क दशाओं में रहने वाले जीव मिलते हैं। इस प्रकार देश में विशाल जैव विविधता मिलती है।
हमारे देश में हरे पादपों की 45,000 तथा जीव-जन्तुओं की 81,000 प्रजातियाँ मिलती हैं। यहाँ कीट पतंगों की 60,000 मछलियों की 2,546, पक्षियों की 1,230, सरीसृपों की 440, स्तनधारियों की 372 तथा उभयचरों की 204 प्रजातियाँ मिलती हैं। इस प्रकार भारत विश्व के 12 सर्वाधिक जैव विविधता वाले देशों में से एक है, जहाँ विश्व के 6.5 जीव-जन्तुओं की प्रजातियाँ मिलती हैं।
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