वाणिज्य / Commerce

मानी गयी आयें कौन सी हैं? | DEEMED INCOMES IN HINDI

अनुक्रम (Contents)

मानी गयी आयें कौन सी हैं?

मानी गयी आयें (DEEMED INCOMES)- व्यापार एवं पेशे की आय की गणना करते समय निम्नलिखित मानी गयी आयों को शामिल करते हैं-

1. नकद साख या नकद जमा (Cash Credit or Cash Deposit) (धारा (68) कभी-कभी कुछ करदाता वस्तु की बिक्री तथा खरीद को पुस्तकों में नहीं दिखाते तथा इस पर हुए लाभ को कुछ नकली नामों से अपनी पुस्तकों में जमा कर लेते हैं। जब करदाता से इसके बारे में स्पष्टीकरण माँगा जाता है तो करदाता कर निर्धारण अधिकारी को सन्तुष्ट नहीं कर पाता। ऐसी सभी राशियाँ करदाता के लिये कर योग्य मानी जायेगी।

2. अस्पष्ट व्यय एवं विनियोग (Undisclosed Expenses & Investment ) (धारा 69B एवं 69C) यदि किसी वित्तीय वर्ष में करदाता के पास कोई धन, सोना, चाँदी विनियोग ऐसे पाये जाते हैं, जिनका लेखा करदाता की पुस्तकों में नहीं है तथा ऐसे व्यय जो करदाता ने अपनी पुस्तकों में नहीं है तथा ऐसे व्यय जो करदाता ने अपनी पुस्तकों में नहीं दिखाये हैं और करदाता कर निर्धारण अधिकारी को इसके बारे में सही जानकारी नहीं दे पाता है अर्थात् सन्तुष्ट नहीं कर पाता है, तो ऐसे सभी मूल्यों के योग को आय माना जायेगा, जो कर निर्धारण अधिकारी की जानकारी में आ चुके हैं।

3. अस्पष्ट धनराशि (Unexplained Amount of Money) (धारा 69A) यदि कोई करदाता धन, सोना, चाँदी, आभूषण या अन्य बहुमूल्य वस्तुओं के बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं देता है तो ऐसी वस्तुओं के मूल्य को करदाता की आय समझा जायेगा।

4. हुण्डी पर उधार ली गई या चुकाई गई राशि ( धारा 69D) यदि हुण्डी पर कोई धनराशि उधार ली जाती है या उस पर दी जाने वाली राशि किसी व्यक्ति को बैंक के आदाता खाता, चेक से भिन्न रूप से अदा की जाती है, तो ऐसी राशि को आय समझा जायेगा।

5. वैज्ञानिक अनुसन्धान में प्रयोग की गई सम्पत्ति की बिक्री (Sale Assets in Use of Scientific Research ) [ धारा 41 (3)] – जब कोई ऐसी सम्पत्ति बेच दी जाती है जो वैज्ञानिक अनुसन्धान में प्रयोग की जा रही थी और उसकी विक्रय की राशि तथा स्वीकार की गई कटौती या योग उसकी लागत से अधिक है तो ऐसा अधिक्य या स्वीकार की गई कटौती (जो भी कम) हो उस व्यापार की आय मानी जायेगी।

6. डूबे हुए ऋणों की वसूली (Recovery of Bad Debts) [ धारा 41 (4)] ऐसे डूबे हुए ऋण की राशि जो गत वर्ष में कटौती के रूप में स्वीकार हो चुकी हो और उसकी वसूली हो जाये तो उसे व्यापार या पेशे की आय माना जाता है।

7. विशेष संचय का प्रयोग (Use of Special Reserves) [ धारा 41 (4A)] – धारा 36 (1) के अन्तर्गत रखे जाने वाले संचय खाते से निकाली गयी रकम कर निर्धारण वर्ष 1998-99 से निगम या कम्पनी की कर योग्य आय मानी जायेगी।

8. मानी गयी आयों से हानियों की पूर्ति (Set Off Losses from Deemed Incomes ) [ धारा 41 (5) यदि गत वर्ष में कोई व्यापार बन्द हो जाता है तथा बन्द होने [ ] में वाले वर्ष में उस व्यापार में हानि होती है एवं ऐसी हानि की पूर्ति के लिये करदाता के पास कोई अन्य आय नहीं है तो इसकी पूर्ति मानी गई आर्यों से की जा सकती है।

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