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कर नियोजन का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, आवश्यक तत्त्व या विशेषताएँ, उद्देश्य, आवश्यकता एवं महत्व

कर नियोजन का अर्थ
कर नियोजन का अर्थ

कर नियोजन का अर्थ (Meaning of Tax Planning in Hindi)

कर नियोजन का अर्थ (Meaning of Tax Planning)- ऐसा प्रबन्ध है जिसके अन्तर्गत करदाता अपनी वित्तीय कार्यवाही को इस प्रकार सुव्यवस्थित कर-नियोजन एक करता है जिससे किसी भी कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन किए बिना ही कर-भार को कम करता है। आयकर अधिनियम कुछ विशिष्ट धाराओं को प्रदान करता है जिसके अन्तर्गत कोई भी व्यक्ति दर्शाए गए प्रावधानों के अनुसार कानूनी तौर पर कर की राशि में बचत कर सकता है। जब कोई व्यक्ति इन धाराओं, प्रावधानों तथा नियमों का आश्रय लेता है तो इसके परिणामस्वरूप वह अपने कर-दायित्व में कटौती कर सकता है। कर-नियोजन कहलाता है। कर-नियोजन में कर अधिनियम के अन्तर्गत स्वीकृत समस्त कर छूटों, कटौतियों, रियायत, रिबेट तथा अन्य राहतों अथवा फायदों का भरपूर फायदा उठाया जाता है। यह करदाता की विवेकपूर्णता एवं दूरदर्शिता को दर्शाता है जिसके परिणामस्वरूप वह कानून की सीमाओं में रहते हुए अपने कर दायित्व के भार को अधिकतम सीमा तक कटौती कर सकता है।

कर नियोजन की योजनाएँ—

(i) कर योग्य आय को परिवार के सदस्यों में बाँट दो।

(ii) विधि के अनुसार कर से छूटों का लाभ लें।

(iii) निवेश वहाँ करें जहाँ कर में बचत हो तथा कटौतियों अथवा छूटों का लाभ मिल सके।

(iv) कर मुक्त आय को अर्जित करने का प्रयास करें।

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कर नियोजन की परिभाषा (Definition of Tax Planning)

प्रो. डाल्टन के अनुसार, “कर नियोजन सरकार की नीतियों के अनुरूप ईमानदारी से कार्य करते हुए कर छूटों एवं कर प्रेरणाओं का लाभ उठाते हुए कर के दायित्व को न्यूनतम करने का वैज्ञानिक तरीका है।”

कर नियोजन के प्रकार 

नियोजन से जो बचत की जाती है या जो कर में कमी लायी जाती है, उसके लिए विभिन्न प्रकार के कर नियोजन अपनाये जा सकते हैं जो निम्न प्रकार हैं-

1. अल्पकालीन कर नियोजन (Short-term Tax Planning)- जब करदाता केवल चालू वर्ष के लिये ही कर भार में कमी करना चाहता है तो वह अल्पकालीन कर नियोजन अपनाता है। अल्प आय वर्ग वाले, वेतन पाने वाले आदि करदाता अल्पकालीन कर नियोजन अपनाकर अपने कर भार में कमी लाते हैं।

2. दीर्घकालीन कर नियोजन (Long-term Tax Planning) – जब करदाता यह सोचता है कि अगले वर्षों में भी उसके कर दायित्व में कमी हो तो ऐसा करदाता दीर्घकालीन कर नियोजन अपनाता है। आगामी वर्षों को ध्यान में रखते हुए किया गया कर नियोजन ही दीर्घकालीन कर नियोजन कहलाता है।

3. विनियोग कर नियोजन (Investment Tax Planning)– विनियोग कर नियोजन से आशय विनियोगों से प्राप्त आय, ब्याज, लाभांश आदि पर कर दायित्व को कम करने से है। इसके लिए करदाता ऐसी प्रतिभूतियों में विनियोग करते हैं जो या तो पूर्णरूप से कर-मुक्त हों अथवा उन पर कुछ कटौती प्राप्त हो। ऐसे विनियोजन को ही विनियोग कर नियोजन कहते हैं।

4. सम्पत्ति कर नियोजन (Estate Tax Planning)- ऐसे कर नियोजन को करते समय करदाता को आयकर एवं धनकर के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। करदाता अधिक आय देने वाली सम्पत्तियों को किसी अन्य व्यक्ति को हस्तान्तरित करके (जिनकी आय ऐसी सम्पत्ति सहित कर योग्य न हो) अपने कर दायित्व में कमी कर सकता है।

5. संगठन के सम्बन्ध में कर नियोजन (Tax Planning in Reference of Organization)- करदाता व्यवसाय के ऐसे स्वरूप का चयन करता है जिससे कि उसे अधिकतम छूटें व कटौतियाँ प्राप्त हो ताकि जिससे उसके कर दायित्व में कमी हो सके। करदाता द्वारा ऐसे स्वरूप का चयन करना ही संगठन कर नियोजन कहलाता है।

कर नियोजन के आवश्यक तत्त्व या विशेषताएँ (Essential Elements or Features of Tax Planning)

कर नियोजन की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1. कर नियोजन वैध है (Tax Planning is Legal)– यदि कर नियोजन कानून का पालन करते हुए किया गया है तो यह पूर्णरूप से वैध होगा। किन्तु यदि कानून का उल्लंघन करके कर नियोजन किया जाता है तो वह वैधानिक नहीं होगा, उसके लिए करदाता को दण्डित किया जा सकता है। कानून का उल्लंघन करके जो कर की बचत की जाती है वह कालाधन कहलाती है।

2. कर नियोजन नैतिक है (Tax Planning is Moral)- यदि कर नियोजन अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किये बिना किया जाता है तो इसे कानून व समाज द्वारा मान्यता प्राप्त होती है तथा ऐसे कर नियोजन को नैतिक माना जाता है।

3. कर नियोजन से कर भार में कमी (Tax Planning Reduces Tax Liability) – कर नियोजन करने से कर भार में कमी होती है क्योंकि कर नियोजन कर की बचत करने के लिये ही किया जाता है। इससे करदाता की आय में वृद्धि होती है।

4. कर नियोजन एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है (Tax Planning is a Continuous Process)- कर नियोजन एक सतत् प्रक्रिया है। यह प्रत्येक वर्ष चलती रहती है तभी इसका लाभ प्राप्त होता है। करदाता प्रत्येक वर्ष अपनी कर योग्य आय पर चुकाता है इसलिए प्रत्येक वर्ष ही उसे कर नियोजन करना पड़ता है। अतः कर नियोजन एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है।

5. कर नियोजन से आय में वृद्धि होना (Tax Planning Increases In come)– कर नियोजन से आय में वृद्धि होती है क्योंकि, कोई भी करदाता जब कर की बचत करता है तो वह उसकी आय बन जाती है। इस प्रकार करदाता की आय में वृद्धि हो जाती है।

6. कर नियोजन सरकारी नीतियों के अनुरूप होता है (Tax Planning is in Accordance with the Government Policies)- सरकारी नीतियाँ कर नियोजन को प्रोत्साहन प्रदान करती हैं। अधिनियम में सरकार द्वारा विभिन्न घोषणाएँ समय-समय पर की जाती हैं, जिससे कि, करदाता अपने कर भार में कमी कर सके। इस प्रकार कर नियोजन में सरकारी नीतियों का पालन किया जाता है।

7. कर नियोजन वैज्ञानिक है (Tax Planning is Scientific )- कर नियोजन एक वैज्ञानिक विधि है। कर नियोजन वही करदाता कर सकता है जिसे अधिनियम में दी जाने वाली कटौतियों, छूटों आदि की जानकारी हो । विभिन्न कटौतियों, छूटों के द्वारा करदाता इस प्रकार कर नियोजन करता है जिससे कि उसे इनका अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके।

8. कर नियोजन में आयों, व्ययों तथा विनियोगों का नियोजन किया जाता है। (Tax Planning includes Planning of Incomes, Expenditures and Investments)- आयकर अधिनियम में कुछ आयें पूर्णरूप से कर मुक्त होती हैं कुछ आंशिक रूप से। इसी प्रकार कुछ व्ययों की कटौती प्राप्त होती है, विनियोगों के सम्बन्ध में भी विभिन्न कटौतियाँ हो सकती हैं। इसलिए कर नियोजन में ऐसी आयों, व्ययों तथा विनियोगों का नियोजन किया जाता है जिससे करदाता उनका अधिकतम लाभ प्राप्त कर सके तथा अपने कर में बचत कर सके।

9. कर नियोजन के स्वरूप (Forms of Tax Planning)- कर नियोजन के विभिन्न स्वरूप होते हैं जो निम्नलिखित हैं-

(i) बचत करके कर नियोजन करना।

(ii) कर नियोजन निवासीय स्थिति के अनुसार करना।

(iii) आय की अलग-अलग मदों के लिये कर नियोजन करना।

(iv) कुछ योजनाओं में विनियोग करके कर नियोजन करना ।

(v) संगठन में परिवर्तन करके कर नियोजन करना ।

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कर नियोजन के उद्देश्य (Objectives of Tax Planning)

कर नियोजन के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

1. कर भार को कम करना (Reduce Tax Burden)- कर नियोजन का प्रमुख उद्देश्य करदाता के कर दायित्व में कमी लाना है। कर नियोजन एक बौद्धिक कार्य है। कर नियोजन करके करदाता अपने कर भार में जो कमी करता है उससे उसकी आय में वृद्धि होती है। कर नियोजन एक वैधानिक कार्य है। इसको कानून द्वारा मान्यता प्राप्त है।

2. आय में वृद्धि (Increase Income)- कर नियोजन से प्रत्येक करदाता जो अपने द्वारा चुकाये जाने वाले कर की बचत करता है उसी से उसकी आय में वृद्धि होती है। अतः आय में वृद्धि करने के लिए भी कर नियोजन किया जाता है।

3. आर्थिक स्थिरता (Economic Stability)– कर नियोजन का उद्देश्य देश में आर्थिक स्थिरता लाना है। कर नियोजन के बाद किसी भी करदाता की निश्चित आय ज्ञात की जा सकती है जिससे कि आर्थिक स्थिरता लाने में सहायता मिलती है।

4. अर्थव्यवस्था का विकास (Growth of Economy)- राष्ट्र के विकास के लिए यह आवश्यक है कि उस राष्ट्र के निवासी अपनी बचतों को विभिन्न योजनाओं में नियोजत करें, किन्तु, यह तभी सम्भव है जब करदाता को कर में बचत प्राप्त हो । कर नियोजन के द्वारा करदाता अपने कर में बचत करते हैं तथा ऐसी बचतों को विभिन्न योजनाओं में लगाते हैं, जिससे राष्ट्र के आर्थिक विकास में सहायता मिलती है।

5. काले धन में कमी लाना (To Reduce Black Money)- कर नियोजन के द्वारा काले धन में कमी लाई जा सकती है। जो व्यक्ति कर की चोरी करते वे कर नियोजन अपनाकर अपने धन को काला धन होने से बचा सकते हैं। इस प्रकार उनके द्वारा कर नियोजन अपनाकर बचाया गया धन वैधानिक तथा मान्यता प्राप्त होगा ।

6. अन्य उद्देश्य (Other Objects)- कर नियोजन के अन्य उद्देश्य भी हैं जो निम्नलिखित हैं

(i) उत्पादक विनियोग (ii) मुकदमेबाजी को कम करना (iii) जमाखोरी, रिश्वत आदि में कमी लाना (iv) राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि (v) क्षेत्रीय असमानताओं व कमी लाना।

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कर नियोजन की आवश्यकता (Need for Tax Planning)

सभी करदाता अपने द्वारा चुकाये जाने वाले कर की राशि को कम-से-कम करना चाहते हैं। इसके लिये उन्हें कर में नियोजन की आवश्यकता होती है। कोई भी कार्य सोच समझकर करना ही नियोजन कहलाता है। क्योंकि बिना सोच समझकर किये गये कार्य का फल अपेक्षित नहीं होता है। प्रत्येक व्यक्ति को कर चुकाने से पहले अच्छी तरह सोच समझ लेना चाहिए, क्योंकि बाद में ऐसा न हो कि उसे सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं, छूटों, कटौतियों के बारे में पता चले और उसे पछताना पड़े। कर नियोजन की आवश्यकता इसलिए भी होती है क्योंकि अन्य देशों की अपेक्षा हमारे देश में आयकर की दरें अधिक हैं तथा कर के सम्बन्ध में अनेकों कानून हैं। इसलिए करदाता को कर नियोजन की आवश्यकता होती है जिससे वह अपने कर दायित्व को कम कर लेता है।

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कर नियोजन का महत्व (Importance of Tax Planning)

कर नियोजन के महत्व को निम्नलिखित बिन्दुओं से समझा जा सकता है-

1. कर दायित्व कम होना (Reduction in Tax Liability)- कर नियोजन के द्वारा कोई भी करदाता कानून का पालन करते हुए अपने कर दायित्व को कम-से-कम कर सकता है।

2. सरकारी आय में वृद्धि (Increase in Government Income)- कर नियोजन द्वारा ही सरकारी आय में वृद्धि होती है। क्योंकि प्रत्येक वर्ष कुछ-न-कुछ नये करदाता कर नियोजन स प्रेरित होकर कर चुकाने लगते हैं। इस प्रकार सरकारी आय में निरन्तर वृद्धि होती रहती है।

3. आर्थिक विकास (Economic Growth)- कर नियोजन से आर्थिक विकास में उन्नति होती है। क्योंकि जो करदाता कर नियोजन करके विभिन्न योजनाओं में विनियोग करते हैं उनसे आर्थिक विकास में वृद्धि होती है इसलिए कर नियोजन आर्थिक विकास के लिए भी महत्त्वपूर्ण है।

4. रोजगार के अवसर (Opportunity of Employment)– कर नियोजन एक बौद्धिक कार्य है जिसके लिए परामर्श विशेषज्ञों, वित्त सलाहकारों आदि की आवश्यकता होती है। अतः इसके लिए रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं।

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