भूगोल / Geography

जापान में सूती वस्त्र उद्योग की अवस्थिति एवं विकास | Location and development of cotton textile industry in Japan

जापान में सूती वस्त्र उद्योग की अवस्थिति एवं विकास | Location and development of cotton textile industry in Japan
जापान में सूती वस्त्र उद्योग की अवस्थिति एवं विकास | Location and development of cotton textile industry in Japan

जापान में सूती वस्त्र उद्योग की अवस्थिति एवं विकास का वर्णन कीजिए।

वस्त्र उद्योग- जापान में औद्योगीकरण में वस्त्रोद्योग का महत्वपूर्ण स्थान है। द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् वस्त्रोद्योग इंजीनियरिंग, रसायन और लौह एवं इस्पात उद्योग के पश्चात् चौथे स्थान पर हैं, परन्तु कपास, रेयन और सिन्थेटिक फाइबर के निर्यात में द्वितीय (धातुओं के पश्चात्) स्थान पर है। निर्यात में इनका 18 प्रतिशत का योगदान है। जापान में ब्रिटेन की तुलना में कपास के धागों का दो गुना उत्पादन होता है। धागों के उत्पादन में संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के पश्चात् जापान का तृतीय स्थान है। जापान के वस्त्र उद्योग में समस्त रोजगार के लगभग 10 प्रतिशत लोग लगे हुए है। सूती, ऊनी एवं रेशमी धागों के उत्पादन में जापान निरन्तर प्रगति करता रहा है। 1965 में यहाँ 30130 लाख मीटरी टन धागे का उत्पादन हुआ था, जो बढ़कर 2005 में 38,000 लाख मीटरी टन हो गया। धागे के उत्पादन में प्रगति धीमी रही है, क्योंकि अन्य देशों से स्पर्द्धा और आयातित कच्चा माल के कारण उत्पादन व्यय अधिक होने लगा है। फलतः वस्त्रोद्योग लगभग स्थिर हो गया है। 2005 में जापान का कुल सूती और मिश्रित वस्त्र उत्पादन 177 करोड़ वर्ग मीटर था, जो विश्व का 2 प्रतिशत है।

सूती वस्त्र का पहला आधुनिक कारखाना सन् 1867 में दक्षिणी क्यूशू में सत्सूमा के लार्ड ने ब्रिटिश सहायता से लगायां इसके पश्चात् 1878 में ब्रिटिश विशेषज्ञों की सहायता से मिजी सरकार ने दूसरा कारखाना लगाया। इस कारखाने में निर्मित वस्त्र की लागत विश्व के किसी भी देश में निर्मित वस्त्र की लागत से कम आई। अतः 1890 के पश्चात् जापाने का वस्त्र उद्योग में प्रसिद्ध हो गया द्वितीय विश्व युद्ध तक वस्त्र उद्योग में तीव्र गति से वृद्धि हुई। 1966 में सिन्थेटिक वस्त्रों के उत्पादन और माँग के कारण वस्त्रोद्योग में 200 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुईं 1934 में जापान विश्व में सर्वाधिक सूती वस्त्रोत्पादक देश था, क्योंकि वस्त्रोत्पादन साम्पूर्ण औद्योगिक उत्पादन का 34 प्रतिशत था परन्तु 1967 में चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका वस्त्र उत्पादन में जापान से ओ निकल गये जिसके परिणामस्वरूप इसका उत्पादन प्रतिशत घटकर केवल 9 प्रतिशत रह गया।

सूती वस्त्र उद्योग- 1967 में सूती वस्त्र का महत्व सिन्थेटिक वस्त्र की तुलना में कम हो गया। 1960 के बाद से सूती वस्त्रों के निर्यात में निरन्तर कमी आती गई, फिर भी जापान इस काल तक विश्व का प्रथम सूती वस्त्र से सम्बन्धित सामानों का निर्यातक देश था। यह विश्व के समस्त निर्यात का 30 प्रतिशत सूती वस्त्र निर्यात करता था। कच्चे माल की पूर्ति के लिए समस्त कपास का 50 प्रतिशत कपास उत्तरी अमेरिका से आयात किया जाता था। 1966 में मैक्सिको से 28 प्रतिशत तथा संयुक्त राज्य अमेरिका से 26 प्रतिशत कपास का आयात किया गया। शेष कपास भारत, पाकिस्तान, ब्राजील और मिस्र से आयात की जाती थी। सस्ती मजदूरी पर कार्य करने के लिए यहाँ की सरकार महिलाओं को प्रोत्साहित करती रही है।

मिजी काल से पूर्व जापान में कपास उत्पन्न की जाती थी परन्तु बाद में सस्ते दर पर कपास आयात होने के कारण कपास का उत्पादन कम हो गया। परन्तु अधिकांश मिलें उन क्षेत्रों में स्थापित की गई थी, जो कपास उत्पादक क्षेत्र में आन्तरिक सागर के निकटवर्ती क्षेत्र, नोबी और काण्टो मैदान तथा जापान सागर तटीय क्षेत्र होकूटिंकू के टारेयामा क्षेत्र प्रमुख कपास उत्पादक क्षेत्र थे। इन क्षेत्रों में स्थापित मिलों में प्रायः कताई और बुनाई का कार्य होता है। बड़े पैमाने पर बुनाई का कार्या चुवयों, हान्शिन आन्तरिक सागर के ऊपरी तटीय वड़े नगरों और तथा टोयाना में होता है। कताई का कार्य उत्तरी क्यूशू और कीहिन में भी किया जाता है। बाद में बुनाई और कताई को सम्बद्ध कर दिया जा रहा है। ऐसी मिलें ओसाका ओर नगोया में अधिक केन्द्रित है।

सूती वस्त्र उद्योग यहाँ लघु और बड़े स्तर के उद्योगों के रूप में विकसित है। अधिकांश मिलें केवल एक ही कार्य करती है। बड़ी-बड़ी मिलों में बुनाई और रंगाई का कार्य अपेक्षेकृत कम होता है। अधिकांश बड़े आकार की इकाइयाँ कताई का कार्य विशेष रूप से करती है। ऐसी 10 बड़ी इकाइयों में देश का 66 प्रतिशत धागा तैयार किया जाता है।

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