भारत की राष्ट्रीय आय के कम होने के कारण
भारत की राष्ट्रीय एवं प्रति व्यक्ति आय कम होने के कारण-
(1) बढ़ती हुई जनसंख्या
भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ी है। लगभग 2.5 प्रतिशत प्रति वर्ष जनसंख्या बढ़ी है। बढ़ी हुई जनसंख्या, बढ़ी हुई आय को निगल जाती है तथा प्रति व्यक्ति आय घट जाती है। इससे राष्ट्रीय उत्पादन की दर भी 2 प्रतिशत कम है, जबकि जनसंख्या की दर 2.5 प्रतिशत है। इस प्रकार भी प्रति व्यक्ति आय एवं राष्ट्रीय आय घट रही है।
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(2) पूँजी का अभाव
भारत में प्रति व्यक्ति आय निम्न है जिसके कारण लोग बचत नहीं कर पाते हैं तथा साथ में वे अपने उपलब्ध साधनों का शोषण भी नहीं कर पाते है। इस प्रकार देश में पूँजी का अभाव बना रहता है। इसका नतीजा होता है कि देश में पूँजी की कमी से आर्थिक विकास के लिए अधिक उद्योग-धन्धे स्थापित नहीं हो पाते हैं और उत्पादन में वृद्धि नहीं हो पाती.. है जिसके कारण प्रति व्यक्ति एवं राष्ट्रीय आय निम्न रह जाती है।
(3) साहसी योग्यता का अभाव
भारत में योग्य उद्यमियों की कमी है। लोग नये-नये व्यवसाय एवं उद्योग-धन्धों को स्थापित करने में जोखिम नहीं उठाना चाहते। अधिक उद्यमियों की उपलब्धता की कमी होने में सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति भी कम दायित्वपूर्ण नहीं है। इस प्रकार उत्पादन में वृद्धि नहीं हो पाती है और प्रति व्यक्ति तथा राष्ट्रीय आय कम रहती है।
(4) आधारभूत सेवाओं का अभाव
भारत में आधारभूत सेवाओं जैसे परिवहन, संचार, बीमा, बैंक, विद्युतशक्ति, वित्तीय संस्थाएँ आदि की कमी है जिससे उत्पादन में वृद्धि नहीं हो पाती है। उत्पादन न बढ़ने से प्रति व्यक्ति एवं राष्ट्रीय आय घट जाती है।
(5) निम्न उत्पादकता
भारतीय श्रमिक की अन्य देशों की तुलना में प्रति व्यक्ति उत्पादकता बहुत कम है। कृषि श्रमिक की उत्पादकता लगभग नगण्य है और श्रमिकों का राष्ट्रीय आय में योगदान बहुत कम है। इस प्रकार कुल उत्पादन में इन श्रमिकों के उत्पादन से कोई विशेष परिवर्तन न होने से राष्ट्रीय आय कम है।
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(6) प्राकृतिक संसाधनों का उचित विदोहन न होना
भारत में प्राकृतिक साधनों जैसे भूमि, जल, वन, खनिज सम्पदा का बहुतायत हैं, किन्तु पूँजी की कमी व अन्य कारणों से उनका पूर्ण रूप से विदोहन नहीं हो पाता है। इस प्रकार देश के उपलब्ध साधनों का प्रयोग न होने से राष्ट्रीय आय नहीं बढ़ पाती है।
(7) सीमित बाजार
भारत में प्रति व्यक्ति आय कम होने का यह भी कारण है कि यहाँ पर वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए बाजारों का अभाव है। यहाँ वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन उनकी माँग से कम होता है और परिणामस्वरूप न तो नयी वस्तुओं का निर्माण होता है और न कुल उत्पादन में वृद्धि होती है। अतएव राष्ट्रीय आय कम हो जाती है।
भारत में राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने के सुझाव
राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिये जा सकते है-
(1) आधारभूत सेवाओं का विस्तार
आधारभूत सेवा, जैसे-यातायात व परिवहन, संदेशवाहन, स्वास्थ्य, शिक्षा, शक्ति आदि सेवाओं का विस्तार करना होगा, क्योंकि इनके अभाव में अधिक उत्पादन बढ़ाना सम्भव नहीं है।
(2) जनसंख्या वृद्धि को रोकना
सर्वप्रथम जनसंख्या वृद्धि को रोकना होगा क्योंकि बढ़ती हुई जनसंख्या उत्पादन वृद्धि को निगल जाती है। इसके लिए उपयुक्त जनसंख्या नीति बनानी होगी।
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(3) बचतों को प्रोत्साहन एवं पूँजी निर्माण
देश में अधिक उत्पादन बढ़ाने के लिए अधिक बचत एवं पूँजी की आवश्यकता होती हैं। लोगो को अधिक बचत करने का प्रोत्साहन दिया जाय तथा अधिक से अधिक बचत एकत्रित करने वाली संस्थाओं का विस्तार किया जाय। अधिक पूँजीगत उद्योगों की स्थापना करके उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।
(4) कृषि का आधुनिकीकरण
यद्यपि कृषि के आधुनिकीकरण करने के प्रयास हुए है, किन्तु अभी भी कृषि काफी क्षेत्रों में परम्परागत तरीके से होती है। उन्नत खाद, बीज एवं सुधरी तकनीकी का प्रयोग करके उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।
(5) प्राकृतिक साधनों का उचित विदोहन
भारत में प्राकृतिक साधनों की बाहुल्यता है, किन्तु उनक अभी तक उचित विदोहन नहीं हो पाया है। देश में उत्पादन बढ़ाने के लिए इन प्राकृतिक साधनों का शोषण या उचित विदोहन आवश्यक है। ऐसा तभी सम्भव है जब पर्याप्त मात्रा में पूँजी उपलब्ध हो ।
(6) उद्योगों की अप्रयुक्त क्षमता का पूर्ण उपयोग करना
भारत में राष्ट्रीय आय कम होने का यह भी एक कारण है कि जो उद्योग स्थापित हो गये हो, उनकी भी प्रयुक्त क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं हो पाता है। उत्पादन बढ़ाने के लिए इनकी क्षमता का अधिक से अधिक उपयोग करना होगा।
(7) उद्यमियों को पर्याप्त सुविधाएँ एवं प्रेरणा देना
भारत में उत्पादन तेजी से तभी बढ़ सकता है जब उसमें उद्यमियों का सक्रिय योगदान हो, किन्तु यहाँ इनका नितान्त अभाव है। अत: उद्यमियों को पर्याप्त सुविधाएँ एवं प्रेरणा देकर इस अभाव को दूर किया जा सकता है।
(8) शक्ति साधनों में वृद्धि
देश में उत्पादन बढ़ाने के लिए शक्ति के धनों में वृद्धि करना बहुत आवश्यक है। कोयला, पेट्रोल, आदि तो सीमित है, किन्तु ऊर्जा के अन्य साधन जल एवं अणु से अधिक मात्रा में विद्युत बनायी जा सकती है। इसके लिए हमें अधिक साधन जुटाने में होंगे।
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