राष्ट्रीय आय (National Income)
राष्ट्रीय आय (National Income) – राष्ट्रीय आय किसी देश द्वारा एक वर्ष में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं व सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है। इसमें वस्तुओं व सेवाओं में अंतिम वस्तुएं व सेवाओं को सम्मिलित किया जाता है। इन वस्तुओं का उपयोग उपभोग में होता है न कि पुन: उत्पादन में । पुनः उत्पादित वस्तुएं मध्यवर्ती वस्तुएं कहलाती है। मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्य को राष्ट्रीय आय से नहीं जोड़ा जाता है। केवल अंतिम वस्तुओं के मूल्य को इसमें शामिल किया जाता है।
इसे भी पढ़े…
राष्ट्रीय आय के विभिन्न घटक (Various components of N.I.)
(1) कुल राष्ट्रीय उत्पाद
किसी देश में एक वर्ष की अवधि में उत्पादन अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं के बाजार कीमत पर) द्राव्यिक मूल्य के योग को कुल राष्ट्रीय आय उत्पाद कहते हैं। कुल राष्ट्रीय उत्पाद की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
(अ) कुल राष्ट्रीय उत्पादन में ‘कुल’ शब्द का प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसमें पूँजी के मूल्य ह्रास की राशि सम्मिलित रहती है, उसे घटाया नहीं जाता है।
(ब) कुल राष्ट्रीय उत्पादन में केवल ‘अन्तिम वस्तुओं’ एवं ‘सेवाओं’ के द्राव्यिक मूल्य को शामिल किया जाता है।
इसे भी पढ़े…
(2) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन
किसी वर्ष के ‘कुल राष्ट्रीय उत्पाद’ में से यदि उस वर्ष में होने वली पूँजी के मूल्य-हास को घटा दिया जाय तो ‘शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद’ प्राप्त हो जाता है। इसमें ह्रास की राशि को विनियोग किया जाता है जिसका उपयोग पूँजी को प्रतिस्थापित करने में होता है।
(3) राष्ट्रीय आय या साधन लागत पर राष्ट्रीय आय
साधन लागत पर राष्ट्रीय आय से आशय होता है कि शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद की व्यवस्था करने में उत्पादन के साधनों को कितनी आय प्राप्त हुई है या उनकी सेवाओं के फलस्वरूप उन्हें कितना प्रतिफल प्राप्त हुआ है। संक्षेप में-
साधन लागत पर राष्ट्रीय आय = बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय आय – अप्रत्यक्ष कर।
इसे भी पढ़े…
(4) वैयक्तिक आय
एक वर्ष की अवधि में किसी देश के सभी व्यक्तियों अथवा परिवारों को जितनी आय वास्तव में प्राप्त होती है, उसे वैयक्तिक आय कहते हैं। वैयक्तिक आय ज्ञात करने के लिए राष्ट्रीय आय में से साधनों की आय के उस भाग को घटा दिया जाता है जो उन्हें प्राप्त नहीं होता है, तथा विभिन्न व्यक्तियों या परिवारों को जो हस्तान्तरणीय भुगतान प्राप्त होते हैं उन्हें जोड़ना पड़ता है। संक्षेप में-
वैयक्तिक आय = राष्ट्रीय आय (सामाजिक सुरक्षा अंशदान नियम आय कर + अवितरित अंशदान) + हस्तान्तरणीय भुगतान।
(5) द्वय योग्य आय
प्रत्यक्ष करों का भुगतान करने के पश्चात् जो आय बचती है। उसे ‘द्वय योग्य आय’ कहते हैं। संक्षेप में-
द्वय योग्य आय = वैयक्तिक आय – प्रत्यक्ष कर ।
वैयक्तिक आय तथा द्वय योग्य आय का अन्तर वैयक्तिक करों के द्राव्यिक भार को बताता है, इस दृष्टि से द्वय योग्य आय का विचार उपयोगी हो जाता है।
इसे भी पढ़े…
राष्ट्रीय आय का महत्व
(1) राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय के आधार स्वदेश एवं अन्य देशों से तुलना की जा सकती है और यह देखा जा सकता है कि देश कितना आगे या पीछे है।
(2) यह सरकार की नीतियों के निर्धारण में एक आधार का कार्य करती है।
(3) इसके द्वारा इस बात का पता लगाया जा सकता है कि देश में भावी प्रवृत्ति किस प्रकार होगी, वह किस दशा में बढ़ेगी।
(4) राष्ट्रीय आय के द्वारा एक देश की आर्थिक प्रगति का आँकलन किया जा सकता
(5) इसके द्वारा अर्थव्यवस्था में हुए परिवर्तनों का पता लगाया जा सकता है और सरकारी नीति अपनाने के लिए इसको आधार माना जा सकता है।
(6) इसके आधार पर विभिन्न देशों का तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकता है।
(7) राष्ट्रीय आय में वृद्धि से देश में औद्योगिक विकास को बल मिलता है।
(8) परिवहन, संचार, ऊर्जा, बैंकिंग व बीमा क्षेत्रों का निबल राष्ट्रीय उत्पाद में बढ़ता हुआ हिस्सा इस बात का संकेत हैं कि देश की आर्थिक संरचना का प्रसार व विकास हो रहा है।
Important Links
- बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ | Bal Vikas ki Vibhinn Avastha
- बाल विकास की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- विकास के प्रमुख सिद्धांत-Principles of Development in Hindi
- वृद्धि तथा विकास के नियमों का शिक्षा में महत्त्व
- अभिवृद्धि और विकास का अर्थ
- वृद्धि का अर्थ एवं प्रकृति
- बाल विकास के अध्ययन का महत्त्व
- श्रवण बाधित बालक का अर्थ तथा परिभाषा
- श्रवण बाधित बालकों की विशेषताएँ Characteristics at Hearing Impairment Children in Hindi
- श्रवण बाधित बच्चों की पहचान, समस्या, लक्षण तथा दूर करने के उपाय
- दृष्टि बाधित बच्चों की पहचान कैसे होती है। उनकी समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- दृष्टि बाधित बालक किसे कहते हैं? परिभाषा Visually Impaired Children in Hindi
- दृष्टि बाधितों की विशेषताएँ (Characteristics of Visually Handicap Children)
- विकलांग बालक किसे कहते हैं? विकलांगता के प्रकार, विशेषताएँ एवं कारण बताइए।
- समस्यात्मक बालक का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, कारण एवं शिक्षा व्यवस्था
- विशिष्ट बालक किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रतिभाशाली बालकों का अर्थ व परिभाषा, विशेषताएँ, शारीरिक विशेषता
- मानसिक रूप से मन्द बालक का अर्थ एवं परिभाषा
- अधिगम असमर्थ बच्चों की पहचान
- बाल-अपराध का अर्थ, परिभाषा और समाधान
- वंचित बालकों की विशेषताएँ एवं प्रकार
- अपवंचित बालक का अर्थ एवं परिभाषा
- समावेशी शिक्षा का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ और महत्व
- एकीकृत व समावेशी शिक्षा में अन्तर
- ओशों के शिक्षा सम्बन्धी विचार | Educational Views of Osho in Hindi
- जे. कृष्णामूर्ति के शैक्षिक विचार | Educational Thoughts of J. Krishnamurti
- प्रयोजनवाद तथा आदर्शवाद में अन्तर | Difference between Pragmatism and Idealism
- प्रयोजनवाद का अर्थ, परिभाषा, रूप, सिद्धान्त, उद्देश्य, शिक्षण विधि एंव पाठ्यक्रम
- प्रकृतिवादी और आदर्शवादी शिक्षा व्यवस्था में क्या अन्तर है?
- प्रकृतिवाद का अर्थ एंव परिभाषा | प्रकृतिवाद के रूप | प्रकृतिवाद के मूल सिद्धान्त