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शिक्षा एवं समाज किस प्रकार से एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं ? 

शिक्षा एवं समाज किस प्रकार से एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं ? 
शिक्षा एवं समाज किस प्रकार से एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं ? 
शिक्षा एवं समाज किस प्रकार से एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं ? 

शिक्षा एवं समाज किस प्रकार एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं, यह जानने के लिए शिक्षा का समाज पर प्रभाव तथा समाज का शिक्षा पर प्रभाव जानना आवश्यक है-

(क) शिक्षा का समाज पर प्रभाव 

शिक्षा समाज पर निम्नलिखित प्रभाव डालती है –

(1) शिक्षा सामाजिक विरासत का संरक्षण करती है – प्रत्येक समाज के अपने कुछ रीति-रिवाज, परम्पराएँ, नैतिकता, विश्वास, धर्म, पहनावा, रहन-सहन, बोली भाषा अर्थात सभ्यता एवं संस्कृति होती है। शिक्षा इस सामाजिक विरासत को आने वाली पीढ़ियों को हस्तान्तरित करती है।

(2) शिक्षा सामाजिक सुधार व प्रगति करती है- शिक्षा समाज के सदस्यों को इस योग्य बनाती है कि वे समाज में प्रकट होने वाले दोषों की आलोचना करते हैं। इतना ही नहीं वे उसके समक्ष नवीन विचार और कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं। उसे प्रगति को ओर ले जाने का प्रयास करते हैं।

(3) शिक्षा सामाजिक नियन्त्रण करती है- शिक्षा समाज के विभिन्न दोषों, कुरीतियों और कुप्रथाओं के विरुद्ध जनमत का निर्माण करके उनको फलने से रोकती है और उसका अन्त भी करती है अर्थात शिक्षा सामाजिक अव्यवस्था पर रोक लगाती है।

(4) शिक्षा सामाजिक परिवर्तन करती है- सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा का बहुत बड़ा योगदान होता है। नाजी जर्मनी में शिक्षा का प्रयोग बालकों के दृष्टिकोण में परिवर्तन करके समाज में परिवर्तन करने के लिए किया गया। भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन के पीछे भी आधुनिक शिक्षा का बहुत बड़ा योगदान है।

(5) शिक्षा बालक का सामाजीकरण करती है – विद्यालय बालक को सामाजिक, मानसिक एवं संवेगात्मक विकास के लिए प्रेरणा देता है। विद्यालय में ही उसे सामाजिक और सांस्कृतिक आदर्शों एवं मान्यताओं की शिक्षा प्राप्त होती है। इस प्रकार विद्यालय में शिक्षा के द्वारा बालक का संस्कृतिकरण अर्थात समाजीकरण में योगदान देती है।

(ख) समाज का शिक्षा पर प्रभाव

समाज भी शिक्षा पर निम्नवत प्रभाव डालती है-

(1) समाज के स्वरूप का शिक्षा पर प्रभाव – समाज के स्वरूप का शिक्षा पर सीधा-सीधा प्रभाव पड़ता है जिस देश व समाज की व्यवस्था लोकतान्त्रिक होती है वहाँ की शिक्षा में स्वतन्त्रता, समानता, मातृत्व व न्याय को महत्व दिया जाता है। जहाँ निरंकुश समाज होता है वहाँ कट्टरता, संकीर्णता, स्वेच्छाचारिता इत्यादि को महत्व दिया जाता है।

(2) सामाजिक परिस्थितियों का शिक्षा पर प्रभाव – समाज की दशा में जैसे-जैसे परिवर्तन होता है वैसे-वैसे समाज की परिस्थितियों में बदलाव आता है और इस परिवर्तन का सीधा प्रभाव शिक्षा के स्वरूप पर पड़ता है।

(3) सामाजिक दृष्टिकोण का प्रभाव – समाज का दृष्टिकोण शिक्षा को स्पष्ट रूप से प्रभावित करता है। यदि समाज का दृष्टिकोण रूढ़िवादी है तो इसके विद्यालयों का कार्य बालकों को औपचारिक और परम्परागत शिक्षा देना होगा। यदि समाज का दृष्टिकोण प्रगतिवादी है तो उसके विद्यालयों में बालकों को प्रगतिशील सोच वाली शिक्षा प्रदान की जाती है।

(4) समाज की आर्थिक दशाओं का प्रभाव – समाज की आर्थिक दशा का एक समाज की शिक्षा पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। अच्छी आर्थिक दशा वाले समाज में शिक्षा प्राय: सर्व सुलभ होती है। उच्च गुणवत्तापरक तथा श्रेष्ठ होती है। किन्तु शासक की मंशा भी नैतिक होनी चाहिए।

(5) समाज की राजनीतिक दशाओं का प्रभाव – किसी भी देश की शिक्षा प्रणाली पर उस देश की राजनीतिक दशाओं का प्रभाव अवश्य पड़ता है। सत्ता की यह प्राथमिकता होती है कि वह अपने आदर्शों, योजनाओं को शिक्षा व्यवस्था में अवश्य समाहित करे। यही कारण है कि राजनीतिक दशाएँ शिक्षा को निश्चित रूप से प्रभावित करती हैं।

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