B.Ed. / BTC/ D.EL.ED / M.Ed.

उपभोक्ता अधिकार एवं उपभोक्ता संरक्षण कानून | Consumer Rights and Consumer Protection Act

उपभोक्ता अधिकार एवं उपभोक्ता संरक्षण कानून
उपभोक्ता अधिकार एवं उपभोक्ता संरक्षण कानून

उपभोक्ता अधिकार एवं उपभोक्ता संरक्षण कानून पर टिप्पणी लिखिए। 

उपभोक्ता अधिकार- वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति एक उपभोक्ता है, जैस व्यवसाय, आयु, लिंग, समुदाय तथा धार्मिक विचार से संबंधित कोई भी हो वह उपभोक्ता है। उपभोक्ता अधिकार एवं कल्याण आज प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का अविभाज्य हिस्सा बन गया है और हमने अपने दैनिक जीवन में इस सभी का कहीं न कहीं उपयोग किया है। 9 अप्रैल, 1985 एक महत्त्वपूर्ण उल्लेखनीय दिवस है। जब संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा उपभोक्ता संरक्षण के लिए मार्गदर्शी सिद्धान्तों का एक सैट अपनाया गया और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव को नीति में बदलाव या कानून द्वारा इस सिद्धान्तों को अपनाने के लिए सदस्य देशों से बातचीत करने का अधिकार दिया गया। इन मार्गदर्शी सिद्धान्तों में एक व्यापक नीति रूपरेखा का गठन किया गया। जिसमें निम्न क्षेत्रों में उपभोक्ता संरक्षण के लिए सरकार द्वारा किए जाने वाले कार्यों की जरूरत की जानकारी दी गयी।

  1. भौतिक सुरक्षा
  2. उपभोक्ता के आर्थिक हितों की सुरक्षा एवं प्रोत्साहन
  3. उपभोक्ता वस्तुओं एवं सेवाओं की सुरक्षा तथा गुणवत्ता के लिए मानक
  4. राहत पाने के लिए उपभोक्ताओं को सक्षम बनाने हेतु साधन
  5. विशिष्ट क्षेत्रों (भोजन, पानी एवं दवाएँ) से संबंधित साधन
  6. उपभोक्ता शिक्षा एवं सूचना कार्यक्रम।

अब यह सभी जगह स्वीकार कर लिया गया है कि उपभोक्ता को अधिकार है कि उसे शोषण में बचाने हेतु सभी संगल जानकारियाँ प्रदान की जाएँ और बाजार से उत्पाद एवं सेवाएँ लेते समय उसे पर्याप्त विकल्प प्रदान किए जाएँ। ये अधिकार राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय दोनों ही मंचों पर परिभाषित तथा सरकार के समान अनेक अभिकरण एवं स्वयं सेवी संगठन नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए निरन्तर कार्य करते हैं।

प्रत्येक वर्ष 15 मार्च को “विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस” के रूप में मनाया जाता है। यह अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ. कनेडी द्वारा की गई एक ऐतिहासिक घोषणा में बताया गया था. जिसमें चार मूलभूत अधिकार बताए गए हैं-

  1. सुरक्षा का अधिकार
  2. सूचना पाने का अधिकार
  3. चुनने का अधिकार
  4. सुने जाने का अधिकार।

इस घोषणा से अन्ततः यह मान्य हुआ जिसे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर माना गया कि सभी नागरिक चाहे उनकी आय या सामाजिक स्थिति कोई भी हो, उन्हें उपभोक्ता के रूप में मूलभूत अधिकार हैं।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 में पारित किया गया। भारत में 24 दिसम्बर को ‘राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। सूचना का अधिकार अधिनियम जिससे हमारे देश में शासन प्रक्रिया में एक खुलापन आया है और साथ ही इससे अब उपभोक्ता संरक्षण के लिए दूरगामी निहितार्थ शामिल है। अधिनियम के अनुसार उपभोक्ता को निम्नानुसार परिभाषित किया है।

(1) कोई व्यक्ति जो विचार हेतु सामान खरीदता है एवं कोई व्यक्ति जो बिक्री करने वालों की अनुमति से इन वस्तुओं का उपयोग करता है।

(2) कोई व्यक्ति जो विचार हेतु कोई सेवा किराए पर लेता है एवं इन सेवाओं से कोई लाभार्थी बशर्ते कि सेवा का लाभ उस व्यक्ति के अनुमोदन से लिया गया है, जिसने विचार हेतु सेवाएँ किराए पर ली थीं।

इस अधिनियम में उपभोक्ताओं के निम्नलिखित अधिकारों को प्रवर्तन एवं संरक्षण की कल्पना की गयी है-

(1) सुरक्षा का अधिकार- इसका अर्थ है- वस्तुओं एवं सेवाओं का विपणन के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करना जो जीवन एवं सम्पत्ति के लिए जोखिम पूर्ण है। खरीदने से पहल उपभोक्ता द्वारा वस्तुओं की गुणवत्ता पर जोर दिया जाना चाहिए एवं साथ ही उत्पाद एवं सेवाओं की गारन्टी पर बल दिया जाना चाहिए।

(2) सूचना पान का अधिकार- इसका अर्थ है वस्तुओं की मात्रा, गुणवत्ता शक्ति, शुद्धता स्तर एवं मूल्य के बारे में जानकारी पान का अधिकार हो ताकि व्यापार प्रथाओं के विरुद्ध उपभोक्ता को सुरक्षा दी जा सके। उपभोक्ता द्वारा एक उत्पाद या सेवा के बारे में सभी जानकारी पाने पर बल दिया जाना चाहिए ताकि वह निर्णय या विकल्प के पहले स पर विचार कर सके।

(3) चुनने का अधिकार- इसका अर्थ है- आश्वस्त होने का अधिकार, जहाँ भी प्रतिस्पर्धी कीमत पर वस्तुओं एवं सेवाओं की किस्मों तक पहुँचाना सम्भव है। जहाँ किसी का एकाधिकार है इसका अर्थ है- संतोषजनक गुणवत्ता की ओर सवा का आश्वासन उचित मूल्य पर जाना।

(4) सुने जाने का अधिकार- उपभोक्ताओं के हितों पर उपयुक्त मंचों में पर्याप्त ध्यान दिया जाना चाहिए। उपभोक्ताओं द्वारा गैर-राजनीतिक एवं गैर-वाणिज्यिक उपभोक्ता संगठन बनाए जाने चाहिए।

(5) विवाद सुलझाने का अधिकार- अनुचित व्यापार प्रथाओं या उपभोक्ताओं के गलत शोषण के विरुद्ध विवाद सुलझाने का अधिकार। इसमें उपभोक्ताओं की वास्तविक शिकायतों के उचित निपटारे का अधिकार भी सम्मिलित है। उपभोक्ताओं द्वारा अपनी वास्तविक शिकायतों के लिए शिकायत दर्ज कराई जानी चाहिए।

Important Links

Disclaimer

Disclaimer: Sarkariguider.in does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment