टिप्पणी लेखन के आवश्यक गुण
टिप्पणियाँ कार्यालयीय कार्यों को सुविधाजनक बनाती हैं। टिप्पणियाँ कार्यालयों की अधारशीला कही जाती हैं। जो कर्मचारी टिप्पणी लेखन में जितना प्रवीण और दक्ष होता है, कार्यसंपादन की गति को उतना ही बल मिलता है। कार्यों में टिप्पणी के रूप में त्वरा और क्षिप्रता आ जाती है। अतः टिप्पणी लेखन के बाद कुछ निश्चित मानदण्ड सिद्धान्त या आवश्यक गुण तथा विशेषताएँ होती हैं, जिसके पालन से कार्यों की गुणवत्ता तो बढ़ती ही है, अनावश्यक माथा-पच्ची तथा बेजाँ समय के जाया होने से बचा जा सकता है। अत: इस सम्बन्ध में-
(1) डॉ. विजयपाल सिंह कहते हैं कि टिप्पणियाँ संक्षिप्त, विषयानुरूप तथा अनावश्यक पुनरावृत्ति रहित होनी चाहिए। टिप्पणी विचाराधीन कागज-पत्र(आवती) को न अक्षराशः उतारें और न वाक्यों का सार दें। टिप्पणी तथा आदेश सामान्यत: नोट शीटों पर लिखे जाते हैं। यदि टिप्पणी उसी फाइल पर लिखी गयी है, जिसमें तथ्यों का क्रमांक सार पहले से ही विद्यमान है तो ऐसी स्थिति में सार की पुनरावृत्ति न कर केवल क्रमिक सार के सन्दर्भ का उल्लेख करें। अधिकारी को आदेश या सुझाव देते समय अपनी टिप्पणी में उन बातों पर बल नहीं देना चाहिए जो बातें पिछली टिप्पणियों में पहले से ही हैं, बल्कि उन वास्तविक मुद्दों तक सीमित रहना चाहिए, जिनको वह प्रस्तुत करना चाहता है।
(2) टिप्पणी में पृष्ठ संख्या का उल्लेख होना चाहिए, टिप्पणी को परिच्छेदों में विभाजित करना चाहिए और पहले परिच्छेद को छोड़कर अन्य परिच्छेदों की संख्या डालनी चाहिए।
(3) डॉ. विनोद गोदरे का विचार है कि टिप्पणी को भाषा-प्रयोग के सम्बन्ध में अत्यधिक सावधान रहना चाहिए। उसे ऐसी भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए, जिससे किसी प्रकार की असंगति अथवा भ्रान्ति पैदा होने की संभावना हो। भाषा इतनी साफ-सुथरी और अभिप्राय इतना सष्ट होना चाहिए कि अधिकारी टिप्पणीकार की नीयत पर किसी तरह का कोई संदेह न करे। अलंकृत, सांकेतिक, जटिल भाषा एवं कहावतों-मुहावरों की लाक्षणिक व्यंजनामयी अभिव्यक्तियों का उपयोग टिप्पणीक को नहीं करना चाहिए। इनमें अर्थभेद होने का खतरा हो जाता है।
(4) डॉ. चन्द्रभान अच्छी टिप्पणी के लक्षणों पर प्रकाश डालते हुये कहते हैं कि यदि आवश्यकता न हो तो फाइल के साथ टिप्पणी न भेजी जाये,साथ ही किसी मामले के निपटान हेतु उच्च अधिकारी के पास कोई ऐसा पत्रादि न भेजा जाये, जिससे अधिकारी का ध्यान बँटने की संभावना हों। अधिकारी को भेजी जाने चाली टिप्पणी में किसी भी नीतिपरक प्रश्न अथवा किसी अधिकारी या कर्मचारी की आचरण सम्बन्धी आलोचना नहीं की जानी चाहिए।
(5) किसी उत्तम टिप्पणी के लिए अनुपालनीय तथ्य यह है कि कर्मचारी द्वारा प्रस्तुत टिप्पणी के नीचे बाई ओर और अधिकारी द्वारा प्रस्तुत टिप्पणी के दाई ओर पूरे हस्ताक्षर दिनांक सहित अंकित करना चाहिए।
(6) भाषिक सजगता के साथ-साथ टिप्पणियों में कुछ व्याकरणिक अनुशासनों का पालन भी अपरिहार्य होता है, यथा- उत्तम तथा मध्यम पुरुष में टिप्पणी लेखन कतई नहीं करना चाहिए, साफ शब्दों में, टिप्पणी में ‘तुमने’ ‘मैंने’ या आपने’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल न होना चाहिए। कुल मिलाकर टिप्पणी अन्य पुरुष में हो।
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