काले धन की समस्या पर निबंध
प्रस्तावना- वर्तमान समय में रुपए का मूल्य बहुत कम हो रहा है अर्थात् रुपए की क्रय शक्ति का बहुत हास हुआ है। पूरा विश्व आर्थिक मन्दी के दौर से गुजर रहा है, जिसके लिए प्रमुख रूप से काला धन उत्तरदायी है। दूसरे विश्वयुद्ध के पश्चात् काले धन ने अनेक आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं को जन्म दिया है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् से तो यह समस्या और भी विकट होती जा रही है। जानकारों का मत है कि व्यापारी, जमाखोर, राजनीतिज्ञ एवं नौकरशाहो की मिलीभगत एवं षड्यन्त्र से काला धन कमाने का धन्धा होता है। कालेधन के संग्रह से सबसे अधिक लाभ भी पैसे वालों का ही होता है।
काले धन से अभिप्राय- काला धन अर्थात् गैर कानूनी धन जो अनैतिक साधनों तथा कर चोरी से उपर्जित किया जाता है। यह धन लोगों के पास गुप्त रूप से जमा रहता है। जबतक कि यह धन छिपे हुए खजानों तथा तालों में पड़ा रहता है तथा वितरण व प्रसारण आदि से यह धन बाहर ही रहता है, क्योंकि यह उस धन की मात्रा को कम कर देता है। इस धन का कोई हिसाब-किताब नहीं होता, क्योंकि यह धन गलत तरीकों से कमाया जाता है। किसी को नहीं पता होता कि यह धन कहाँ से कैसे प्राप्त हुआ। सामान्य भाषा में इसे दो नम्बर का पैसा कहते हैं। इस धन के प्रमुख स्रोत उत्पादनकर, आयकर, मृत्युकर, सम्पत्तिकर, सीमाशुल्क, बिक्रीकर आदि की चोरी है। तस्करी, रिश्वत खोरी आदि द्वारा कमाया गया धन काले धन की श्रेणी में ही आता है।
काले धन के स्रोत- कालाधन का कोई हिसाब-किताब न होने के कारण लोग इसका सदुपयोग मकान, दुकान, स्वर्ण आभूषण अथवा दूसरी चल-अचल सम्पत्ति के रूप में करते हैं। आज घर में पैसा रखना तो सुरक्षित नहीं है, न इतना पैसा बैंक में रखा जा सकता है, इसलिए लोग काले धन को इस रूप में इस्तेमाल करते हैं। काला धन वैसे भी छोटे-मोटे व्यापारी या नौकरी-पेशा व्यक्ति के पास तो होता नहीं है, वरन् यह तो बड़े-बड़े उद्योगपतियों, जमींदारों या सरकारी अफसरों के पास होता है। राजनीतिज्ञों के पास तो यह धन बहुतायत में होता है। पिछले कुछ वर्षों में काले धन के बारे में लोगों में काफी दिलचस्पी बढ़ी है क्योंकि आज का युग भौतिकवादी युग है। यदि कोई व्यक्ति ईमानदारी से कार्य करके पैसा कमाना भी चाहे तो वह केवल दो जून की रोटी ही मुश्किल से खा सकता है। अतः आज बहुत से साधारण लोग भी इसके मोह-जाल में फंस चुके हैं। तेजी से फैलने वाले इस प्रलोभनकारी छूत रोग की चपेट में आज अनेक सज्जन लोग भी आ चुके हैं।
काले धन की अनुमानतः मात्रा- आज हर तरफ काले धन का व्यापार बहुत तेजी से फल-फूल रहा है। ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एण्ड पॉलिसी’ के मोटे अनुमानों के आधार पर भारतवर्ष में ही लगभग 50,000 करोड़ रुपए का काला धन लोगों के पास काले धन के रूप में जमा है। यह केवल एक साधारण सा अनुमान है, क्योंकि काले धन का कोई हिसाब-किताब तो होता नहीं है। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने भी अनेक देशों में काले धन की मात्रा का अनुमान लगाया है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारतवर्ष में काले धन की सम्पूर्ण मात्रा उसके राष्ट्रीय उत्पादन का लगभग आधे से भी कहीं अधिक है। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष ने भारत में काले धन की मात्रा का अनुमान लगभग 95,000 करोड़ रुपए के लगभग लगाया है। अब यह चिन्ता का विषय नहीं तो और क्या हो सकता है कि इतनी बड़ी पूँजी काले धन के रूप में लोगों की तिजोरियों में छिपी पड़ी है। यदि इस धन का प्रयोग राष्ट्रीय हित में किया जाए तो देश में अर्थव्यवस्था कितनी सुदृढ़ हो सकती है।
बढ़ते काले धन के कारण- आज काला धन रूपी नाग हम भारतीयों को पूर्णतया अपनी चपेट में ले चुका है। इसके कुछ कारण निम्नलिखित हैं-
- बढ़ती धन-लोलुपता काले धन का मुख्य कारण है। आज हर कोई सभी सुख-सुविधाएँ चाहता है। आज मानव भौतिकवादी विचारधारा वाला हो चुका है। पैसा कमाने के लिए वह अनैतिक कार्यों को करता है। इन्हीं अनैतिक कार्यों द्वारा कमाया जाने वाला धन काले धन की श्रेणी में आता है।
- वह मनोवृत्ति जिसके द्वारा काले धन की शक्ति से किसी को खरीदकर उससे गलत काम कराना और फिर उससे काली कमाई करना।
- आज कानून की जटिल प्रक्रिया व अक्षमता भी काले धन का स्रोत बन चुकी है।
- काले धन का सबसे मुख्य कारण है-अनैतिकता अथवा नैतिक मूल्यों का हास।
काले धन के दुष्परिणाम-
- आज काले धन के दुष्परिणाम अनेक रूपों में हमारे समक्ष आ रहे हैं। आज पैसे के बलबूते पर काले धन के मालिक किसी भी व्यक्ति को खरीद सकते हैं तथा उससे अपनी मर्जी मुताबिक कार्य करवा सकते हैं।
- अपने व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति हेतु सरकारी योजनाओं को विफल कर सकते हैं।
- काले धन के संचय से देश एवं समाज में आय की विषमता तथा धनी और निर्धन के बीच असमानता बढ़ रही है। धनी व्यक्ति तथा धनवान और अधिक शक्तिशाली होता जा रहा है, वही निर्धन व्यक्ति एक-एक पैसे को मोहताज हो रहा है।
- बढ़ते भ्रष्टाचार का मुख्य कारण काला धन ही है।
- आज काले धन के स्वामी सरकार को भी इस बात के लिए बाध्य कर सकते हैं कि वे उनके हित में नीतियाँ तैयार करें।
काले धन को समाप्त करने के उपाय- सरकार ने काले धन की कमाई को बन्द करने हेतु अनेक कानून बनाए हैं। पिछले कुछ वर्षों में आयकर विभाग में VIDS तथा स्वर्ण जमा योजना लागू करके काले धन को सफेद धन में बदलने का अवसर दिया जिससे देश को राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। परन्तु आज काला धन गहरे तक अपनी जड़े जमा चुका है जिन्हें उखाड़ फेंकना बहुत मुश्किल है। फिर भी इसे रोकने के लिए कुछ सुझाव अवश्य प्रस्तुत किए जा सकते हैं-
- सरकारी खर्चों में कटौती कर खर्च पर उचित नज़र रखी जानी चाहिए।
- सरकारी परियोजनाओं पर होने वाले खर्च पर कड़ी निगरानी रखी जाए।
- कर-इकट्ठा करने वाले अधिकारी ईमानदार तथा कार्य कुशल होने चाहिए, जिससे कोई भी कर चोरी न कर सके।
- भारी घाटे के बजट की व्यवस्था समाप्त कर दी जानी चाहिए।
- कर व्यवस्था यथार्थवादी हो, अर्थात् कर की दरे अधिक नहीं चाहिए जिससे सभी लोग आसानी से कर चुका सकें तथा कर-चोरी के बारे होनी में न सोंचे।
- सभी सरकारी कार्यालय कार्यकुशल होने चाहिए। अधिकारी भी ईमानदार, समय के पावन्द तथा रिश्वत खोरी से दूर रहने वाले होने चाहिए।
उपसंहार- यदि सरकार ईमानदारी से उपरोक्त सभी उपायों को प्रयोग में लाने तथा राजनैतिक स्वार्थों को छोड़कर व्यवहारिक कदम उठाए तो निश्चित तौर पर काले धन की समस्या से मुक्ति पाई जा सकती है। सरकार का कर्तव्य है कि वह देश की अर्थव्यवस्था की समस्या को सुलझाने के लिए अर्थशास्त्रियों के सुझावों को पूर्ण गम्भीरता से समझें तथा फिर व्यवहारिक योजना के निर्माण हेतु इस समस्या को समाप्त करने का प्रयत्न करे। ऐसा करने से देश को आर्थिक संकट से छुटकारा मिल सकेगा तथा हमारा देश उचित दिशा में प्रगति कर सकेगा।
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