समाचार-पत्रों की उपयोगिता पर निबंध
प्रस्तावना- समाचार-पत्रों में विभिन्न समाचार विभिन्न स्थानों से संग्रहीत कर प्रकाशित किए जाते हैं। आज समाचार-पत्र हमारे जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं। अखबारों के द्वारा ही संसार भर के समाचारों को सबसे सुगम व सस्ते तरीके से जाना जा सकता है। सुबह की चाय की चुस्कियों के साथ यदि अखबार मिल जाए, तो दिन की शुरुआत ही मजेदार लगती है। समाचार-पत्र ही संसार का दर्पण तथा संसार भर में घटित घटनाओं का विश्वसनीय दस्तावेज है।
समाचार-पत्रों का जन्म- समाचार-पत्रों का जन्मस्थान इटली है। सर्वप्रथम 17वीं शताब्दी में इटली के वेनिस शहर में समाचार-पत्र का आरम्भ हुआ था। धीरे-धीरे अरब, मिस्र, स्पेन आदि देशो में इसका प्रचार-प्रसार होने लगा। भारत में अंग्रेजो के आगमन के पश्चात् सबसे पहले ‘इंडिया गजेट’ नामक समाचार-पत्र प्रकाशित हुआ था। ईसाई पादरियों ने ‘समाचार दर्पण’ समाचार-पत्र निकाला। हिन्दी का सबसे पहला समाचार-पत्र ‘उदत्त मार्तण्ड’ कोलकाता से प्रकाशित हुआ। इसके पश्चात् राजाराम मोहनराय ने ‘कौमुदी’ एवं ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने ‘प्रभाकर’ नामक पत्र निकाले। इसके बाद तो जैसे समाचार-पत्रों की बाढ़ सी आ गयी, तथा अनेक भाषाओं में समाचार-पत्र प्रकाशित होने लगे।
समाचार-पत्रों के प्रकार- आज के समय में अनेक प्रकार के समाचार पत्र प्रकाशित किए जा रहे हैं जैसे-दैनिक, अर्द्धसाप्ताहिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक, छमाही एवं वार्षिक इत्यादि। इन सभी में दैनिक समाचार-पत्र सबसे अधिक लोकप्रिय है, क्योंकि इनसे नित्य प्रति के समाचारों, घटनाओं, क्रीड़ा-कौतुको और आमोद-प्रमोदो की नवीनतम जानकारी प्राप्त होती रहती है। साथ ही देशकाल एवं पात्र का ध्यान रखते हुए सम्पादकीय टिप्पणियों का भी समावेश रहता है। दैनिक समाचार-पत्र विभिन्न नगरों व महानगरो में विभिन्न प्रान्तीय भाषाओं में छपते हैं। नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान टाइम्स, वीर अर्जुन, दी ट्रिब्यून, दी इकोनोमिक टाइम्स, आदि प्रमुख समाचार-पत्र हैं। इन अखबारों में धार्मिक, आर्थिक, साहित्यिक, राजनैतिक, व्यापारिक विषयों से सम्बन्धित समाचार छपते हैं। यहाँ तक इन में फैशन, खेलकूद, खेल-जगत, बाल जगत, फिल्मो आदि से सम्बन्धित सूचनाएँ भी छपती हैं। इन समाचार-पत्रों में समाचारों के साथ-साथ समाचारों की आलोचना तथा प्रत्यालोचना भी प्रस्तुत की जाती है। रविवारीय’ ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ आदि प्रमुख साप्ताहिक हिन्दी समाचार-पत्र हैं। पाक्षिक तथा मासिक समाचार-पत्रों में अधिकतर कहानियाँ, लेख, कविता, निबन्ध आदि छपते हैं।
समाचार-पत्रों का छपाई कार्य- समाचार-पत्रों के आश्चर्यमय प्रचार-प्रसार में ‘मुद्रणयंत्र’ की मुख्य भूमिका है। यदि मुद्रणयंत्र का आविष्कार न हुआ होता तो इतनी अधिक संख्या में, इतने सुन्दर, आकर्षक एवं सस्ते समाचार-पत्रों के प्रकाशन की कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। अब इसकी सहायता से समाचार-पत्रों की 40-45 हजार प्रतियाँ या उससे कही अधिक प्रतियाँ घटे भर में छाप दी जाती हैं। विभिन्न समाचार-पत्रों के संवाददाता तथा समाचार-एजेंसियाँ श-विदेश में फैले हुए हैं। वे देश-विदेश से अपने-अपने समाचार-पत्र के कार्यालयों में समाचार भेजते हैं। इसके पश्चात् ये समाचार दूरभाष, डाक, तार और टेलीप्रिन्टर से कार्यालयों में पहुँचते हैं। फिर समाचार-पत्रों के सम्पादक एवं सह-सम्पादक उन समाचारों को काँट-छाँटकर इन्हें कम्पोजिंग के लिए भेजते हैं। तत्पश्चात् बड़ी-बड़ी कशीनो पर ये छपते हैं। यह सारा काम रात भर चलता रहता है तथा सुबह होते ही समाचार-पत्र पाठकों के हाथ में पहुँच जाते हैं।
समाचार-पत्रों का महत्त्व- आज के लोकतान्त्रिक युग में समाचार-पत्रों से सभी को लाभ पहुंच रहा है। ये मात्र 2-4 रुपए में विश्व भर से परिचित कराते हैं। इन समाचार-पत्रों से हर देश के समाचार हमें दूसरे ही दिन प्राप्त हो जाते हैं। समाचार-पत्रों में समाचारों के अतिरिक्त ऐसे गहन विषयों पर भी प्रकाश डाला जाता है, जिनके अध्ययन से हमें ज्ञान-विज्ञान की अनेक बातें मालूम होती रहती हैं। कम पढ़े-लिखे लोगों के लिये उनके ज्ञान को बढ़ाने में समाचार-पत्रों का विशेष महत्त्व है। समाचार-पत्रों के द्वारा सर्वसाधारण के बीच भी शिक्षा के विस्तार में अधिक सहायता मिलती है।
उच्च-शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों को भी समाचार-पत्रों में नए-नए तत्त्वों, नए-नए विचारों एवं आविष्कारों की अनेक तथ्यपूर्ण बाते पढ़ने को मिलती हैं तथा अपने ज्ञान विस्तार का सुअवसर प्राप्त होता है। किसी नवीन नियम, कानून अथवा संविधान का प्रचार सर्वसाधारण के बीच समाचार-पत्रों के माध्यम से किया जाता है। देश की सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक तथा आर्थिक समस्याओं पर प्रकाश डालने तथा उनके समाधान के पहलुओं पर विचार करने में समाचार-पत्रों का विशेष योगदान है। किसी सरकार के अन्याय तथा अत्याचारो का पर्दाफाश इन्हीं के माध्यम से होता है। देश की बीमारी तथा शिक्षा व्यवस्था की समालोचना तथा उनके निराकरण तथा सुधार की योजना समाचार-पत्रों में ही स्थान पाती है।
समाचार-पत्रों से हानियाँ- जीवन के हर क्षेत्र में समाचार-पत्रों से लाभ ही दृष्टिगोचर होते हैं परन्तु समाचार-पत्रों से कुछ हानियाँ भी हैं। कितने ही समाचार-पत्र झूठी खबर छाप-छापकर जाति-विद्वेष तथा साम्प्रदायिकता की कलहाग्नि प्रज्वलित कर देते हैं, जिससे लोग एक दूसरे के जानी दुश्मन बन बैठते हैं। सम्पादक की कलम विष तथा अमृत दोनों की ही वर्षा कर सकती है। कभी-कभी पैसे के लालच में समाचार-पत्र अश्लील विज्ञापन तथा घृणास्पद कहानियों को स्थान देकर पाठकों की मनोवृत्ति को कलुषित करते हैं।
उपसंहार- पत्रकारिता एक बड़ी ही पवित्र वृत्ति है। किसी पत्रकार, पत्र-सम्पादक अथवा संचालन की पवित्रता तथा न्याय-निष्ठा देश को नैतिकता की ओर अग्रसर करने की ताकत रखती है। समाचार-पत्रों को पढ़ने से हमारे संकीर्ण विचार हो जाते हैं। अतः समाचार-पत्रों की ताकत, महत्त्व तथा उपादेयता आधुनिक युग के मानव के लिए वरदान है। ये सरकार तथा जनता के बीच सम्पर्क सूत्र का कार्य करते हैं।
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