वर्तमान समय में दूरदर्शन की उपयोगिता पर निबंध
प्रस्तावना- दूरदर्शन विज्ञान के अद्भुत चमत्कारों में से एक है। यह वर्तमान युग की विकसित तकनीक का महान चमत्कार है। आज यह मनोरंजन का सर्वश्रेष्ठ माध्यम बन चुका है। यह हमारी अनपढ़ जनता विशेषकर ग्रामीणों में जागृति लाने का सर्वोत्तम साधन है। स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं परिवार नियोजन जैसे विषयों पर दूरदर्शन पर प्रसारित कार्यक्रम अशिक्षित जनता के लिए विशेष सहयोगी है।
दूरदर्शन का अर्थ- दूरदर्शन का शाब्दिक अर्थ है-दूर की वस्तुओं अथवा पदार्थों को उनके वास्तविक रूप में आँखों द्वारा देखना। इसके द्वारा दूर के स्थानों से प्रसारित ध्वनि, तस्वीरों सहित दर्शक वर्ग तक पहुँच जाती हैं। रेडियो ने द्वारा हम केवल सुन सकते हैं किन्तु दूरदर्शन के द्वारा तो हम बोलने वाले का चेहरा भी देख सकते हैं। अतः दूरदर्शन में दृश्य एवं श्रव्य दोनों गुण होने के कारण यह सबसे प्रभावी माध्यम है।
दूरदर्शन का जन्म- सन् 1926 ई. में इंग्लैंड के प्रसिद्ध वैज्ञानिक जॉन. एल. वेयर्ड ने दूरदर्शन का आविष्कार किया था। सन् 1936 में. बी.बी.सी. लन्दन ने पहली बार दूरदर्शन पर कार्यक्रम प्रस्तुत किया था। भारतवर्ष में तो दूरदर्शन का शुभागमन अक्तूबर 1959 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के हाथों मुहूर्त करके हुआ था। पहले दूरदर्शन पर केवल काले-सफेद चित्र ही आते थे किन्तु सन् 1982 में एशियाड खेलों के दौरान रंगीन दूरदर्शन भी भारत में प्रसारित होने लगे। आज तो इसका बहुत विकास हो चुका है तथा दूरदर्शन केन्द्रों, रिले एवं ट्रान्समिशन केन्द्रों का नेटवर्क बहुत विस्तृत हो चुका है, जिनकी सहायता से आज ग्रामीण क्षेत्रों में भी दूरदर्शन पहुंच चुका है।
दूरदर्शन की कार्य-पद्धति- दूरदर्शन अथवा टेलीविजन की कार्य पद्धति रेडियो की कार्य-प्रणाली के ही समान है। टेलीविजन में जिस व्यक्ति या वस्तु का चित्र प्रेषित करना होता है, उसे एक कैमरे से प्रतिबिम्बित कर देते है। इसके बाद टेलीविजन कैमरे के बने चित्र को कई हजार बिन्दुओं में विभक्त कर दिया जाता है। फिर चित्र से प्रकाश के स्थान पर विद्युत तरंगें पैदा होती कर देते हैं। तत्पश्चात् हर एक बिन्दु के प्रकाश एवं अंधकार को तरंगों में परिवर्तित है। ये विद्युत तरंगे रेडियो तरंगों में परिवर्तित कर दी जाती है। दूरदर्शन का एरियल इन तरंगों को ग्रहण कर लेता है तथा यन्त्रों के माध्यम से उन तरंगों को विद्युत तरंगे दूरदर्शन मे लगी नली में इलेक्ट्रॉन की धारा पैदा करती है तथा इसी नली का सामने वाला भाग दूरदर्शन के पर्दे का काम करता है। इस नली के सामने वाले भाग के पीछे की ओर एक ऐसा पदार्थ लगा रहता है जो इलेक्ट्रॉन से प्रभावित होकर चमक उठता है। इस प्रकार एन्टीना की मदद से इच्छित व्यक्ति या वस्तु का चित्र दूरदर्शन के पर्दे पर तुरन्त दिखाई देने लगता है।
आधुनिक युग में दूरदर्शन का महत्त्व- आज का युग टेलीविजन का युग है। रिटायर्ड बुजुर्गों, घरेलू महिलाओं, बच्चों, बड़ों सभी के लिए दूरदर्शन वरदान सिद्ध हो रहा है क्योंकि यह अपने अन्दर अनगिनत गुण समाए हुए हैं। इसकी उपयोगिता शिक्षा एवं मनोरंजन दोनों क्षेत्रों में बराबर है। दूरदर्शन से एक ओर तो विद्यार्थियों को उनके पाठ्यक्रम से सम्बन्धित शिक्षा दी जाती है तथा दूसरी ओर ग्रामीणों को खेती, पशुपालन सम्बन्धी जानकरियाँ तथा परिवार नियोजन जैसी कुप्रथाओं एवं अंधविश्वासों से मुक्ति पाने की शिक्षा भी मिलती है। विकसित देशों में दूरदर्शन की सहायता से विद्यार्थियों को सर्जरी का ज्ञान भी दिया जाता है। दूरदर्शन पर छात्रों के पाठ्यक्रम से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर विद्वानों एवं अनुभवी प्राध्यापकों की वार्ताएँ भी प्रसारित की जाती हैं। इस प्रकार यदि किसी विद्यार्थी में सच्ची लगन है तो वह दूरदर्शन के माध्यम से आधुनिकतम ज्ञान अर्जित कर सकता है।
शिक्षा के साथ-साथ दूरदर्शन मनोरंजन के क्षेत्र में सर्वोपरि है। यह हर आयु-वर्ग, जाति के लोगों का मनोरंजन करता है। जहाँ एक ओर महिलाओं के लिए नाटक, फिल्म, हास्य व्यंग्य आदि प्रस्तुत किए जाते हैं तो बच्चों के लिए तो कार्यक्रमों की भरमार है। युवाओं के लिए अनेक खेलों के मैचों जैसे क्रिकेट, फुटबॉल आदि का सीधा प्रसारण भी किया जाता है। बुजुर्गों के लिए धार्मिक कार्यक्रमों की भी दूरदर्शन पर कोई कमी नहीं है।
इन सबके अतिरिक्त दूरदर्शन के माध्यम से त्योहारों, मौसमों, खेल-तमाशो, नाच-गानों, कला-संगीत, पर्यटन, धर्म, दर्शन, साहित्य, राजनीति आदि लोक-परलोक तथा ज्ञान-विज्ञान के रहस्य एक-एक करके खुलते जाते हैं। नेताओं की स्वदेश-विदेश यात्रा, शेयर बाजार, हत्या, लूटपाट, जुर्म, बलात्कार सभी की जानकारी दूरदर्शन का कार्यक्रम भी हम घर बैठे सीधे तौर पर देख सकते हैं। इस प्रकार दूरदर्शन पर तुरन्त मिल जाती है। इसके अतिरिक्त स्वतन्त्रता दिवस तथा गणतन्त्र दिवस समाचार पत्र, रेडियो तथा चलचित्र इन तीनों की विशेषताओं को अपने में समेटे हुए हैं।
दूरदर्शन के कुप्रभाव- आज भले ही हम अपनी सुख-सुविधा पूर्ति के कारण दूरदर्शन के आदी हो चुके हैं और हमें इसमें लाभ-ही-लाभ दिखाई पड़ते हैं, किन्तु इसकी हानियाँ भी कुछ कम नहीं हैं। दूरदर्शन के अधिक देखने से हमारी आँखों की रोशनी क्षीण हो जाती है। इसके आकर्षक कार्यक्रमों के मोहजाल में फँसकर हम आलसी हो जाते हैं तथा अपने काम को भूलकर इन्हें देखने लगते हैं। इससे हमारे कीमती समय की बरबादी होती है साथ ही कार्य भी अधूरा रह जाता है। बच्चों की पढ़ाई का भी नुकसान होता है तथा वे टेलीविजन देखने के लालच में बाहरी खेल भी नहीं खेलते, जिससे उनका शारीरिक विकास रुक जाता है। कभी-कभी दूदर्शन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम अश्लील भी होते हैं जिनका बच्चों तथा युवाओं पर गलत प्रभाव पड़ता है।
उपसंहार- यदि हम अपने आप पर नियन्त्रण रखते हुए दूरदर्शन पर कुछ शिक्षाप्रद ही कार्यक्रम देखें तो इसमें कोई नुकसान नहीं है। आधुनिक युग में सुख-समृद्धि, शिक्षा तथा मनोरंजन का इससे सस्ता एवं सरल उपाय कोई और नहीं है। यह आम जनता में जागरुकता एवं चेतना लाता है।
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It help me a lot thank you. But there is some spelling mistake please correct it again thank you
ok…thank you