निबंध / Essay

मुंशी प्रेमचंद पर निबंध- Essay on Munshi Premchand in Hindi

मुंशी प्रेमचंद पर निबंध
मुंशी प्रेमचंद पर निबंध

मुंशी प्रेमचंद पर निबंध

प्रस्तावना

जीवन की यथार्थता को प्रकट करने वाली साहित्यिक विधा ‘उपन्यास‘ आधुनिक युग की सर्वाधिक लोकप्रिय एवं प्रभावी विधा है। उपन्यास को ‘गद्य का महाकाव्य’ कहा जाता है। इस लोकप्रिय विधा के सबसे लोकप्रिय साहित्यकार ‘मुंशी प्रेमचन्द’ हैं। आपने अपने उपन्यासों के माध्यम से भारतीय समाज के प्रत्येक पाठक को बहुत प्रभावित किया है। जो स्थान रुसी भाषा में गार्की का तथा बंगला भाषा में शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय है, वही स्थान हिन्दी उपन्यास के क्षेत्र में प्रेमचन्द जी का है।

जीवन-परिचय एवं शिक्षा

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द का जन्म 31 मई, सन् 1880 ई. को काशी नगर से पाँच मील दूर स्थित ‘लमही’ नामक ग्राम में एक निर्धन कायस्थ परिवार में हुआ था। आपका बचपन का नाम धनपत राय था। आपके पिता का नाम बाबू अजायबराय तथा माता का नाम आनन्दी देवी था। आपके पिता डाकखाने में 20 रु. मासिक वेतन पर मुंशी का कार्य करते थे। जब आप छोटे ही थे तभी आपकी माँ का देहान्त हो गया था। जब आप सात वर्ष के थे तभी आपके पिता ने दूसरी शादी कर ली। गरीबी तथा सौतेली माँ के निष्ठुर व्यवहार से प्रेमचन्द बहुत आहत रहते थे। मुशी प्रेमचन्द के समय में ‘बाल विवाह’ का चलन था इसलिए जब आप मात्र चौदह-पन्द्रह वर्ष के थे, तभी आपका विवाह हो गया था।

आपके विवाह के कुछ दिनों बाद ही आपके पिता की भी मृत्यु हो गयी। घर गृहस्थी का पूरा भार आपके कन्धों पर आ गिरा। आपका बचपन बहुत कष्टमय गुजरा परन्तु साहस, परिश्रम तथा कष्टों के बीच इन्होंने अपनी पढ़ाई के बीच गरीबी आड़े नहीं आने दी।

आपकी प्रारम्भिक शिक्षा पाँचवे वर्ष से आरम्भ हुई थी। आपने किंग्सवे कॉलेज से हाई स्कूल की परीक्षा पास की। तत्पश्चात् सरकारी नौकरी में रहते सी.टी. तथा इन्टर की परीक्षा पास की। कुछ समय अध्यापक की नौकरी करने के बाद आपको गोरखपुर में स्कूल इंस्पेक्टर की नौकरी मिल गयी। स्वास्थ्य बिगड़ जाने के कारण आपने यह नौकरी छोड़ दी। आप पुनः बस्ती के सरकारी विद्यालय में अध्यापक नियुक्त हो गए। वहाँ से गोरखपुर जाकर बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। असहयोग आन्दोलन तथा गाँधीवादी विचारों से प्रभावित होकर आपने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। तत्पश्चात् आप आजीवन साहित्य साधना में ही लीन रहे। आरम्भ में आपने कहानी लेखन का कार्य किया तथा आपने उर्दू में ‘नवावराय’ के नाम से कहानियाँ लिखी। हिन्दी का लेखक बनते ही आपने अपना बचपन का नाम धनपतराय बदलकर ‘प्रेमचन्द कर लिया तथा इसी नाम से किताबें लिखी। 18 अक्टूबर, सन् 1936 को आपका निधन हो गया।

साहित्यिक कार्य

प्रेमचन्द एक उच्चकोटि के कलाकार थे तथा लिखने के व्यसनी थे। उपन्यास, कहानी, नाटक, निबन्ध, जीवनी-चरित आदि के रूप में आपने हिन्दी-साहित्य की बहुत सेवा की पर आपकी प्रमुख देन कहानी तथा उपन्यास के क्षेत्र में हैं। प्रेमचन्द प्रमुख साहित्यिक कार्य इस प्रकार हैं-

(1) कहानी संग्रह

आपने लगभग 250 कहानियाँ लिखी हैं। सप्त सरोज, नवनिधि, प्रेमपूर्णिमा, बड़े घर की बेटी, नमक का दारोगा, लाल फीता, प्रेम प्रमोद, प्रेम वशी, प्रेमतीर्थ, शान्ति, प्रेम चतुर्थी, पाँच फूल, अग्नि समाधि सप्त सुमन, समर यात्रा, प्रेम सरोवर, प्रेरणा, प्रेम पुंज, मानसरोवर (आठ भाग), कुत्ते की कहानी, हिन्दी की आदर्श कहानियाँ, नारी जीवन की कहानियाँ, कफन, जंगल की कहानियाँ, प्रेमचन्द की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ, प्रेम पीयूष आदि आपके कहानी संग्रह है।

(2) निबन्ध संग्रह

स्वराज्य की फायदे, कुछ विचार, साहित्य का एवं दुर्गादास।

(3) जीवन-चरित

महात्मा शेखवादी, कलम, रामचर्चा, तलवार और न्याय

(4) अनूदित रचनाएँ

आपने कई पुस्तकों का सफल अनुवाद किया है। अनातोले के ‘टॉम्स’ का अनुवाद ‘अहंकार’ नाम से किया। इलियट कसाहलास मार्नर’ का अनुवाद ‘सुखदास’ नाम से किया। ‘चांदी की डिविया’, हड़ताल, ‘न्याय’, ‘सृष्टि का आरम्भ’ आपके अनूदित नाटक है। ‘आजाद कथा’ नाम

(7) उपन्यास

कर्मभूमि, प्रेम, निर्मला, कायाकल्प, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, वरदान, से आपने रतननाथ सरशार द्वारा लिखित ‘किसान-ए-आजाद’ का अनुवाद किया। ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ भी अनुवादित ग्रन्थ है।

(5) सम्पादित ग्रन्थ

मनमोदक, गल्प समुच्चय तथा गल्प-रत्न।

(6) बाल साहित्य

कुत्ते की कहानी, मन-मोदक, राम चर्चा आदि।

(7) उपन्यास

कर्मभूमि, प्रेम, निर्मला, कायाकल्प, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, वरदान, सेवा सदन, मंगलसूत्र (अधूरा), गोदान, गबन, प्रतिज्ञा, दुर्गादास हैं। कला की दृष्टि से ‘सेवासदन’ आपका प्रथम प्रौढ़ उपन्यास है, जिसमें वेश्या समस्या का प्रतिपादन किया गया है। ‘प्रेमाश्रम’ में किसान-जमींदार के संघर्ष का मार्मिक चित्रण है। ‘गबन’ में मध्यवर्गीय समाज की आर्थिक स्थिति तथा उससे उत्पन्न विडम्बनाओं का चित्रांकन है। ‘कर्मभूमि’ में स्वतन्त्रता संघर्ष की झाँकी प्रदर्शित की गई है। ‘गोदान’ हिन्दी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास माना जाता है, जिसमें प्रेमचन्द ने किसानों की समस्याओं तथा उनके जीवन का यथार्थवादी चित्रण किया है। ‘गबन’ का नायक ‘होरी’ भारतीय किसान का प्रतिनिधि है।

साहित्यिक विशेषताएँ

यह बात तो सर्वविदित है कि जयशंकर प्रसाद सर्वश्रेष्ठ उपन्यासकार है, क्योंकि उनके उपन्यासों में प्रायः सभी समस्याओं तथा राष्ट्रीय चेतना एवं जनचेतना की सुन्दर अभिव्यक्ति मिलती है। प्रेमचन्द्र सुधारवादी सिद्धान्त वाले थे इसलिए उन्होंने अपने उपन्यासों में वृद्ध-विवाह, बार विवाह, विधवा-विवाह पर रोक, दहेज-प्रथा, बेमेल-विवाह, वेश्यावृत्ति आदि समस्याओ को दूर करने का प्रयत्न किया है। राजनीति में वे गाँधीवादी विचारों से सहमत थे। सन् 1921 से 1930 के दशक में हुए आन्दोलनों तथा उसके परिणामों की सामाजिक प्रतिक्रिया ही उनके उपन्यासों तथा कहानियों की विषय बनी। इसके अतिरिक्त गाँववासी होने के कारण प्रेमचन्द किसानों के जीवन: उनकी सामाजिक, धार्मिक एवं आर्थिक स्थिति से भलीभाँति परिचित थे और वही चित्रण उन्होंने अपने उपन्यासों में भी किया है।

प्रेमचन्द की भाषा सीधी-साधी, ठेठ हिन्दुस्तानी, प्रौढ़, परिष्कृत, संस्कृत पदावली से प्रौढ़ एवं उर्दू से चंचल है। मुहावरों एवं कहावतों का पर्याप्त प्रयोग किया गया है। अरबी, फारसी तथा अंग्रेजी शब्दों का भी प्रयोग हुआ है। शैली अत्यन्त आकर्षक एवं मार्मिक है।

उपसंहार

मुंशी प्रेमचन्द ने हिन्दी साहित्य की अनवरत सेवा की है। उनके साहित्य की सर्वश्रेष्ठ विशेषता उसकी राष्ट्रीयता एवं भारतीय संस्कृति के प्रतिपादन में है। उनका मत था कि किसी भी राष्ट्र एवं समाज की उन्नति तभी संभव है, जब वह अपनी संस्कृति, सभ्यता एवं राष्ट्रीय धरोहर की रक्षा के प्रति सजग रहे। आपकी अमूल्य कृतियों के लिए हिन्दी साहित्य सदैव आपका ऋणी रहेगा। इस उपन्यास सम्राट के विषय में नरेंद्र कुमार पाण्डेय ने कहा है-

“मानवता के क्रन्दन को, तुमने शुभ शाश्वत वाणी दी,
निपट निरीहो के सम्बल, तुमने अनुपम कुर्बानी दी।
उपन्यास सम्राट किया तुमने जन-मन कुसुमित,
प्रेमचन्द! शत शत प्रणाम, तुम पर स्वदेश है गर्वित ॥”

Important Links

Disclaimer

Disclaimer: Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment