योगासन एवं व्यायाम से लाभ पर निबंध
प्रस्तावना- योगसिद्धि एवं शारीरिक शुद्धि के लिए योगासन अत्यन्त आवश्यक है। योग संस्कृत के ‘युज’ धातु से बना है, जिसका अर्थ होता है-मिलाना, जोड़ना, संयुक्त होना, बाँधना, अनुभव को पाना तथा तल्लीन हो जाना। दूसरे शब्दों में “दो वस्तुओं के परस्पर मिलन तथा जोड़ का नाम ही योग है।”
महर्षि पतंजलि के अनुसार योग का अर्थ- ‘योगश्चित्तवृत्ति निरोधः’, अर्थात् मन की वृत्तियों-रूप, रस, गन्ध, स्पर्श एवं शब्द के मोह को रोकना ही योग है। इस बात को ऐसे स्पष्ट किया जा सकता है कि “चित्र की चंचलता का दमन करना ही योग है।”
‘श्रीमद्भगवत्गीता’ में भगवान श्रीकृष्ण ने योग का अर्थ इस प्रकार बतलाया है-
1. ‘समत्वं योग उच्यते’ अर्थात् समानता या समता को ही योग कहते हैं।
2. योगः कर्मसु कौशलम्’ अर्थात् प्रत्येक कार्य का कुशलता से सम्पन्न करना ही योग है। अपनी अन्तर्रात्मा के साथ एकाकार होने का भाव ही योग है।
योग के महत्त्व- योगासन द्वारा व्यक्ति अपनी समस्त इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर लेता है। कई रोग तो ऐसे हैं जिनमें दवा से अधिक असर योगासन का होता है। इसलिए कहा भी गया है-
“आसनं विजितं येनल जितं तेन जगन्नयम् ।
अनने विधिनायुक्तः प्राणायाम सदा कुरु॥”
अर्थात् जिसने आसनों की सिद्धि प्राप्त कर ली उसने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर ली। योग द्वारा शरीर के समस्त विकार दूर हो जाते हैं। तभी तो योग आज एक थेरेपी के रूप में भी उपयोगी सिद्ध हो चुका है। आज हर एक रोग के लिए एक विशेष आसन है। कई ऐसे रोग, जिनके उपचार चिकित्सकों के पास भी नहीं हैं, योग द्वारा काफी हद तक ठीक किए जा रहे हैं। यदि इन आसनों को किसी दक्ष व्यक्ति की देख-रेख में किया जाए तो ये और भी अधिक उपयोगी सिद्ध होते हैं। किसी भी रोग की दवा लेने पर उससे रोग दब तो जाता है, लेकिन उसके प्रभाव से कई अन्य बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती है, वही योग द्वारा किया गया उपचार स्थायी होता है।
योगासन एवं व्यायाम में अन्तर- योगासन व व्यायाम दोनों अलग-अलग वस्तुएँ हैं, परन्तु दोनों ही हमारे लिए बहुत लाभदायक हैं। व्यायाम में एक ही कसरत को कुछ समय तक लगातार किया जाता है, जिससे शरीर थक जाता है तथा पसीना भी बहुत आता है। इसके विपरीत योगासन में प्रत्येक आसन थोड़े समय का होता है तथा बीच-बीच में आराम मिलता रहता है। व्यायाम करते समय जहाँ एक अंग विशेष की कसरत होती है वही योगासन में शरीर के सः । अंगों पर उसका प्रभाव पड़ता है। योगासन करने के बाद शरीर में थकावट अनुभव नहीं होती तथा शरीर भी हल्का महसूस होने लगता है।
किसी भी व्यायाम को करने के लिए जहाँ अधिक समय की आवश्यकता होती है साथ ही वृद्ध, बीमार या कमजोर व्यक्ति व्यायाम नहीं कर पाते, वही दूसरी ओर योगासन करने के लिए अधिक समय की आवश्यकता नहीं होती। कमजोर, वृद्ध या बीमार व्यक्ति भी योगासन कर सकते हैं। योगासन करने के लिए किसी बड़े मैदान की भी आवश्यकता नहीं होती। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि व्यायाम में किसी रोग का उपचार नहीं हो सकता जबकि योगासन से कई रोगों का उपचार सम्भव है।
योगासन तथा व्यायाम में समानताएँ- योगासन तथा व्यायाम दोनों का ही उद्देश्य शरीर को उत्तम अवस्था में रखना है। इन दोनों को करने से ही हमारी पाचन शक्ति मजबूत होती है, शरीर लचीला तथा फुर्तीला होता है तथा कार्य करने का उत्साह बना रहता हैं। दोनों से ही मनुष्य संयमी, बलशाली, आत्मनिर्भर तथा आत्मविश्वासी बनता है।
उपसंहार- व्यायाम तथा योगासन प्रत्येक मनुष्य को अपनी क्षमता तथा आयु के अनुसार ही करने चाहिए। आज का आधुनिक विज्ञान मानव तथा प्रकृति के मध्य और अधिक समन्वय स्थापित करने हेतु नित्य नवीन खोजे कर रहा है। इनमें से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विषय जड़ एवं चेतन के मध्य समन्वय स्थापित करना है तथा यह ज्ञान योगशास्त्रों में निहित है। योगासन द्वारा मानव अपना शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक विकास कर सकता है।
Important Links
- रक्षाबन्धन पर निबंध: पवित्र धागों का त्योहार | Eassy on Rakshabandhan
- दीपावली पर निबंध : दीपों का त्योहार | Festival of Lamps : Eassy on Diwali
- बाल दिवस पर निबंध – Children’s Day Essay in Hindi
- शिक्षक-दिवस पर निबंध | Eassy on Teacher’s Day in Hindi
- गणतंत्र दिवस पर निबंध प्रस्तावना उपसंहार| Republic Day in Hindi
- जीवन में त्योहारों का महत्त्व | Essay on The Importance of Festivals in Our Life in Hindi
- स्वतंत्रता दिवस पर निबंध | Independence Day Essay In Hindi
- आधुनिक मीरा : श्रीमती महादेवी वर्मा पर निबंध – Essay On Mahadevi Verma In Hindi
- आधुनिक मीरा : श्रीमती महादेवी वर्मा पर निबंध
- मुंशी प्रेमचंद पर निबंध- Essay on Munshi Premchand in Hindi
- कविवर जयशंकर प्रसाद पर निबन्ध – Kavivar Jaishankar Parsad par Nibandh
- गोस्वामी तुलसीदास पर निबंध | Essay on Goswami Tulsidas in Hindi
- कविवर सूरदास पर निबंध | Essay on Surdas in Hindi
- महान कवि कबीरदास पर निबन्ध
- कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबन्ध
- कल्पना चावला पर निबंध | Essay on Kalpana Chawla in Hindi
- कंप्यूटर पर निबंध हिंदी में – Essay On Computer In Hindi
- Essay on CNG सी.एन.जी. के फायदे और नुकसान
- डॉ. मनमोहन सिंह पर निबन्ध | Essay on Dr. Manmohan Singh in Hindi
Disclaimer