दिल्ली के प्रमुख दर्शनीय स्थल पर निबंध
प्रस्तावना- हमारे स्वतन्त्र भारत की राजधानी दिल्ली है। इसके प्रत्येक हिस्से में इतिहास के सभी युगों की अनेक गाथाएँ सिमटी हुई हैं। दिल्ली में कही दिल्ली नरेश पृथ्वीराज चौहान के सत्रह युद्धों की वीरगाथाएँ हैं तो कहीं कला, महाभारत के वीरों की याद सोयी पड़ी है। कहीं अंग्रेजो द्वारा निर्मित भव्य इमारते शान से खड़ी हैं तो कहीं मुगल बादशाह शाहजहाँ की वास्तुकला के दर्शन होते हैं। इन सबके अतिरिक्त आधुनिक स्थलों की सुन्दरता ने तो जैसे इसकी शोभा को कई गुना बढ़ा दिया है। हमारी दिल्ली के ये दर्शनीय स्थल संस्कृति, सभ्यता तथा इतिहास के बेजोड़ नमूने हैं।
दिल्ली का प्राचीन इतिहास- सूर्यवंशी महाराज दिलीप द्वारा दिल्ली को बसाया गया था। लेकिन समय के थपेड़ो से यह नष्ट होती गई तथा पुनः बसती गई। दिल्ली यमुना नदी के दायें किनारे पर बसी हुई है। राजा दिलीप के पश्चात् धर्मराज युधिष्ठिर ने खाण्डवप्रस्थ को साफ करके पुनः इसको बसाया था। तब इसका नाम ‘इन्द्रप्रस्थ’ रखा गया था। फिर राजा पृथ्वीराज चौहान ने इसका नाम ‘दिल्ली’ रखा तथा काफी सुधार कार्य किए। देशद्रोही राजा जयचन्द के कारण यह दिल्ली पृथ्वीराज चौहान के हाथों से निकल कर मुस्लिम शासको के हाथों से होती हुई अंग्रेजी शासको को हाथ में आ गयी। ब्रिटिश सरकार ने ही दिल्ली को भारतवर्ष की राजधानी घोषित किया था।
अंग्रेजो ने ही दिल्ली के कई गाँवों को उठाकर इसका विस्तार किया तथा ‘नई दिल्ली’ की स्थापना की। 15 अगस्त सन् 1947 की स्वाधीनता प्राप्ति के पश्चात् दिल्ली भारतवासियों के अधिकार में आ गई तथा स्वतन्त्र भारत की राजधानी के रूप में भी दिल्ली’ को ही मान्यता दी गई। तब से लेकर दिल्ली लगातार प्रगति के पथ पर अग्रसर है।
दिल्ली के ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल- मुगलशासको ने अपने शासनकाल के दौरान दिल्ली में अनेक भवनो का निर्माण करवाया है जिनमें से लालकिला, कुतबमीनार, सिकन्दर लोदी का मकबरा, हुमायुं का मकबरा, जामा मस्जिद, निजामुद्दीन ओलिया की दरगाह, पुराना किला, सूरजकुण्ड, जन्तरमन्तर, ओखला आदि प्रमुख हैं। इन सबमें लालकिला सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यह लाल पत्थरों से निर्मित है तथा इसमें मुगलकालीन शस्त्र तथा सांस्कृतिक वस्तुएँ संगृहीत है। ‘कुतुबमीनार’ भी एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक इमारत हैं। पहले इसमें सात मंजिले थीं, परन्तु अब केवल पाँच मंजिले ही बची हैं। इसमें स्थित अशोक स्तम्भ एक अद्भुत धातु से निर्मित है तथा बेहद मजबूत है। इस पर आज तक जंग नहीं लगा है। लालकिले के पास ही ‘जामा मस्जिद’ है, जिसके आस-पास बाजार मला हुआ है, जिसे ‘उर्दू बाजार’ भी कहा जाता है। लालकिला तथा जामा-मस्जिद दोनों को मो. शाहजहाँ ने बनवाया था।
प्रमुख धार्मिक दर्शनीय स्थल- दिल्ली दिलवालो का शहर है जहाँ हर प्रदेश के लोग रहते हैं। अनेक जातियों के लोग यहाँ रहते हैं तथा उन सभी जातियों के धर्मस्थान व पूजास्थल यहाँ विद्यमान है। जैन मन्दिर, बौद्ध विहार, ईसाईयों के गिरिजाघर, मुसलमानों की मस्जिदें, पारसियों का सूर्य मन्दिर, हिन्दुओं के अनेक मन्दिर तथा सिक्खों के गुरुद्वारे यहाँ स्थित हैं जो अनेकता में एकता प्रदर्शित करते हैं। इनमें प्रसिद्ध सिक्खों का गुरुद्वारा सीसगंज, जैनियों का लाल मन्दिर ,ईसाईयों का गिरिजाघर, मुसलमानों की जामा मस्जिद, हिन्दुओं के प्रसिद्ध बिडला मन्दिर, गौरी शंकर मन्दिर तथा अक्षरधाम मन्दिर आदि प्रमुख हैं।
दिल्ली में सैर के प्रमुख स्थान- नई दिल्ली में स्थित इंडिया गेट, राष्ट्रीय संग्रहालय, पुराने किले के पास स्थित चिड़ियाघर, ओखला बाँध, बुद्धा गार्डन, प्रगति मैदान, तीन मूर्ति भवन जैसे सुन्दर पर्यटक स्थल हैं। इनके अतिरिक्त केन्द्रीय सचिवालय, कालिन्दी कुंज, बहाई मन्दिर, छतरपुर का मन्दिर, राष्ट्रपति भवन, आकाशवाणी भवन, दूरदर्शन केंद्र, कृषि एवं विज्ञान भवन, नेशनल स्टेडियम, इन्दिरा गाँधी इन्डोर स्टेडियम, कनॉट प्लेस, चाँदनी चौक आदि उल्लेखनीय हैं। इन सभी स्थानों को घूमने हर वर्ष सैलानी यहाँ आते हैं तथा दिल्ली के पर्यटक स्थलो की खुले दिल से प्रशंसा करते हैं।
दिल्ली की प्रमुख विशेषताएँ- पर्यटक स्थलो के अतिरिक्त दिल्ली की अन्य विशेषताएँ भी कम नहीं हैं। दिल्ली रेलवे स्टेशन का एक बहुत बड़ा जंक्शन है, व्यापार की बहुत बड़ी मंडी है। यहाँ की जलवायु बहुत सुहावनी होती है, जहाँ हर मौसम का भरपूर आनन्द लिया जा सकता है। जनसंख्या की दृष्टि से दिल्ली बहुत विशाल है, जो लगभग एक करोड़ हैं। यहाँ पर अनेक सरकारी दफ्तर हैं तथा लाखो कर्मचारी काम करते हैं। यह शिक्षा का बड़ा केन्द्र है जहाँ देश-विदेश से अनेक छात्र अध्ययन करने आते हैं। दिल्ली अनेक कवियो, नेताओ तथा महापुरुषों की जन्मस्थली है तथा यहाँ की मिट्टी अनेक शहीदो के खून से रंगी है।
प्रमुख समाधियाँ- दिल्ली गेट के बाहर अनेक विभूतियाँ अपनी-अपनी समाधियों में विश्राम कर रही है। ‘राजघाट’ में महात्मा गाँधी ‘शान्तिवन’ में शान्ति के अग्रदूत पं. जवाहरलाल नेहरू, ‘शक्तिस्थल’ में श्रीमति इन्दिरा गाँधी तथा ‘समता स्थल’ में बाबू जगजीवन राम आराम से विश्राम कर रहे हैं। इसका अतिरिक्त ‘विजय घाट’ में लाल बहादुर शास्त्री एवं ‘वीर भूमि’ में राजीव गाँधी तथा ‘किसान घाट’ में चौ. चरण सिंह की समाधियाँ हैं।
उपसंहार- वास्तव में हमारी दिल्ली हर क्षेत्र में आगे है। दिल्ली के बड़े-बड़े मॉल, मैट्रो रेल, नवनिर्मित अक्षरधाम मन्दिर, बड़े-बड़े पुल सभी आकर्षण का केन्द्र है। दिल्ली में हर दिन कोई न कोई खेल प्रतियोगिता, मेला, जूलूस, फैशन प्रतियोगिता इत्यादि आयोजित होते रहते हैं। निःसंदेह ‘दिल्ली’ भारतवर्ष का ‘दिल’ है। यह नवीन व प्राचीन संस्कृति तथा सभ्यता का अद्भुत संगम है।
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