21वीं सदी का भारतवर्ष पर निबंध
प्रस्तावना- भारतवर्ष महानतम देश है और हम इस देश के निवासी हैं। यह ऐसे शूरवीरों का देश है, जिन्होंने सदा ही विपत्तियों का डटकर मुकाबला किया है और विपत्तियों ने उनके दृढ़ संकल्प के समक्ष घुटने टेके हैं। हमारे जीवन का आधार सदा ही आशावादी सिद्धान्त रहा है। आज भारत जिस मुकाम पर है, उन्हें अनेक कटीले रास्ते पार करके हमने प्राप्त किया है। भारत पहले भी विश्व पर राज करता था तथा इस बात की पूरी आशा है कि आने वाले कल में भी भारत का स्वरूप सुन्दर, स्वच्छ एवं भव्य होगा। यह सबका मार्गदर्शन करेगा। आज हमारा देश बड़ी तेज गति से नवीनता तथा विकास की ओर बढ़ रहा है। भारत ने विकास की अनेक सीमाओं को पार किया है। हर क्षेत्र में भारत का भविष्य सुखद दिखाई पड़ता है।
भारतीय संस्कृति का सिद्धान्त- 20वीं शताब्दी में भारत का इतिहास उतार-चढ़ावों, परिवर्तनों एवं संघर्षों से पूर्ण रहा है। दो विश्व युद्धों में मानव जीवन के धन, सम्पत्ति तथा अपने लोगों का बहुत विनाश हुआ। यद्यपि ये यूरोप में लड़े गये थे किन्तु दूसरे विश्वयुद्ध की आग भारत तक पहुँच गई थी। ऐसे समय में भारत का बंटवारा एवं साम्प्रदायिक रक्त-रंजित नरसंहार दिखाई
दिया। ऐसे कठिन दौर में ही महात्मा गाँधी जैसे अहिंसा के पुजारी की निर्मम हत्या हुई। आतंकवाद एवं साम्प्रदायिक दंगे अपनी चरम सीमा पर पहुंचकर धन-जन की हानि कर रहे थे। इस प्रकार इस शताब्दी के अन्तिम समय तक प्रत्येक बच्चा प्रतिशोध, वेदना एवं विद्रोह के संस्कार लेकर आएगा, ऐसा सोचा जाने लगा था लेकिन ऐसी सोच गलत साबित हुई।
21वीं शताब्दी से आशाएँ- 21वीं शताब्दी के भारत से सबको अनेक आशाएँ हैं। आज हम 21वीं शताब्दी में प्रवेश कर चुके हैं तथा आने वाला कल हमें पहले से कहीं बेहतर दिखाई पड़ता है। आने वाले कल का भविष्य अच्छा, सुशील एवं सुन्दर होगा। कुरीतियों एवं अंध-विश्वासों का अंत हो जाएगा। धार्मिक झगड़े, विद्रोह आदि का अन्त हो जाएगा। आज भारत आर्थिक दृष्टि से उतना सम्पन्न नहीं है लेकिन भविष्य में वह और भी सुदृढ़ हा जाएगा। अपने सीमित साधनों का समुचित ढंग से उपयोग करके भारत विश्व के मानचित्र में सबसे ऊपर होगा। हमारे पूर्व प्रधानमन्त्री स्वर्गीय श्रीमति इन्दिरा गाँधी एवं राजीव गाँधी ने इस दिशा में अनेक प्रयास किए थे। आज कम्प्यूटरों तथा इलेक्ट्रोनिक उपकरणों के बल पर भारत तरक्की की राह पर है।
आज हम साम्प्रदायिकता आदि से छुटकारा पाने में काफी हद तक सफल हो रहे हैं। कुरीतियाँ, जाति भेदभाव, ऊँच-नीच, दहेज प्रथा, अंधविश्वासों आदि से हमारा भारत ऊपर उठ चुका है। भारत की नारियाँ आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। आज तो हमारे वेश के सर्वोच्च पद ‘राष्ट्रपति पद’ पर भी एक महिला ‘श्रीमति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल’ विराजमान हैं, जो एक गर्व की बात है। आज भारत की नारी दुर्गा एवं शक्ति के समान शक्तिशाली है। वह समय आने पर अपनी जान की भी बाजी लगा सकती है। अब वह अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों को चुपचाप सहन नहीं करती।
विज्ञान के क्षेत्र में भी हमारा देश दिन रात तरक्की कर रहा है। कम्प्यूटरों के प्रयोग ने हर क्षेत्र में क्रान्ति पैदा कर दी है तथा कार्य क्षमता को बहुत बढ़ावा मिल रहा है। वैज्ञानिक आविष्कारों ने पूरे परिवेश को नई दिशा दी है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली हमारे सर्वांगीण विकास के लिए तत्पर है। आज का बच्चा पिछली शताब्दी के बच्चों की अपेक्षा अधिक जागरूक हो चुका है। राजनीति तथा आतंकवाद, भ्रष्टाचार एक दूसरे के पूरक नहीं रह गए हैं। ऐसा माना जाता है कि राजनैतिक क्षेत्र में भी सुधार होगा। देश में केवल दो या तीन ही राजनीतिक दल होंगे। राजनीति धर्म से अलग होगी। हमारा देश राजनीति में और भी अधिक समृद्ध होगा तथा हमारी गिनती विश्व की महान शक्तियों में होगी।
बीसवीं सदी तथा इक्कीसवीं शताब्दी का तुलनात्मक अध्ययन- ऐसा नहीं है कि बीसवीं शताब्दी में भारत में कुछ सुधार नहीं हुआ। लेकिन इक्कीसवीं शताब्दी में भारत ने अच्छी शुरुआत की तथा आगे के सालों में हमारा देश एक अच्छे तथा सम्पन्न सपनों का भारत होगा। बीसवीं सदी के अन्त में पाकिस्तान के साथ जो युद्ध हुआ था वह बड़ा भयंकर था। उस समय सब यही सोच रहे थे कि इस युद्ध का कोई अन्त नहीं होगा, परन्तु हमारे भारत के वीर जवानों ने अपनी जान की परवाह न करके हमें इस भयंकर विपत्ति से मुक्ति दिलाई। इससे हमें इक्कीसवीं सदी के लिए एक प्रेरणा मिलती है कि इस सदी में हम अपने भारत को ऐसे किसी भी युद्ध से बचाकर रखें। भारत जैसे विकासशील देश में आज शिक्षा का स्तर बहुत ऊँचा हो गया है।
21वीं सदी में भारत का विकास- आज हमारा देश विकास की राह पर तत्पर है। आगे के वर्षों में खेती के क्षेत्र में हम किसी पर भी निर्भर नहीं रह जाएँगे। उद्योगों के क्षेत्र में हम विश्व के सभी देशों से सर्वोच्च स्थान बनाएँगे। वर्तमान में हम आयात की हुई तकनीकों का प्रयोग कर रहे हैं लेकिन भविष्य में हम अन्य देशों को तकनीक निर्यात करेंगे। रहने के लिए घर, सबसे के लिए समान, खाने के लिए भोजन होगा। भिक्षावृत्ति, बाल-मजदूरी, वेश्यावृत्ति, बाल-विवाह, दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों पर पूर्णतया विजय प्राप्त कर लेंगे। ग्रामीण जीवन का उत्थान होगा, किसानों की हालत में सुधार होगा।
उपसंहार- इस प्रकार 21वीं सदी में भारत सच्चे अर्थों में भारतीयों के सपनों का भारत होगा। उनका सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक रूप और भी अधिक स्वच्छ एवं सभ्य होगा। भारत विश्व में अपना एक अलग पद कायम करेगा। हम देशवासियों का भी कर्त्तव्य है कि हम सब मिलकर इक्कीसवीं सदी के भारत को सुन्दरतम बनाने का प्रयास करें।
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