मानव अधिकार परिषद की संरचना एवं संगठन
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानवाधिकार आयोग के स्थान पर 15 मार्च 2006 को मानवाधिकार परिषद की स्थापना की गयी। परिषद का मुख्यालय जेनेवा में होगा एवं यह महासभा के गौण अंग के रूप में कार्य करेगी। महासभा प्रत्येक 5 वर्ष में इसकी प्रास्थिति का पुनरीक्षण करेगी। महासभा ने यह भी निर्णय लिया कि मानव अधिकार परिषद् मानव अधिकार कमीशन के अधिकार एवं जिम्मेदारी ग्रहण करेगी तथा एक वर्ष पश्चात् इनका पुनरीक्षण करेगी। परिषद् में 47 सदस्य होंगे जिन्हें प्रत्यक्ष तथा व्यक्तिगत रूप से महासभा के सदस्यों के मतदान द्वारा बहुमत द्वारा चुना जायेगा तथा सदस्यता प्रादेशिक दलों में साम्यापूर्ण विभाजन पर आधारित होगा। यह विभाजन निम्नलिखित प्रकार से होगा
(1) अफ्रीका से (13);
(2) एशिया से (13);
(3) पूर्वी यूरोपीय से (6);
(4) लैटिन अमेरिका एवं कैरीबियन क्षेत्र से (8);
(5) पश्चिमी यूरोपीय तथा अन्य से ( 7 ) ।
परिषद् के सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष होगा तथा दो बार लगातार चुने जोने के पश्चात् वे निर्वाचन योग्य नहीं होंगे।
परिषद् की सदस्यता संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों के लिए खुली है। परिषद् के सदस्यों को चुनते समय संयुक्त राष्ट्र के सदस्य अभ्यर्थी के मानव अधिकार के प्रोन्नति एवं संरक्षण के लिए योगदान तथा उनके स्वेच्छा से संकल्प एवं प्रतिबद्धता को ध्यान में रखेंगे। महासभा विद्यमान एवं मतदान करते हुये सदस्यों के 2/3 बहुमत से परिषद् के ऐसे सदस्य के अधिकारों को निलम्बित कर सकती है जो मानव अधिकारों का खुलेआम एवं सोचे समझे तरीके से उल्लंघन करते हैं।
महासभा ने उक्त प्रस्ताव में यह भी निर्णय लिया कि परिषद् पूरे वर्ष नियमित रूप से मिलेगा तथा प्रत्येक वर्ष मुख्य सत्र समेत जिसका दौरान 10 सप्ताह से कम नहीं होगा, कम से कम तीन सत्र होंगे। इसके अतिरिक्त किसी सदस्य द्वारा जिसे परिषद् के 1/3 सदस्यों का समर्थन हो परिषद् का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है।
महासभा के प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि परिषद् के कार्य का ढंग पारदर्शी, उचित तथा निष्पक्ष होगा तथा जिससे वैध वार्ता सुगम है इसकी प्रक्रिया में पारस्परिक वार्ता, विशेष प्रक्रिया तथा युक्ति या क्रियाविधि होगी।
अमेरिका मानव अधिकार परिषद् से बाहर ही रहा क्योंकि उसने परिषद की हेतु चुनाव नहीं लड़ा। अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश ने कहा कि अमेरिका परिषद् के बाहर से सदस्यता अधिक प्रभावशाली होगा। परन्तु उन्होंने परिषद् को वित्तीय रूप से सहायता देने का वचन दिया। परन्तु संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने अमेरिका के इस कदम के प्रति निराशा व्यक्त की तथा उन्होंने आशा व्यक्त की कि 2007 में अमेरिका अपने निर्णय पर पुनर्विचार करेगा।
नवीन मानव अधिकार परिषद् पूर्व मानव अधिकार कमीशन के मुकाबले में अधिक प्रतिनिध्यात्मक एवं प्रजातांत्रिक है। परिषद् के प्रथम सदस्यों के निर्वाचन में महासभा ने एक भिन्न प्रक्रिया अपनायी। यह प्रक्रिया पूर्व मानव अधिकार कमीशन से भिन्न थी। पूर्व मानव अधिकार कमीशन 16 जून को समाप्त कर दी गयी।
मानव अधिकार परिषद् द्वारा प्रथम मीटिंग की तिथि के एक वर्ष बाद अर्थात् 18 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद ने संस्थात्मक निर्माण पैकेज (Institutional Building Package) को अंगीकार किया। इसके अन्तर्गत, एक आश्यक संस्था अर्थात् सार्वभौमिक सामाजिक पुनरीक्षण (Universal Periodic Review) को स्थापित किया। यह संयुक्त राष्ट्र के सभी (अर्थात् 192) सदस्य देशों में मानव अधिकार की स्थिति की निगरानी रखेगी। इसके अतिरिक्त, एक सलाहकारी समिति (Advisory Committee) बनाई गयी। यह सलाहकारी समिति, संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद् के विचार कोष (Think-tank) के रूप में कार्य करेगी। इसके अतिरिक्त, संस्थात्मक निर्माण पैकेज का एक आवश्यक तत्व इसकी शिकायत प्रक्रिया (complaints procedure) है जिसके अनतर्गत व्यक्ति एवं संस्थायें अपनी शिकायतें मानव अधिकार परिषद् को भेज सकते हैं।
यह भी उल्लेखनीय है कि मानव अधिकार परिषद् मानव अधिकारों के उच्च कमीशन के साथ निकट रूप से मिलकर कार्य करती है तथा संयुक्त राष्ट्र की उपर्युक्त वर्णित प्रक्रिया को लागू करती हैं।
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