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अधिगम के सिद्धांत | Theory Of Learning in hindi

अधिगम के सिद्धांत
अधिगम के सिद्धांत

अधिगम के सिद्धान्त (Theories of Learning)

किसी मनोवैज्ञानिक अथवा मनोवैज्ञानिक सम्प्रत्यय के द्वारा अधिगम की अवधारणा के स्पष्टीकरण को ही अधिगम के सिद्धान्त कहा जाता है। इसके अन्तर्गत अधिगम सम्बन्धी समस्याओं का व्यापक समाधान प्रस्तुत किया जाता है। अधिगम सिद्धान्तों में एकरूपता आवश्यक नहीं है। भिन्न-भिन्न सिद्धान्तों में अधिगम के भिन्न-भिन्न उपागम हो सकते हैं। किसी अवधारणा को स्पष्ट करने हेतु प्रस्तुत व्याख्यानात्मक कथन, जो मूर्त प्रयोगों के निष्कर्षों पर आधारित हो, को सिद्धान्त कहा जाता है। अधिगम के घटित होने की स्थितियों का विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने वैज्ञानिक ढंग से निरीक्षण, विश्लेषण और संश्लेषण के आधार पर तथा प्रयोगों के आधार पर संगठित विचार प्रस्तुत किये हैं जो अधिगम के सिद्धान्त हैं। प्रो. चौहान ने लिखा है-“अधिगम के सिद्धान्त अधिगम प्रक्रिया में सम्मिलित व्यवहार के यान्त्रिकों की व्याख्या करने का प्रयास करते हैं।”

अधिगम सिद्धान्तों का वर्गीकरण (Classification of Theories of Learning)

विभिन्न मनोवैज्ञानिकों द्वारा अधिगम के जो विभिन्न सिद्धान्त प्रतिपादित किये गये हैं उनमें कुछ सिद्धान्तों में समान विचारधारा दिखलाई देती है, परन्तु कुछ में भिन्नता है। समानताओं और भिन्नताओं के आधार पर अधिगम के सिद्धान्तों का वर्गीकरण सम्भव है। अधिगम के सिद्धान्तों के सम्बन्ध में मनोवैज्ञानिकों में मतभेद हैं, परन्तु अध्ययन के सरलीकरण हेतु निम्नलिखित वर्गीकरण प्रस्तुत किया जा रहा है-

(अ) समीपता सिद्धान्त (Contiguity Theories) 

इस सिद्धान्त के अन्तर्गत निम्नलिखित सिद्धान्तों को सम्मिलित किया जा सकता है-

(i) पावलव का अनुकूलित प्रत्यावर्तन का सिद्धान्त (Pavlov’s Conditioned Reflex Theory)

(ii) वाट्सन का अधिगम सिद्धान्त (Watson’s Theory of Learning),

(iii) गुथरी का सामीप्य अनुकूलन सिद्धान्त (Gutherie’s Contiguous Conditioning Theory),

(ब) सबलीकरण सिद्धान्त (Theories of Reinforcement)

इस सिद्धान्त के अन्तर्गत निम्नलिखित सिद्धान्तों को सम्मिलित किया जा सकता है-

(i) हल एवं उनकी परम्परा के सिद्धान्त (Hull’s Theory and Theories of Hull’s Tradition)

(ii) यान्त्रिक सबलीकरण सिद्धान्त (Instrumental Reinforcement Theories)

इसके अन्तर्गत निम्नलिखित सिद्धान्त आते हैं

(i) थार्नडाइक का उत्तेजना अनुक्रिया अनुबन्ध सिद्धान्त ( Thorndike’s S-R Bond Theory)

(ii) वुडवर्थ का उत्तेजना-प्राणी-अनुक्रिया सिद्धान्त (Woodworth’s S-O-R Theory)

(iii) स्किनर का सक्रिय अनुकूलन सिद्धान्त (Skinner’s Operant Conditioning Theory)

(स) ज्ञानात्मक सिद्धान्त (Cognitive Theories) 

इस सिद्धान्त के अन्तर्गत निम्नलिखित सिद्धान्तों को सम्मिलित किया गया है-

(i) चिन्ह अधिगम सिद्धान्त (Sign Learning Theories)- इसमें मुख्य रूप से टॉलमैन का चिन्ह अधिगम सिद्धान्त (Talman’s Sign Learning Theory) आता है।

(ii) गेस्टाल्ट अधिगम सिद्धान्त (Gestalt Learning Theories) – इसमें मुख्य रूप से कोहलर का सूझ सिद्धान्त (Kohler’s Insight Theory) और कोफका का पदाक सिद्धान्त (Kofflka’s Trace Theory) सम्मिलित है।

(iii) गत्यात्मक सिद्धान्त (Dynamic Theories) इस सिद्धान्त में मुख्य रूप से लेविन का क्षेत्र सिद्धान्त (Levin’s Field Theory) तथा अधिगम का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त (Psycho-analytical Theory of Learning) सम्मिलित है।

(iv) बन्दूरा का प्रतिरूपण सिद्धान्त  (Bandura’s Modelling Theory),

(v) पियाजे का अधिगम का विकासात्मक सिद्धान्त (Piaget’s Development of Learning Theory),

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