मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Mental Health)
शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति का सर्वांगीण विकास है। यह एक प्रसिद्ध कहावत है कि. “स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का आवास होता है।” मानव-शरीर में मस्तिष्क का महत्त्वपूर्ण स्थान है। व्यक्ति के द्वारा जो भी कार्य किये जाते हैं वे मस्तिष्क के संकेत पर अथवा मन अनुसार किये जाते हैं। जब मन स्वस्थ नहीं होता तो हम किसी कार्य को ठीक से नहीं कर पाते। स्वस्थ मन वाले लोग ही जीवन की विभिन्न परिस्थितियों का सामना सफलतापूर्वक कर पाते हैं। जिनका मन स्वस्थ नहीं होता वे विभिन्न प्रकार की उलझनों में फँसे रहते हैं। आज व्यक्ति का जीवन अधिकाधिक जटिल होता जा रहा है। मानव-जीवन में पग-पग पर अनेक प्रकार की कठिनाइयों और निराशाओं का सामना करना पड़ता है। मानसिक उलझनों के फलस्वरूप मनुष्य समाज में समायोजित करने में कठिनाई अनुभव करता है। इन परिस्थितियों में मनुष्य का मानसिक रूप से स्वस्थ होना अत्यन्त आवश्यक है। संसार में वही व्यक्ति भौतिक एवं सामाजिक परिस्थितियों में अपने को समायोजित कर पाते हैं जिनका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होता है। फलस्वरूप, मनुष्य को अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य की ओर भी ध्यान देना चाहिए। शिक्षा मनोविज्ञान के अन्तर्गत व्यक्तित्व के विभिन्न रूपों पर विचार किया जाता है। व्यक्तित्व का विकास उसी स्थिति में सम्भव है जब बालक का शरीर एवं मन पूरी तरह से स्वस्थ हो क्योंकि शरीर और मन का अत्यन्त घनिष्ठ सम्बन्ध शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य एक-दूसरे को प्रभावित करते रहते हैं। मानसिक स्वास्थ्य का अध्ययन विशेष महत्त्व रखता है क्योंकि शिक्षण-प्रक्रिया का सम्बन्ध मानसिक विकास, मानसिक शक्तियों और योग्यताओं से ही है। शिक्षण-प्रक्रिया को सफल बनाने हेतु शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों का मानसिक स्वास्थ्य ठीक होना आवश्यक है, अतएव मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के स्वरूप पर विचार करने के पश्चात् बालक के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों और मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के उपायों पर प्रकाश डालना आवश्यक है।
विभिन्न विद्वानों ने मानसिक स्वास्थ्य की परिभाषाएँ विभिन्न प्रकार से दी हैं। यहाँ हम इनमें से प्रमुख परिभाषाएँ दे रहे हैं
1. हेडफील्ड- “साधारण शब्दों में हम कह सकते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य सम्पूर्ण व्यक्तित्व का पूर्ण सामंजस्य के साथ कार्य करना है।”
2. लैण्डेल- “मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ है- वास्तविकता के धरातल पर वातावरण से पर्याप्त सामंजस्य स्थापित करने की योग्यता ।”
3. कुप्पूस्वामी- “मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ है दैनिक जीवन में भावनाओं, इच्छाओं, महत्त्वाकांक्षाओं और आदर्शों में सन्तुलन रखने की योग्यता। इसका अर्थ है जीवन की वास्तविकताओं का सामना करने और उसको स्वीकार करने की योग्यता ।”
मानसिक स्वास्थ्य के उद्देश्य (Purpose of Mental Health)
मानसिक स्वास्थ्य के प्रमुख कार्य या उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
(1) जीवन की वास्तविकताओं को स्वीकार करना तथा उनका सामना करना (To face) and accept of the Realities of Life)
(2) व्यक्तित्व का संतुलित विकास करना ( Development of Balanced Personality)
(3) वातावरण के साथ स्वस्थ समायोजन (Healty Adjustment with the Environment)
(4) संवेगों पर नियंत्रण करना (To control emotions)
(5) सफल अधिगम प्राप्त करना (Successful Learning )
(6) वैयक्तिक इच्छाओं, रुचियों, आकांक्षाओं तथा आदर्शों को संतुष्ट करना तथा उनमें ‘सन्तुलन बनाना। (To satisfy and balance the individual desires, intests, ambitious and ideals)
(7) आत्म सिद्धि प्राप्त करना (To achieve self actualization)
(8) सहनशीलता और क्षमता का विकास करना (To develop tolerance and excuse)
(9) आत्मविश्वास उत्पन्न करना (To develop self confidence)
(10) समाज के विकास में मौलिक योगदान करना (To contribute with original work in social development)
(11) जीवन में सफलता व संतुष्टि प्राप्त करना (To get satisfaction and success in life)
मानसिक स्वास्थ्य की विशेषताएँ (Characteristics of Mental Health)
शिक्षा प्रक्रिया की सफलता मानसिक स्वास्थ्य में निहित है। शिक्षा प्रक्रिया में शिक्षक और छात्र दोनों ही संलग्न रहते हैं अतएव इसकी सफलता इन दोनों के उत्तम मानसिक स्वास्थ्य का परिणाम होती है।
मानसिक स्वास्थ्य की विशेषताओं का ज्ञान किसी मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति की विशेषताओं को समझकर प्राप्त किया जा सकता है। प्रायः उत्तम मानसिक स्वास्थ्य वाले व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण दिखलाई पड़ते हैं-
1. नियमित जीवन (Regular Life)- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति जीवन का प्रत्येक कार्य एक निश्चित समय एवं स्वाभाविक ढंग से करता है। उसके रहन-सहन, खान-पान, सोने-जागने की निश्चित आदतें बन जाती हैं। वह अपने शारीरिक स्वास्थ्य पर पूर्ण ध्यान देता है तथा उसका शरीर स्वस्थ एवं निरोग रहता है,
2. सामंजस्य की योग्यता (Ability to Adjust)- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति सामाजिक जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में शीघ्र समायोजन स्थापित कर लेता है। वह दूसरों के विचारों एवं समस्याओं को ठीक प्रकार से समझकर उनसे यथोचित व्यवहार करता है।
3. संवेगात्मक परिपक्वता (Emotional Maturity)- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के व्यवहार में बौद्धिक एवं संवेगात्मक परिपक्वता दिखलाई पड़ती है। इसका तात्पर्य यह है कि मानसिक दृष्टि से स्वस्थ व्यक्ति में भय, क्रोध, प्रेम, घृणा, ईर्ष्या आदि संवेगों को नियन्त्रण में रखने तथा उचित ढंग से प्रकट करने की योग्यता होती है। उसे अपने संवेगों पर नियन्त्रण करने में किसी तरह का मानसिक कष्ट नहीं होता और वह समस्त कार्यों को प्रसन्नतापूर्वक एवं सफलतापूर्वक सम्पन्न करता है।
4. आत्मविश्वास (Self-Confidence)– मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति में आत्मविश्वास की भावना होती है। वह अपना समस्त कार्य पूर्ण आत्मविश्वास से करता है और उसमें सफल होता है।
5. आत्म-मूल्यांकन की क्षमता (Self Evaluation)— मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति अपने गुण एवं दोषों को जानता है। वह अपने द्वारा किये गये उचित एवं अनुचित कार्यों का निष्पक्ष रूप से विश्लेषण कर सकता है तथा अपने दोषों को सहज रूप से स्वीकार कर लेता है। वह स्वयं अपने व्यवहार को सुधारने का प्रयास करता है।
6. सहनशीलता एवं सन्तुलन (Tolerance and Balance)- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति को जीवन की निराशाओं, विपरीत परिस्थितियों आदि का सामना करने में कष्ट का अनुभव नहीं होता। वह इन परिस्थितियों में अपना मानसिक सन्तुलन बनाये रखता है और अत्यन्त धैर्य एवं सहनशीलता के साथ उनका सामना करते हैं।
7. संतोषजनक सामाजिक समायोजन (Satisfactory Social Adjustment)- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति समाज में स्वयं को भली-भाँति समायोजित कर लेता और उसके सामाजिक सम्बन्ध अत्यन्त सन्तुलित होते हैं। वह सामाजिक कार्यों में प्रसन्नतापूर्वक भाग लेता है।
8. कार्यक्षमता एवं कार्य में संतोष (Efficiency and Satisfaction)- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति अपने कार्य को अत्यन्त रुपिपूर्वक एवं ध्यानपूर्वक करता है। उसे कार्य को सम्पन्न करने में आनन्द और संतोष प्राप्त होता है और उसकी कार्यक्षमता बढ़ती है। उदाहरण के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ विद्यार्थी जब अध्ययन में रुचि लेता है तो उसे आनन्द प्राप्त होता है और सफलता प्राप्त करने पर उसे प्रोत्साहन मिलता है। इससे उसकी कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। मानसिक रूप स्वस्थ व्यक्ति जिस व्यवसाय में लगा रहता है उसमें उसकी रुचि होती है और उसे अपने कार्य से सन्तुष्टि भी होती है। इस तरह उसमें व्यवसाय सम्बन्धी कार्यशीलता बढ़ती जाती है।
उपर्युक्त विशेषताओं का अध्ययन करने से जीवन में मानसिक स्वास्थ्य का महत्त्व एवं आवश्यकता स्पष्ट है।
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