परिस्थिति परीक्षण विधि (Situation Test Method)
साधारणतया परिस्थिति परीक्षण प्रविधि के द्वारा व्यक्तियों के व्यक्तित्व के उन गुणों को जानने का प्रयास किया जाता है जो सामाजिक व्यवहार के विरुद्ध होने के कारण उन्हें वे गुप्त रखना चाहते हैं। यदि हम किसी से यह पूछें कि चोरी करना ठीक है अथवा नहीं तो वह व्यक्ति तुरन्त उत्तर देगा कि चोरी करना ठीक नहीं है। उसके इस कथन से हमें यह न समझ लेना चाहिए कि वह जीवन की वास्तविक परिस्थिति आने पर भी चोरी न करेगा। हो सकता है कि वह चोरी करने की परिस्थिति पाकर चोरी कर ले। इस प्रकार की गुप्त बातें जानने के लिए मनोवैज्ञानिक परिस्थिति-परीक्षण प्रविधि का प्रयोग करते हैं। इस प्रविधि में अध्ययनकर्ता व्यक्ति को ऐसी परिस्थिति में रखता है जिसमें उसकी वास्तविक प्रवृत्तियाँ प्रकट हो जाएं। इस प्रविधि में परीक्षण का उद्देश्य व्यक्ति को नहीं बताया जाता है। हार्टशोर्न (Hartshorne) और में (May) ने बालकों की ईमानदारी की परीक्षा इस प्रकार की। सर्वप्रथम एक कमरे में एक सन्दूक रख दिया गया। इसके बाद चालकों से कहा गया कि तुम सब लोग कमरे में जाकर सन्दूक में कुछ पैसे रख आओ, वे पैसे गरीबों को दान कर दिये जायेंगे। परीक्षण में देखा गया कि कुछ बालक सन्दूक में पैसे रख आते हैं, किन्तु कुछ बालक ऐसे भी थे जिन्होंने पैसे रखने की बजाय सन्दूक में रखे हुए पैसे निकाल लिए। स्पष्ट है कि कुछ विद्यार्थी चोरी की मनोवृत्ति रखते हैं। इस प्रकार इस प्रविधि से अन्य मनोवृत्तियों और अभिरुचियों का पता लगाया जा सकता है।
परिस्थिति परीक्षण विधि का मूल्यांकन (Evaluation of Situation Test Method)
साक्षात्कार, प्रश्नावली एवं व्यक्तित्व मापन की अन्य विधियों में परीक्षार्थी को यह पता रहता है कि उसके व्यक्तित्व का मूल्यांकन व परीक्षण हो रहा है। अतः वह इस सम्बन्ध में यह सूतर्कता बरतने लगता है कि वह अपने को कौन-से रूप में प्रस्तुत करे ताकि उसके व्यक्तित्व के सम्बन्ध में अच्छी धारणा बने, किन्तु परिस्थिति परीक्षण इस दोष से पूर्णतया मुक्त रहता है, क्योंकि परीक्षार्थी को स्वाभाविक वातावरण या परिस्थिति में रखकर उसके बिना जाने उसके व्यक्तित्व के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। परिस्थिति परीक्षण विधि बच्चों के व्यक्तित्व का पता लगाने में विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध होती है। इस विधि के प्रयोग में समय एवं व्यय कम लगता है। इन गुणों के होते हुए व्यक्तित्व परीक्षण की इस विधि को पूर्ण दोषमुक्त नहीं कहा जा सकता । इस विधि का सबसे बड़ा दोष यह है कि इस विधि के सम्पादन के समय व्यक्तित्व के समस्त पहलू प्रकाश में नहीं आ पाते । केवल कुछ थोड़े बाह्य लक्षणों का अभाव हो पाता है और व्यक्तित्व का बहुत बड़ा भाग परीक्षण से अछूता रह जाता है।
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