प्रश्नावली विधि (Questionnaire Method)
व्यक्तित्व के सामाजिक गुणों जैसे- सामाजिकता, आत्माभिव्यक्ति आदि की परीक्षा के लिए मनोविज्ञान में प्रश्नावली विधि का बड़े पैमाने में प्रयोग होता है। जैसा कि नाम से स्पष्ट हैं, प्रश्नावली में कुछ चुने हुए ऐसे प्रश्नों की सूची होती है जिनके उत्तरों में व्यक्तित्व की इन विशेषताओं पर प्रभाव पड़ता है। इस विधि को क्रियान्वित करने से पूर्व व्यक्तित्व के विभिन्न गुणों से सम्बन्धित कुछ प्रश्न तैयार कर लिए जाते हैं और इस विधि का प्रयोग होता है तो बालक को इनका उत्तर हाँ (Yes) अथवा न (No) देना पड़ता है। प्रायः इस पद्धति को सामूहिक रूप से प्रयोग किया जाता है। बालकों को छपे हुए प्रश्नों की एक सूची दे दी जाती है और बालक इन समस्त प्रश्नों का उत्तर ‘हाँ’ या ‘न’ में लिखते हैं। उदाहरण के लिए यदि हमें यह जानना है कि कौन बालक अन्तर्मुखी प्रकृति का है और कौन बालक बहिर्मुखी प्रकृति का तो यह जानने के लिए बालकों से निम्न प्रश्नों का उत्तर देने के लिए कहा जा सकता है-
(1) क्या आप शीघ्र ही घबरा जाते हैं ?
(2) क्या आप अपने विषय में अधिक चिन्तित रहते हैं ?
(3) क्या आप आसानी से चित्र बना सकते हैं ?
(4) क्या आप दूसरों से बातचीत पसन्द करते हैं ?
यदि व्यक्ति प्रथम दो प्रश्नों का स्वीकारात्मक उत्तर देता है तो वह अन्तर्मुखी प्रकृति का व्यक्ति माना जायेगा और यदि अन्तिम दो प्रश्नों का स्वीकारात्मक उत्तर देता है तो वह बहिर्मुखी प्रकृति का माना जाता है।
प्रश्नावलियों के प्रकार (Kinds of Questionnaire )
प्रश्नावलियाँ निम्नलिखित चार प्रकार की होती हैं-
(1) प्रतिबन्धित प्रश्नावली (Closed Questionnaire)- इस प्रकार का प्रश्नावली में सूचनादाता को प्रायः प्रश्नों का उत्तर ‘हाँ’ या ‘नहीं’ में देना पड़ता है। उदाहरण के लिए निम्नलिखित प्रश्न हैं
(i) क्या आप जाति व्यवस्था पसन्द करते हैं ? हाँ / नहीं
(ii) क्या आप अस्पृश्यता निवारण के पक्ष में हैं ? हाँ / नहीं
(iii) क्या आप जाति व्यवस्था के स्थान पर वर्ग व्यवस्था चाहते हैं ? हाँ / नहीं
(iv) आप किस जाति से सम्बन्धित हैं ? ब्राह्मण/क्षत्रिये / वैश्य / शूद्र
(2) अप्रतिबन्धित प्रश्नावली (Open Questionnarie )- यह वह प्रश्नावली है जिसमें सूचनादाता को खुलकर प्रश्न का उत्तर देने का अवसर प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए निम्नलिखित प्रश्न हैं-
(i) भारत की व्यवस्था के सम्बन्ध में आपके क्या विचार हैं ?
(ii) भारत के प्रशासन में कुशलता के सम्बन्ध में आपके क्या विचार हैं ?
(iii) भारत की विदेश नीति की सफलता या असफलता के सम्बन्ध में आपके क्या विचार हैं ?
(3) चित्रित प्रश्नावली (Pictorial Questionnaire)- इस प्रकार की प्रश्नावली में चित्र मुद्रित होते हैं। प्रश्नों का उत्तर इन चित्रों पर निशान लगाकर दिया जाता है।
(4) मिश्रित प्रश्नावली (Mixed Questionnaire)- जैसाकि नाम से स्पष्ट है कि इस प्रकार की प्रश्नावली में उपर्युक्त तीनों प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं।
प्रश्नावली विधि का मूल्यांकन (Evaluation of Questionnaire Method)
प्रश्नावली विधि यद्यपि व्यक्तित्व परीक्षण की एक अति महत्त्वपूर्ण विधि है किन्तु इस विधि में कुछ दोष (Demerits) या सीमाएँ (Limitations) हैं जो कि निम्नलिखित हैं-
(1) इस विधि में सबसे पहला दोष यह है कि इसका प्रयोग विशेष रूप से शिक्षित व्यक्तियों पर ही किया जा सकता है और इस प्रकार यह प्रविधि अशिक्षित व्यक्तियों के अध्ययन के लिए उपयोगी सिद्ध नहीं हो सकती है।
(2) प्रायः देखा जाता है कि समय के अभाव, सन्देह या अन्य कारण से व्यक्ति प्रश्नावलियों को भरना पसन्द नहीं करते हैं। बहुत से व्यक्ति उत्तर के सम्बन्ध में बिना मनन किये हुए ही प्रश्नों के उत्तर लिख देते हैं जिससे संगृहीत प्रदान सामग्री में सत्यता का अभाव रहता है।
(3) कभी-कभी प्रश्नों की भाषा इस प्रकार होती है कि उसका परीक्षक कुछ अर्थ लगाता है और परीक्षार्थी कुछ।
(4) कभी-कभी परीक्षार्थी जान-बूझकर सही बात छिपा लेते हैं और गलत उत्तर दे देते हैं।
(5) इस विधि के द्वारा वास्तविक परिस्थितियों में परीक्षक से वास्तविक व्यवहार का पता लगाना मुश्किल है।
इन दोषों या सीमाओं के होते हुए प्रश्नावली विधि अनेक गुणों (Merits) से परिपूर्ण है जिनमें से प्रमुख इस प्रकार हैं
(1) यह विधि एक समय में बहुत से व्यक्तियों का सामूहिक व्यवहार अध्ययन करने में सहायता करती है। परिणामस्वरूप इसके प्रयोग से धन तथा समय दोनों की बचत होती है।
(2) यह विधि रुचियों (Interests), मनोवृत्तियों (Attitudes) आदि का अध्ययन करने,नीतिमत्ता (Morale) का सर्वेक्षण करने तथा व्यक्तित्व के लक्षण (Personality Traits) को मापने के लिए विशेष रूप से प्रयोग की जाती है।
(3) इस विधि में विभिन्न परीक्षार्थियों द्वारा एक प्रश्न के अनेक उत्तर दिये जाने से तुलनात्मक अध्ययन (Comparative Study) में अत्यधिक सहायता मिलती है।
(4) प्रश्नावलियों पर आधारित निर्णय तुलनात्मक होने के साथ-साथ संख्यात्मक भी होते हैं।
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