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प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण की समस्या के स्वरूप व कारण समझाइये।

प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण की समस्या के स्वरूप व कारण समझाइये।
प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण की समस्या के स्वरूप व कारण समझाइये।

प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण की समस्या का स्वरूप (Nature of Problem)

भारत में प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण का अर्थ है 6-14 आयु वर्ग के सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा (कक्षा 1 से 8 तक) की सुविधा उपलब्ध हो, सभी उसमें प्रवेश लें और सभी अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करें, बीच में न छोड़ें। केन्द्रीय सरकार के आँकड़े बताते है कि भारत में 6-11 आयु वर्ग के 90% बच्चों को निम्न प्राथमिक शिक्षा तथा 11-14 आयु वर्ग के 80% बच्चों को उच्च प्राथमिक शिक्षा के अवसर उपलब्ध हैं। आँकड़े यह भी बताते है कि गांवों में 1 किमी. की दूरी के अन्दर प्राथमिक विद्यालय नहीं हैं और लगभग 2 करोड़ बच्चे प्राथमिक शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं।

जनसंख्या विस्फोट को देखते हुए भविष्य में और भी अधिक प्राथमिक विद्यालय खोलने की आवश्यकता होगी। प्राथमिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण करना एक बड़ी समस्या है। जब तक प्राथमिक शिक्षा को सर्वसुलभ नहीं बनाया जाता, उसका सार्वभौमीकरण नहीं किया जाता, तब तक उसे अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता।

प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण की समस्या के कारण (Causes of Problem)

प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण की समस्या के निम्नलिखित कारण हैं-

1. संसाधनों की कमी (Lack of Resources)- केन्द्रीय बजट में रक्षा के बाद दूसरा स्थान शिक्षा का है। परन्तु हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि की दर इतनी तेजी से बढ़ रही है कि उसके लिये यह बजट बहुत कम है। सरकारी ऑकड़ों के अनुसार शिक्षा बजट का 98 से 90 प्रतिशत भाग शिक्षा के प्रशासन तन्त्र और शिक्षकों के वेतन पर ही व्यय हो जाता है। बचे हुए भाग से शिक्षा का प्रसार करना असंभव लगता है।

2. जनसहयोग की कमी (Lack of Public Co-operation) – हमारे देश के लोगों में जागरूकता की कमी है। कई बार जनता सरकार द्वारा चलाये जाने वाले उन्नयन कार्यक्रमों से अनभिज्ञहोने के कारण उन कार्यक्रमों का लाभ नहीं उठा पाती है। जन सहयोग के नाम पर चलने वाली संस्थाओं की भूमिका भी नगण्य है।

3. भौगोलिक परिस्थितियाँ (Geographic Situation) – हमारे देश में दूर-दराज के पहाड़ी, रेगिस्तानी और जंगली क्षेत्रों की छोटी-छोटी बस्तियों में स्कूलों की व्यवस्था करना एक बड़ी समस्या हैं।

4. समाज का पिछड़ापन, अशिक्षा और निर्धनता (Backwardness, Illiteracy and Poverty of Society) – समाज में अशिक्षा, पिछड़ेपन, निर्धनता के कारण माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते हैं।

5. बढ़ती हुई जनसंख्या (Increase Population) – देश में जनसंख्या वृद्धि के कारण विद्यालयों की पूर्ति नहीं हो पा रही है। आज जितने भी विद्यालय खोले जाते हैं कल उनसे अधिक विद्यालयों की माँग बढ़ जाती है।

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