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अवलोकन विधि | अवलोकन विधि के गुण | अवलोकन विधि की सीमाएँ

अवलोकन विधि
अवलोकन विधि

अवलोकन विधि (Observation Method)

वास्तविक जीवन परिस्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार के अध्ययन का सबसे प्रचलित तरीका अवलोकन ही है। मनोवैज्ञानिक थार्नडाइक और जर्सिल्ड ने प्रारम्भ में इसी विधि का प्रयोग किया था। अवलोकन विधि में दो चरणों का प्रयोग होता है-

प्रथम चरण- अवलोकनकर्ता यह निश्चित करता है कि उसे व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का अवलोकन करना है।

द्वितीय चरण- अवलोकनकर्ता चयनित विशेषताओं से सम्बन्धित प्रयोज्य की गतिविधियों का उसके वास्तविक जीवन की स्थितियों में अवलोकन करता है।

अवलोकन दो प्रकार से किया जा सकता है-

(1) बिना छिपे- इस प्रकार में अवलोकनकर्ता स्वयं को छिपाता नहीं है। वह प्रयोज्य के सामने रहता है। कभी-कभी अवलोकनकर्ता प्रयोज्य के समूह का सदस्य भी बन जाता है। उदाहरणार्थ- हिमालय की घाटियों में रहने वाले आदिम लोगों का अध्ययन करने के लिए एक सामाजिक शोधकर्त्ता दो महीने तक उनके समूह में रहा, उनके तमाम क्रियाकलापों और उत्सवों में भाग लेता रहा।

(2) बिना सामने आए- दूसरे प्रकार में अवलोकनकर्ता सामने नहीं आता। वह ऐसे स्थान पर रह कर अवलोकन करता है जहाँ से उसकी उपस्थिति का एहसास विषयी को नहीं होता। इस प्रकार में अवलोकनकर्त्ता टेपरिकॉर्डर, कैमरा, दूरबीन आदि का भी प्रयोग कर सकता है। अवलोकन के परिणामों की सत्यता को परखने के लिए उन्हीं परिस्थितियों से बार-बार अवलोकन किया जा सकता है या कई अवलोकनकर्ताओं के एक समूह का भी प्रयोग किया जा सकता है।

अवलोकन विधि के गुण (Merits of Ol servation Method)

इस विधि के निम्नलिखित गुण हैं-

1. आवश्यकतानुसार यंत्र या उपकरणों का प्रयोग करके अवलोकित तथ्यों की सत्यता को प्रमाणित किया जा सकता है।

2. छोटे बालकों के व्यक्तित्व मापन के लिए यह विधि बहुत उपयोगी है।

3. इसमें मापनकर्ता प्रयोज्य या विषयी के गुणों या विशेषताओं का स्वयं अवलोकन करता है।

4. यह विधि कम खर्चीली होती है।

अवलोकन विधि की सीमाएँ (Limitations of Observation Methods)

अवलोकन विधि की प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित हैं-

1. व्यक्तित्व के सीमित गुणों या विशेषताओं का ही अवलोकन सम्भव हो पाता है।

2. यदि एक से अधिक अवलोकनकर्ता होते हैं, तो उनके अवलोकन के भिन्न-भिन्न परिणाम प्राप्त होते हैं। अतः अवलोकन द्वारा तथ्य सामग्री पूर्ण निष्पक्ष नहीं हो पाती।

3. अवलोकनकर्ता स्वतंत्र रूप से निरीक्षा व विचार करता है अतः वह घटनाओं को अपने दृष्टिकोण से देखता है, उसके पूर्वाग्रह भी सम्मिलित हो जाते हैं।

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