मानसिक स्वास्थ्य-विज्ञान का अर्थ (Meaning of Mental Hygiene)
मन को स्वस्थ एवं निरोग रखने वाला विज्ञान ही मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान कहलाता है। जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ और निरोग रखने के लिए शरीर विज्ञान का महत्त्व है, उसी प्रकार मानसिक विज्ञान के अन्तर्गत हम मन को स्वस्थ रखने के नियमों और उपायों का अध्ययन करते हैं ताकि व्यक्तित्व का सन्तुलित विकास हो सके। विभिन्न विद्वानों ने मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की परिभाषा भिन्न-भिन्न प्रकार से दी है। यहाँ हम प्रमुख परिभाषाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं-
(1) ड्रेवर- “मानसिक स्वास्थ्य-विज्ञान का अर्थ है- मानसिक स्वास्थ्य के नियमों की खोज करना और उनको सुरक्षित रखने के उपाय करना ।”
(2) क्रो एवं क्रो- “मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान वह विज्ञान है जो मानव कल्याण के विषय में बताता है और मानव सम्बन्धों के सभी क्षेत्रों को प्रभावित करता है।”
(3) हेडफील्ड- “मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का सम्बन्ध मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा और अव्यवस्था को दूर करने से है।
(4) शेफर- “मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान मोटे तौर पर सभी व्यक्तियों के लिए कुछ न कुछ सम्बन्ध रखता है। मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को एक अधिक पूर्ण, सुखी, समायोजित और प्रभावकारी अस्तित्व प्राप्त करने में सहायता करना है।”
“वेबस्टर डिक्शनरी” में मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के सम्बन्ध में कहा गया है “मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान वह विज्ञान है जिसके द्वारा हम मानसिक स्वास्थ्य को स्थिर रखते हैं तथा पागलपन और स्नायु सम्बन्धी रोगों को पनपने से रोकते हैं। साधारण स्वास्थ्य विज्ञान में केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर ही ध्यान दिया जाता है, परन्तु मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान में मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य भी सम्मिलित किया जाता है, क्योंकि बिना शारीरिक स्वास्थ्य के मानसिक स्वास्थ्य सम्भव नहीं है।”
उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का सम्बन्ध शारीरिक स्वास्थ्य से है। भावना ग्रन्थियों और मानसिक संघर्षों से मुक्त मन को ही स्वस्थ मन कहा जा सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के उद्देश्य (Purpose of Mental Health and Hygiene)
मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
1. व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करना, मानसिक एवं सांवेगिक असन्तुलन को दूर करना जिससे व्यक्ति कुशलतापूर्वक कार्य कर सके और समाज का उपयोगी सदस्य बन सके।
2. मानसिक रोगों और व्याधियों का निदान एवं प्रारम्भिक उपचार करना, चिन्ताओं और कुसमायोजन का निराकरण करना तथा ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न करना जिससे व्यक्ति की प्राकृतिक कामनायें सन्तुष्टि हो सकें।
3. शेफर (Shaffer) के अनुसार विस्तृत अर्थ में मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का उद्देश्य है प्रत्येक व्यक्ति को पूर्ण प्रसन्न, अधिक सामंजस्यपूर्ण एवं अधिक प्रभावपूर्ण अस्तित्व की उपलब्धि में सहायता देना।
4. क्रो और क्रो के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं-
(क) व्यक्तित्व के विकास और जीवन के अनुभवों के बीच सम्बन्ध की समझदारी का विकास।
(ख) व्यक्ति और समुदाय के मानसिक स्वास्थ्य का परिरक्षण और सुधार ।
(ग) नई तकनीक की खोज एवं प्रयोग जिससे मानसिक रोगियों की सहायता की जा सके।
5. बोरिंग, लैंगफेल्ड तथा वेल्ड (Boring, Langfeld & Weld) के अनुसार चिन्ताओं और कुसमायोजन के निराकरण द्वारा व्यक्ति को अधिक सन्तोषजनक और अधिक सफल जीवन की उपलब्धि में सहायता देना मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान प्रमुख उद्देश्य है।
6. वर्तमान समय में मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का प्रमुख उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में ऐसे विचारों की भूमिका तैयार करना है जिससे विश्वशान्ति की स्थापना सम्भव हो ।
मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के सम्पूर्ण उद्देश्यों की प्राप्ति यदि सम्भव नहीं है तो औषधि विज्ञान की तुलना में जिसने अनेक रोगों के प्रकोप को कम कर दिया है, अभी बहुत कुछ किया जा सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के सिद्धान्त (Principles of Mental Hygiene)
मानसिक स्वास्थ्य विकास के प्रमुख सिद्धान्त निम्न हैं-
(i) व्यक्ति की मूल प्रवृत्तियों संवेगों एवं जन्मजात शक्तियों पर नियंत्रण एवं योग्यता प्रदान करना ।
(ii) व्यक्ति को सामाजिक बनाना, उसे सामाजिक नियमों रीति-रिवाजों और आदर्शों से परिचित कराना।
(iii) मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करना एवं मानसिक रोगों की रोकथाम करना ।
(iv) मानसिक रोगों का उपचार करना एवं स्वस्थ पारिवारिक वातावरण उत्पन्न करना।
(v) परिवार, पड़ोस एवं विद्यालय में स्वस्थ्य समायोजन उपलब्ध कराना।
मानसिक स्वास्थ्य-विज्ञान का महत्त्व (Importance of Mental Hygiene)
वर्तमान समय में मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का महत्त्व इस प्रकार है-
(1) स्वस्थ पारिवारिक जीवन- मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान स्वस्थ पारिवारिक वातावरण उत्पन्न करता है क्योंकि जब मानव का जीवन सन्तुलित होता है तो उसका पारिवारिक वातावरण स्वयंमेव सुखी और शान्तिदायक होता है। परिवार के सदस्यों में पारस्परिक प्रेम और सद्भावनापूर्ण व्यवहार में हर तरह के सुखों का संचार होता है।
(2) सन्तुलित व्यक्तित्व- मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान हमारे व्यक्तित्व के विभिन्न पक्षों शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगों को सन्तुलित रूप से विकसित होने का अवसर प्रदान करता है। वह हमें मानसिक संघर्ष की चक्की में पिसने और भावना ग्रन्थियों की जड़ता से मुक्त रखता है।
(3) सुसमायोजित जीवन- जब हमें सन्तुलित जीवन व्यतीत करने के अवसर उपलब्ध होते हैं तो हम स्वयं सुसमायोजित और सुखी जीवन विताने का अवसर प्राप्त करते है।
(4) शिशुओं का उचित पालन-पोषण-मानसिक स्वास्थ्य-विज्ञान के द्वारा माता पिता और परिवार के सदस्य यह भली-भाँति समझ सकते हैं कि किस तरह से शिशुओं का सुचारु रूप से पालन-पोषण किया जाय।
(5) शैक्षिक प्रगति-मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के द्वारा इस प्रकार के नियम प्राप्त होते हैं जिनसे बालकों का स्वस्थ संवेगात्मक विकास हो सकता है। वे मानसिक संघर्ष और भावना ग्रन्थियों से मुक्त रह सकते हैं और परिवार, पड़ोस एवं विद्यालय से स्वस्थ समायोजन स्थापित कर सकते हैं। इस स्थिति में बालकों की शैक्षिक प्रगति उचित प्रकार से होती है।
(6) स्वस्थ सामाजिक वातावरण-समाज व्यक्तियों का समूह होता है, अतः जब व्यक्ति सुसमायोजित होंगे तो स्वस्थ समाज का निर्माण स्वयंमेव हो जायेगा। देश में होने वाले प्रत्येक प्रकार के सामाजिक संघर्ष मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के प्रचार से समाप्त हो जायेंगे।
(7) उपचारात्मक महत्त्व- मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान केवल स्वस्थ रहने और समायोजित जीवन बिताने के लिए नियम ही निर्धारित नहीं करता बल्कि मानसिक रोग एवं व्यवहार सम्बन्धी दोषों के उपचार में भी सहायक होता है। इसके द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त मानसिक चिकित्सा में प्रयुक्त किए जाते हैं।
(8) व्यावसायिक महत्त्व-व्यावसायिक जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए भी व्यक्ति का सन्तुलित एवं समायोजित जीवन अत्यन्त आवश्यक है। इस दृष्टि से व्यावसायिक सफलता के लिये भी मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का ज्ञान आवश्यक है।
(9) राष्ट्रीय एकता-आधुनिक युग में विभिन्न विघटनकारी तत्त्वों के फलस्वरूप राष्ट्रीय एकता छिन्न-भिन्न हो रही है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों का विचार है कि इन विघटनकारी तत्त्वों के विनाश हेतु यह आवश्यक है कि देश के लोगों में भावात्मक एकता हो। इस दिशा में मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान वरदान सिद्ध हो सकता है।
(10) अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति-आधुनिक युग में हम अन्तर्राष्ट्रीय तनाव की स्थिति में जी रहे हैं। वास्तव में अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति तभी स्थापित हो सकती है जबकि समस्त राष्ट्रों के कर्णधार नेता, विचारक और नागरिक सन्तुलित एवं सुसमायोजित व्यक्तित्व वाले हों। इस क्षेत्र में भी मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान अपना महत्त्वपूर्ण सहयोग प्रदान कर सकता है।
इस प्रकार मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान व्यक्ति को समायोजित जीवन व्यतीत करने के हेतु अवसर प्रदान कर सकता है।
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