राजनीति विज्ञान / Political Science

साक्षात्कार के प्रकार | TYPES OF INTERVIEW IN HINDI

साक्षात्कार के प्रकार | TYPES OF INTERVIEW IN HINDI
साक्षात्कार के प्रकार | TYPES OF INTERVIEW IN HINDI

साक्षात्कार के प्रकार (TYPES OF INTERVIEW)

विभिन्न विद्वानों ने साक्षात्कार के उद्देश्यों, अवधि, क्षेत्र, औपचारिकता, उपागम के आधार, भाग लेने वाले व्यक्तियों की संख्या, आदि के आधार पर साक्षात्कार के प्रकारों का उल्लेख किया है। साक्षात्कार के प्रकार निम्न हैं-

1. उद्देश्य के आधार पर (On the basis of Purpose)

(1) निदानात्मक साक्षात्कार (Diagnostic Interview)– इस प्रकार के साक्षात्कार | का उद्देश्य किसी सामाजिक समस्या के कारणों को ज्ञात करना होता है। जिस प्रकार से एक डॉक्टर रोग के कारणों को जानने के लिए रोगी से पूछ-ताछ करता है, उसी प्रकार से सामाजिक समस्याओं एवं घटनाओं के कारणों को जानने के लिए अनुसन्धानकर्ता सूचनादाता से साक्षात्कार करता है। उदाहरण के लिए, अपराध, बाल-अपराध, बेकारी, आदि समस्याओं के कारणों को जानने के लिए किये जाने वाले साक्षात्कार निदानात्मक साक्षात्कार ही हैं।

(2) उपचारात्मक साक्षात्कार (Treatment Interview)- सामाजिक समस्या के कारणों को जान लेने मात्र से ही समस्या का हल नहीं हो जाता वरन् समस्या को दूर करने के लिए लोगों से सुझाव एवं उपाय भी पूछे जाते हैं। ऐसे साक्षात्कार को उपचारात्मक साक्षात्कार कहा जाता है।

(3) अनुसन्धानात्मक साक्षात्कार (Research Interview) अनुसन्धानात्मक साक्षात्कार का उद्देश्य सामाजिक जीवन एवं घटनाओं के बारे में नवीन ज्ञान एवं तथ्यों की खोज करना होता है। सूचनादाताओं की भावनाओं, विचारों, मनोवृत्तियों, मूल्यों एवं आदर्शों आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए इस प्रकार के साक्षात्कार आयोजित किये जाते हैं।

2. सूचनादाताओं की संख्या के आधार पर (On the basis of number of (Informants)

(1) व्यक्तिगत साक्षात्कार (Personal Interview )— इस प्रकार के साक्षात्कार में एक समय में एक साक्षात्कार लेने वाला एवं एक सूचनादाता परस्पर विषय से सम्बन्धित वार्तालाप करते हैं। इसमें साक्षात्कारकर्ता प्रश्न पूछता जाता है और सूचनादाता उसका उत्तर देता जाता है। इसमें सूचनादाता को साक्षात्कारकर्ता से व्यक्तिगत प्रेरणा भी मिलती रहती है जिससे वह व्यक्तिगत तथ्यों को स्वतन्त्रतापूर्वक व्यक्त करता है।

लाभ-
  1. इस प्रकार के साक्षात्कार में विषय से सम्बन्धित विश्वसनीय, सही एवं प्रामाणिक सूचनाएं प्राप्त की जा सकती हैं। यदि सूचनादाता किसी प्रश्न को नहीं समझ पाता है या गलत समझता है तो साक्षात्कारकर्ता उसके सही अर्थ को स्पष्ट कर सही सूचनाएं प्राप्त कर सकता है।
  2. इस प्रकार के साक्षात्कार में संवेदनशील प्रश्नों को जिनमें उत्तरदाता के क्रोधित होने या भावुक होने का डर हो, इस प्रकार से हेर-फेर कर पूछा जा सकता है जिससे उसकी भावना को ठेस न लगे और उत्तर भी प्राप्त हो जाय।
  3. प्रश्नों की कठिन भाषा को भी साक्षात्कारकर्ता सूचनादाता के समक्ष सरल शब्दों में रख सकता है।
  4. ऐसे साक्षात्कार में प्राप्त सूचनाओं की जांच सम्भव है।
  5. इसमें विषय से सम्बन्धित गहन एवं विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
  6. इसमें अन्तरंग एवं घनिष्ठ सम्बन्धों की स्थापना सम्भव होती है।

दोष-

  1. इसमें अधिक समय, धन एवं श्रम खर्च होता है।
  2. इसमें पक्षपात आने की भी अधिक सम्भावना रहती है।
  3. इसमें प्रत्येक सूचनादाता से सम्पर्क स्थापित करना होता है जो कि एक कठिन कार्य है।
  4. इस प्रकार के साक्षात्कार का आयोजन एवं संगठन भी एक कठिन कार्य है।

(2) सामूहिक साक्षात्कार (Group Interview)- इस प्रकार के साक्षात्कार के अन्तर्गत एक साक्षात्कारकर्ता एक समय में एक से अधिक व्यक्ति अथवा एक समूह से इच्छित एवं आवश्यक सूचनाओं को प्राप्त करता है। वह समूह में लोगों से बारी-बारी से प्रश्न कर सकता है अथवा किसी प्रश्न का उत्तर समूह का कोई नेता, व्यक्ति या सामूहिक रूप से भी दे सकते हैं। समूह के लोग मौन रहकर सूचनादाता के प्रति अपनी सहमति व्यक्त कर सकते हैं अथवा उसका विरोध और आलोचना भी कर सकते हैं। इस प्रकार के साक्षात्कार द्वारा ऐसी सूचनाएं संकलित की जाती हैं जिनका सम्बन्ध सम्पूर्ण समूह से हो।

लाभ — (i) यह कम खर्चीली विधि है। (ii) इसमें विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है। (iii) इसमें प्राप्त सूचनाओं की विश्वसनीयता एवं प्रामाणिकता दूसरे व्यक्तियों की उपस्थिति के कारण सम्भव हो पाती है। उनसे घटना का स्पष्टीकरण प्राप्त किया जा सकता है। (iv) इसमें काफी जनसंख्या वाले क्षेत्र में सामग्री का संकलन सरलता से किया जा सकता है। (v) इसमें व्यक्तिगत पक्षपात की सम्भावना नहीं रहती। (vi) इससे अधिक सूचनाएं एकत्रित की जा सकती हैं। (vii) इसमें कम कुशल व्यक्ति भी साक्षात्कार का संचालन कर सकता है।

दोष — (i) इसमें गोपनीयता का अभाव पाया जाता है। अतः इस प्रकार के साक्षात्कार द्वारा व्यक्तिगत जीवन से सम्बन्धित सूचनाएं प्राप्त नहीं की जा सकतीं। (ii) इसका उपयोग गहन अध्ययनों के लिए नहीं किया जा सकता। (iii) समूह में कई उत्तरदाता प्रश्नों को समझने में असमर्थ रहते हैं, अतः सही उत्तर प्राप्त नहीं हो पाते।

3. अवधि के आधार पर (On the basis of Duration)

सूचनादाताओं से सम्पर्क की अवधि के आधार पर साक्षात्कार को दो भागों में बांटा गया है-

(1) अल्पकालिक साक्षात्कार (Short term Interview) – कुछ साक्षात्कार ऐसे होते हैं जिनमें विषय से सम्बन्धित कुछ छोटी-छोटी बातें ही जाननी होती हैं, और उनमें गिने चुने प्रश्नों के ही उत्तर प्राप्त किये जाते हैं, अतः वे शीघ्र समाप्त हो जाते हैं। इसलिए इन कुछ समस्याएं ऐसी साक्षात्कारों को अल्पकालिक साक्षात्कार कहा जाता है।

(2) दीर्घकालिक साक्षात्कार (Long term Interview)— होती हैं जिनके बारे में गहन और विस्तृत जानकारी प्राप्त करनी होती है, उनके लिए लम्बी अवधि के साक्षात्कारों का आयोजन किया जाता है जो कई घण्टे, कई दिनों और महीनों तक भी चलाए जा सकते हैं। मनोविश्लेषणकर्ता एवं मनोचिकित्सक मानसिक रोगियों के उपचार हेतु इस प्रकार के साक्षात्कार का प्रयोग करते हैं।

4. संरचना के आधार पर (On the basis of Structure )-

यहां साक्षात्कार में पहले से ही प्रश्नों का निर्माण किया जाता है अथवा मूल रूप से प्रश्न पूछे जाते हैं। इस आधार पर साक्षात्कार को निम्नांकित तीन भागों में बांटा गया है-

(1) संरचित साक्षात्कार (Structured Interview )- इस प्रकार के साक्षात्कार में अध्ययन विषय से सम्बन्धित कुछ प्रश्नों का पहले से ही निर्माण कर लिया और उन्हें एक व्यवस्थित क्रम में रख लिया जाता है। साक्षात्कारकर्ता इन प्रश्नों को सूचनादाता से पूछकर जानकारी प्राप्त करता है। प्रश्नों की इस सूची को ‘साक्षात्कार अनुसूची’ (Interview Schedule) कहते हैं। साक्षात्कारकर्ता साक्षात्कार अनुसूची में दिए हुए प्रश्नों को उसी क्रम में पूछता है, उनमें हेर-फेर करने की उसे छूट नहीं होती है। इसमें साक्षात्कार का समय, अवधि तथा परिस्थिति आदि सभी का पूर्ण निर्धारण कर लिया जाता है ताकि साक्षात्कार में समानता बनी रह सके। इस प्रकार के साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता एवं सूचनादाता दोनों पर नियन्त्रण बना रहता है। इस प्रकार के साक्षात्कार को नियोजित साक्षात्कार, निर्देशित साक्षात्कार या औपचारिक साक्षात्कार भी | कहा जाता है। प्रशासकीय तथा विविध प्रकार के बाजार सर्वेक्षण एवं मतदान व्यवहार को ज्ञात करने के लिए इस प्रकार के साक्षात्कारों का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार के साक्षात्कारों में पक्षपात आने की सम्भावना नहीं होती क्योंकि प्रश्नों का निर्माण पहले से ही कर लिया जाता है।

(2) असंरचित साक्षात्कार (Unstructured Interview )– इस प्रकार के साक्षात्कार को अनिर्देशित अनियन्त्रित, अनौपचारिक तथा असंरचित साक्षात्कार भी कहते हैं। इस प्रकार के साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता के पास प्रश्नों की कोई पूर्व-निर्धारित सूची नहीं होती है, वरन् विषय से सम्बन्धित प्रश्नों का तत्काल ही निर्माण किया जाता है। इस प्रकार के साक्षात्कार द्वारा सूचनादाता की भावनाओं, मनोवृत्तियों, विचारों एवं आदर्शों, आदि को ज्ञात किया जाता है। इसमें साक्षात्कारकर्ता का मार्गदर्शन करने के के लिए साक्षात्कार पथ-प्रदर्शिका (Interview guide) का प्रयोग अवश्य किया जाता है, जिसमें विषय से सम्बन्धित जिस प्रकार की जानकारी प्राप्त करनी हो, उसके बारे में मोटी-मोटी बातें लिखी होती हैं। इस प्रकार के साक्षात्कार का प्रयोग आदिम जनजातियों के अध्ययन में मानवशास्त्रियों ने काफी किया है। ऐसे साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता में उच्च स्तरीय ज्ञान और कुशलता की आवश्यकता होती है। इसके अन्तर्गत | नमनीयता या लचीलेपन की भी अधिक सम्भावना रहती है। इसमें साक्षात्कारकर्ता परिस्थिति के | अनुसार प्रश्नों को बदलकर महत्त्वपूर्ण तथ्यों को प्राप्त कर सकता है।

(3) अर्द्ध-संरचित साक्षात्कार (Semi-structured Interview )– इस प्रकार का साक्षात्कार न तो पूर्ण रूप से संरचित होता है और न ही पूर्णतया असंरचित ही वरन् इसमें दोनों का सम्मिश्रण होता है। विषय से सम्बन्धित कुछ प्रश्न तो पहले से ही निर्मित कर लिए जाते हैं और कुछ साक्षात्कारकर्ता स्वतन्त्र रूप से पूछता है।

5. आवृत्ति के आधार पर (On the basis of Frequency)

कई बार साक्षात्कार एक ही बार में पूर्ण हो जाता है और कई बार उसकी पुनरावृत्ति करनी पड़ती है। इस आधार पर साक्षात्कारों को दो भागों में बांटा गया है-

(1) प्रथम या अन्तिम साक्षात्कार (First or final Interview)- इस प्रकार के साक्षात्कार में पहली बार में ही सारी सूचनाएं संकलित कर ली जाती हैं, और सूचनादाता से इस सन्दर्भ में बार-बार सम्पर्क की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए इसे प्रथम या अन्तिम साक्षात्कार कहा जाता । इस प्रकार का साक्षात्कार समस्या के बारे में सामान्य जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

(2) पुनरावृत्ति साक्षात्कार ( Repetitive Interview)- इस प्रकार के साक्षात्कार का प्रयोग लेजार्सफील्ड ने किया था। जब किसी निरन्तर परिवर्तित होने वाली प्रवृत्ति को ज्ञात करना हो अथवा विकास के प्रतिमान का पता लगाना हो तो इस पद्धति का प्रयोग किया जाता है। इसमें सूचनादाता से कुछ अवधि के बाद बार-बार भेंट कर सूचनाएं संकलित की जाती हैं। किसी नगर पर बढ़ते हुए औद्योगीकरण के प्रभावों को ज्ञात करने के लिए इस प्रकार साक्षात्कार का प्रयोग किया जा सकता है। इस विधि के कई लाभ होते हुए भी इसकी कुछ सीमाएं भी हैं, जैसे यह एक खर्चीली प्रणाली है। इसमें समय भी अधिक लगता है। इसके लिए स्थायी अनुसन्धान संस्था का निर्माण करने की आवश्यकता पड़ती है। साथ ही इसमें स्थायी सूचनादाताओं को भी खोजना पड़ता है।

6. सम्पर्क के आधार पर (on the basis of Contact)

सूचनादाता से सम्पर्क के आधार पर साक्षात्कार को निम्न दो भागों में बांटा गया है-

(1) प्रत्यक्ष साक्षात्कार (Direct Interview)- इस प्रकार के साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता एवं सूचनादाता परस्पर आमने-सामने होकर वार्तालाप करते हैं। इसमें साक्षात्कारकता सूचनादाता के हाव-भाव, चेहरे की अभिव्यक्ति, आदि को देखकर उसके मनोभावों का अध्ययन कर सकता है।

(2) अप्रत्यक्ष साक्षात्कार (Indirect Interview)- इस प्रकार के साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता उत्तरदाता के सामने-सामने की स्थिति में नहीं होता है। टेलीफोन के द्वारा साक्षात्कार लेना अथवा पर्दे में रहने वाली स्त्रियों से पर्दा डालकर अथवा किसी मध्यस्थ व्यक्ति के माध्यम से सूचना एकत्रित करना अप्रत्यक्ष साक्षात्कार कहलाता है।

7. औपचारिकता के आधार पर (On the basis of Formality)

(1) औपचारिक साक्षात्कार (Formal Interview )- इसमें पहले से ही कुछ प्रश्न बनाकर लिख लिए जाते हैं। इनके अतिरिक्त नये प्रश्न बनाने व शब्दों में परिवर्तन करने की छूट साक्षात्कारकर्ता को नहीं होती है। इसे नियमित, संचालित व निर्देशित साक्षात्कार भी कहते हैं।

(2) अनौपचारिक साक्षात्कार (Informal Interview)- इसमें साक्षात्कारकर्ता को प्रश्नों को बनाने, क्रम परिवर्तन करने, अर्थ की व्याख्या करने, नये प्रश्न बनाने एवं प्रश्नों की शब्दावली में परिवर्तन करने की छूट होती है। इसमें साक्षात्कार के समय किसी भी प्रकार की अनुसूची की सहायता नहीं ली जाती है। इसे अनियन्त्रित एवं अनिर्देशित साक्षात्कार भी कहते हैं।

8. अध्ययन पद्धति के आधार पर (On the basis of Methodology)

अध्ययन पद्धति के आधार पर साक्षात्कार को निम्नांकित दो भागों में बांटा गया है-

(1) केन्द्रित साक्षात्कार (Focused Interview)— इस प्रकार के साक्षात्कार का प्रयोग सर्वप्रथम अमेरिकन समाजशास्त्री मर्टन ने 1946 में सार्वजनिक सन्देशवाहन के साधनों जैसे रेडियो, टी.वी., फिल्म, समाचार-पत्र, आदि के सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक प्रभावों को जानने के लिए किया था। आपने रेडियो के सामाजिक जीवन पर 150 प्रभावों का उल्लेख किया है। यह साक्षात्कार उन्हीं सूचनादाताओं का लिया जाता है जो अध्ययन विषय से सम्बन्धित रहे हों। उदाहरण के लिए, किसी रेडियो कार्यक्रम को सुनने अथवा किसी फिल्म को देखने के बाद उसके प्रभाव को जानने के लिए श्रोताओं एवं दर्शकों का साक्षात्कार लिया जाता है। चूंकि इसमें किसी विशेष घटना, अवस्था या परिस्थिति के प्रभाव पर ही साक्षात्कार केन्द्रित होता है, इसलिए इसे ‘केन्द्रित साक्षात्कार’ कहा जाता है। इसकी निम्न विशेषताएं हैं-

(i) यह साक्षात्कार केवल उन्हीं लोगों का लिया जाता है जो उस विषय विशेष से सम्बन्धित रह चुके हों। (ii) इस प्रकार के साक्षात्कार में ‘साक्षात्कार पथ-प्रदर्शिका’ (Interview guide) का सहारा लिया जाता है जिसमें विषय से सम्बन्धित ज्ञात की जाने वाली बातों का उल्लेख होता है। (iii) इस प्रकार का साक्षात्कार एक विशिष्ट परिस्थिति के प्रति सूचनादाता के अनुभवों, मनोवृत्तियों एवं भावनाओं को जानने के लिए किया जाता है। (iv) इसमें साक्षात्कारकर्ता सूचनादाताओं के उत्तरों को प्रभावित नहीं कर सकता है। (v) इसमें घटना का पूर्व विश्लेषण कर प्रश्नों की एक सूची तैयार कर ली जाती है।

(2) अनिर्देशित साक्षात्कार (Non-directive Interview )- इसे अनियन्त्रित एवं असंचालित साक्षात्कार भी कहते हैं। इसमें किसी कठिन समस्या के बारे में स्वतन्त्रतापूर्वक प्रश्न पूछे जाते हैं। इसमें प्रश्नों की पूर्व निर्धारित अनुसूची नहीं होती है और न ही सूचनादाता सूचनादाता पर उत्तर देने के सन्दर्भ में कोई नियन्त्रण ही होता है। इसमें सूचनादाता मुक्त से विषय के बारे में सूचनाएं देता है और साक्षात्कारकर्ता धैर्यपूर्वक उन्हें सुनता जाता है। यदि कोई होकर सूचना छूट जाए तो सूचनादाता के द्वारा सारी बात कह देने के बाद ही अन्य प्रश्न पूछे जाते हैं। यह साक्षात्कार अनौपचारिक साक्षात्कार के समान ही है।

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