साक्षात्कार का अर्थ एवं परिभाषा बताइये तथा इसके प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिये।
साक्षात्कार का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Interview)
साक्षात्कार का तात्पर्य उस विधि से है जिसमें साक्षात्कर्ता सम्बन्धित लोगों से व्यक्तिगत रूप से मिलकर और उनसे प्रश्न पूँछकर एवं उनसे उत्तर प्राप्त करके किसी विषय पर वास्तविक जानकारी प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं। इस प्रणाली में आपसी बातचीत एवं आमने-सामने के सम्बन्ध के आधार पर मनुष्यों की भावनाओं, मनोवृत्तियों मूल्यों आदि के बारे में बहुत कुछ किया जाता है। इसी कारण सामाजिक अनुसंधान में इस पद्धति का निरन्तर महत्व बढ़ता जा रहा है।
1. सिन पाओं यंग (Hsin Pao Young)- “साक्षात्कार क्षेत्रीय कार्य की एक प्रविधि है जिनका प्रयोग एक व्यक्ति या व्यक्तियों के व्यवहार की देख-रेख करने, कथनों को लिखने और सामाजिक या सामूहिक अन्तः क्रिया के ठोस परिणामों के निरीक्षण करने के लिए किया जाता है, इसलिए यह एक सामाजिक क्रिया होती है, इसमें प्रायः दो व्यक्तियों के मध्य अन्तःक्रिया होती है।
2. गुडे एवं हाट (Goode & Hatt) – “साक्षात्कार मूल रूप से सामाजिक अन्तःक्रिया की एक प्रक्रिया है।
3. मानेन्द्र नाथ बसु (M. N. Basu) – “एक साक्षात्कार की कुछ बातों को व्यक्तियों के आमने-सामने के मिलन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।”
4. डा. पी. वी. यंग (P. V. Young)- “साक्षात्कार को एक व्यवस्थित पद्धति के रूप में माना जा सकता है, जिसके माध्यम से एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के आन्तरिक जीवन में अधिक या कम कल्पनात्मक रूप में प्रवेश करता है जो कि उसके लिए तुलनात्मक रूप से अपरिचित है।”
साक्षात्कार की विशेषताएँ
1. दो या दो से अधिक व्यक्ति (Two or more persons)- इसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति आमने-सामने होकर बातचीत संवाद या उत्तर प्रति उत्तर में भाग लेते हैं।
2. प्राथमिक सम्बन्ध (Primary relation) – आमने-सामने के प्राथमिक सम्बन्धों द्वारा ही साक्षात्कार में भाग लिया जाता है।
3. विशिष्ट विषय (Specific topic) – साक्षात्कार की प्रक्रिया में किसी विशिष्ट विषय पर बातचीत या वार्तालाप द्वारा जानकारी हासिल की जाती है।
4. सामग्री संकलन (Collection of Data)- इस पद्धति की अन्तिम विशेषता सामाजिक अनुसंधान के लिए सामग्री का संकलन करना होता है।
साक्षात्कार के उद्देश्य
1. व्यक्तिगत सूचनायें- साक्षात्कार प्रणाली में व्यक्तिगत सम्पर्क स्थापित किये जाते हैं और एक दूसरे के विचारों और भावनाओं में प्रवेश कराने का प्रयास किया जाता है। इस प्रकार इस प्रणाली के माध्यम से सरलता और सुविधा के साथ व्यक्तिगत सूचनायें एकत्रित की जा सकती है।
2. प्रत्यक्ष सम्पर्क- इसका दूसरा उद्देश्य सूचनादाता और अनुसंधानकर्ता के बीच आमने सामने के प्रत्यक्ष, घनिष्ठ और व्यक्तिगत सम्बन्ध स्थापित करना है ताकि अधिक विश्वसनीय सूचनायें प्राप्त की जा सकें।
3. अवलोकन संभव- साक्षात्कारी प्रणाली में अनुसंधानकर्ता सम्पर्क स्थापित करने के लिए क्षेत्र में आता है। इस प्रकार सामाजिक घटनाओं का अवलोकन भी आसानी से कर सकता है।
4. समस्याओं के विभिन्न पहलुओं की जानकारी- इस प्रणाली में सामाजिक अनुसंधानकर्ता किसी सामाजिक समस्या के बारे में अनेक प्रकार के व्यक्तियों से संपर्क स्थापित करता है और खुलकर बातचीत करता है, इससे उस सामाजिक समस्या के विभिन्न पहलुओं के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
5. उपकल्पना निर्माण- साक्षात्कार के द्वारा सामाजिक जीवन, सामाजिक घटनाओं और सामाजिक समस्याओं के बारे में विविध प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है। इन सूचनाओं के आधार पर सामाजिक अनुसंधान के लिए नवीन उपकल्पनाओं के निर्माण में सहायता मिलती है।
साक्षात्कार के प्रमुख प्रकार
(a) कार्यों पर आधारित वर्गीकरण
- विश्लेषण साक्षात्कार
- उपचारात्मक साक्षात्कार
- अनुसंधान सम्बन्धी साक्षात्कार
(b) औपचारिकता पर आधारित वर्गीकरण
- औनचारिक/नियन्त्रित साक्षात्कार
- अनौपचारिक / अनियन्त्रित साक्षात्कार
(c) सूचनादाताओं की संख्या पर आधारित वर्गीकरण
- व्यक्तिगत साक्षात्कार
- सामूहिक साक्षात्कार
(d) अध्ययन पद्धति पर आधारित वर्गीकरण
- गैर निर्देशित साक्षात्कार
- केन्द्रित साक्षात्कार
- पुनरावृत्ति साक्षात्कार
सामाजिक अनुसंधान में साक्षात्कार के लाभ (Advantages of Interview in social Research)
वास्तविक अनुसंधान में साक्षात्कार का उपयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसका कारण यह है कि सामाजिक घटनाओं की प्रकृति गुणात्मक अधिक है और इन घटनाओं के अध्ययन के लिए साक्षात्कार पद्धति द्वारा ही वास्तविक अध्ययन संभव है। वास्तव में, साक्षात्कार के महत्व या उपयोगिता को निम्नलिखित लाभों के आधार पर समझा जा सकता है-
1. सूचनाओं का प्रमाणीकरण (Validation of Information Possible) – साक्षात्कार के द्वारा प्राप्त तथ्यों के विरोधाभास व दोनों को भी साथ-साथ दूर किया जा सकता है। अनुभवी व कुशल साक्षात्कारकर्ता से पद्धति के द्वारा सूचनाओं को अधिक प्रामाणिक बना सकते हैं। वास्तव में प्रामाणिकता सामाजिक अनुसंधान का मुख्य तत्व हैं। ऐसी स्थिति में साक्षात्कार पद्धति का लाभ उपयोगिता का महत्व स्वतः स्पष्ट हो जाता है।
2. सभी स्तर के व्यक्तियों से सूचना का संकलन (Collection of Information from person of All levels) – साक्षात्कार के द्वारा सभी स्तर के व्यक्तियों से सूचना करना सुविधाजनक रहता है। उदाहरणार्थ यदि श्रमिकों की आवास समस्या का अध्ययन करना है संकलित तो सम्बन्धित श्रमिकों और मालिकों से साक्षात्कार किया जा सकता है। यदि अपराध की पृष्ठभूमि के बारे में अध्ययन करना है तो कैदियों व जेल अधिकारियों से साक्षात्कार किया जा सकता है। वास्तव में यह पद्धति प्रत्यक्ष रूप से सभी स्तर के व्यक्तियों से सूचना संकलित करने में अत्यधिक उपयोगी है।
3. अमूर्त तथ्यों का अध्ययन (Study of abstract Facts) – साधारण अवस्था में जिन अमूर्त तथ्यों व घटनाओं का निरीक्षण संभव नहीं है, साक्षात्कार पद्धति द्वारा उनका अध्ययन संभव है। व्यक्ति की विचारधारा, धारणा, भावना, संवेग आदि अमूर्त घटनाओं के बारे में प्रत्यक्ष सम्पर्क द्वारा महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाती है। सम्भवतः इसलिए गुडे एवं हाट ने लिखा है, “समकालीन खोज में साक्षात्कार का अत्यधिक महत्व हो गया है क्योंकि यह गुणात्मक साक्षात्कार का पुनर्मूल्यांकन है। उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि साक्षात्कार का महत्व मानव समाज में प्राचीन काल से रहा है और वर्तमान में भी इसका महत्व बना हुआ है या पूर्व की अपेक्षा वर्तमान में साक्षात्कार विधि की उपयोगिता और ज्यादा गयी है।
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