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पाठ्यक्रम, पाठ्य विवरण एवं पाठ्य पुस्तक में अन्तर

पाठ्यक्रम, पाठ्य विवरण एवं पाठ्य पुस्तक में अन्तर
पाठ्यक्रम, पाठ्य विवरण एवं पाठ्य पुस्तक में अन्तर

पाठ्यक्रम, पाठ्य विवरण एवं पाठ्य पुस्तक में अन्तर (Difference between Curriculum, Syllabus and Textbooks)

कसौटी

(Criteria)

पाठ्यक्रम

(Curriculum)

पाठ्य विवरण (Syllabus) पाठ्य पुस्तक (Text-book)
1. क्षेत्र (Scope)

पाठ्यक्रम का क्षेत्र विस्तृत होता है। पाठ्यक्रम एक सम्पूर्ण शिक्षण प्रक्रिया है।

पाठ्य विवरण का क्षेत्र सीमित है। पाठ्य विवरण पाठ्यक्रम का एक भाग है।

पाठ्य पुस्तक का क्षेत्र विषय के पाठ्यक्रम की परिधि में होता है।
2. प्रदान किया गया ज्ञान (Knowledge Imparted) पाठ्यक्रम में सैद्धान्तिक के साथ-साथ विद्यार्थियों की रुचि, अभिवृत्तियों पर आधारित व्यावहारिक ज्ञान भी सम्मिलित होता है।

पाठ्य विवरण सदैव सैद्धान्तिक ज्ञान प्रदान करता है।

पाठ्य-पुस्तकों में विषयगत सैद्धान्तिक ज्ञान के साथ-ही-साथ व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करना निहित होता है।
3. तैयारी (Preparation) इसका निर्माण अध्यापकों के द्वारा किया जाता है।

पाठ्य विवरण का निर्माण शिक्षाशास्त्रियों एन.सी.ई.आर.टी/सी. बी.एस.ई. के द्वारा किया जाता है। 

पाठ्य-पुस्तकों का निर्माण विषय विशेषज्ञों द्वारा लेखकों की परामर्श समिति द्वारा किया जाता है।
4. तत्त्व / पहलू (Aspects) पाठ्यक्रम व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास पर बल प्रदान करता है। इसमें ज्ञानात्मक, भावनात्मक तथा क्रियात्मक तीनों तत्त्वों शामिल किया जाता है। पाठ्य विवरण प्रायः सैद्धान्तिक तत्त्वों अर्थात् ज्ञान पर बल प्रदान करता है। पाठ्य-पुस्तकों में विषय वस्तु को तार्किक ढंग से प्रस्तुत किया जाता है जिससे छात्रों के लिए विषयवस्तु सरल व सुगम हो जाती है।
5. महत्त्व(Importance)

पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को महत्ता प्रदान करता है।

पाठ्य विवरण यह विषय सामग्री को महत्त्व प्रदान करता है।

पाठ्य-पुस्तकों द्वारा छात्रों की स्मरणशक्ति एवं तर्क शक्ति का विकास होता है।
6. आधार (Basis) यह दार्शनिक आधार ” को स्वीकार करता है इसके आधार दर्शन, लक्ष्य तथा शिक्षा के मूल्य होते हैं।

विद्यार्थियों की यह आवश्यकताओं के अनुरूप आधार प्रस्तुत करता है। इसका आधार केवल विद्यार्थियों की आवश्यकताएँ तथा  शिक्षाशास्त्रियों की सोच होती है।

इसका आधार मन्दबुद्धि तथा प्रतिभाशाली दोनों प्रकार के बालकों को शिक्षा प्रदान करना है। पाठ्य-पुस्तकें किसी निश्चित पाठ्यक्रम के आधार पर किसी निश्चित कक्षा-स्तर के लिए लिखी गयी होती हैं।

7. अर्थ (Meaning)

इसका अर्थ व्यापक रूप से स्कूल विषयों, अधिगम अनुभवों तथा क्रियाओं से लिया जाता है। इसका अर्थ केवल स्कूल के विषय में ही लिया जाता है। किसी विषय ज्ञान को एक साथ एक स्थान पर पुस्तक के रूप में संगठित ढंग से प्रस्तुत किया जाना ही पाठ्य-पुस्तक का अर्थ है।

8. सम्बन्ध (Concern)

इसका सम्बन्ध विषय की विषय सामग्री से ही होता है। यह समय से सम्बद्ध है। इसका सम्बन्ध विषय की विषय सामग्री को पूरा करने के लिए समय से होता है। पाठ्य-पुस्तकों का सम्बन्ध पाठ्यक्रम में निर्धारित अध्यायों से होता है, तथा स्वाध्याय हेतु प्रेरित होता है।

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