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व्यक्तित्व क्या है? | व्यक्तित्व के शीलगुण सिद्धान्त

व्यक्तित्व क्या है
व्यक्तित्व क्या है

व्यक्तित्व क्या है? व्यक्तित्व के शीलगुण सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।

कैटेल ने व्यक्तित्व की एक सरल परिभाषा प्रस्तुत की है-

“व्यक्तित्व वह है जिसके आधार पर हम कह सके कि किसी दी गयी परिस्थिति में वह व्यक्ति क्या करेगा।”

कैटेल के अनुसार व्यक्तित्व का आन्तरिक तथा बाह्य समस्त व्यवहार व्यक्तित्व से सम्बन्धित के है। स्पष्ट है कि कैटेल के व्यक्तित्व अध्ययन में समय व्यवहार के अध्ययन पर बल दिया है। कैटेल की परिभाषा में दो बाते प्रमुख हैं- पहली यह कि व्यक्तित्व का सम्बन्ध व्यक्ति के भावी व्यवहार से है और दूसरी यह कि किसी परिस्थिति विशेष में ये कोई व्यक्ति क्या करेगा यह तभी समझ सकते हैं कि जब हम व्यक्तित्व के गणितीय आधार को ध्यान में रखें।

शीलगुण- कैटेल से सिद्धान्त में सबसे महत्वपूर्ण प्रत्यय शीलगुण है। ऑलपोर्ट के अलावा किसी भी मनोवैज्ञानिक के शीलगुण की इतनी व्यापक व्याख्या नहीं की है जितनी कैटेल ने की है। कैटेल के अनुसार शीलगुण एक मानसिक संरचना एवं अनुमान है जो निरीक्षित व्यवहार पर आधारित है और जिससे व्यवहार की नियमितता या संगति के बारे में पता लगाया जाता है।

कैटेल ने शीलगुणों को दो प्रमुख भागों में बाँटा हैं- (1) सतही शीलगुण, (2) स्त्रोत शीलगुण ।

( 1 ) सतही शीलगुण- ये व्यक्त तथा बाह्य शीलगुण होते हैं। इनका सम्बन्ध परिस्थिति विशेष से होता है और इनमें स्थायित्व की कमी होती है। इन्हें निरीक्षण द्वारा जाना जा सकता है।

( 2 ) स्त्रोत शीलगुण- ये आन्तरिक कारक है जिसके द्वारा अनेक बाहरी अभिव्यक्तियाँ निर्धारित होती है।

इन अन्तर्क्रिया से ही शीलगुण उत्पन्न होते हैं। स्त्रोत शीलगुण दो प्रकार के होते हैं।

(i) शारीरिक स्त्रोत शीलगुण (ii) पर्यावरण परक स्त्रोत शीलगुण। जिन स्त्रोत शीलगुणों का आधार शारीरिक या आनुवंशिक होता है उन्हें शारीरिक स्त्रोत शीलगुण कहते हैं। जो पर्यावरण द्वारा प्रभावित होते हैं वे पर्यावरण परक शीलगुण होते हैं।

(3) गत्यात्मक शीलगुण- ये शीलगुण व्यक्ति को किसी लक्ष्य तक पहुँचाने के लिए प्रेरित ये करते हैं।

(4) योग्यता शीलगुण- यह लक्ष्य पर प्रदर्शित करते हैं कि कोई व्यक्ति किसी लक्ष्य तक पहुँचने के लिए कितनी सामर्थ रखता है।

(5) स्वभाव शीलगुण- गति, शक्ति एवं संवेगात्मक अभिक्रिया आदि से सम्बन्धित शीलगुण स्वभाव शीलगुण कहलाते हैं।

कैटेल के अनुसार शीलगुण व्यवहारों का एक सतत संरूप है जिसके आधार पर व्यक्तित्व सम्बन्धी अनुमान लगाया जाता है शीलगुण से प्रेरित व्यवहार में एक प्रकार की निरूपता पायी जाती है। इसलिए उनका निरीक्षण एवं परीक्षण सम्भव है। उपयुक्त सभी शीलगुणों में कैटेल ने स्त्रोत शीलगुणों को ही अधिक महत्व दिया है क्योंकि ये ही सतही शीलगुण को निर्धारित करते हैं।

गत्यात्मक शीलगुण- कैटेल के अनुसार गत्यात्मक चर है। यह व्यक्तित्व की आन्तरिक गत्यात्मक संरचना की वह अभिव्यक्ति है जिससे अर्ग तथा मनोभाव और उनके पारस्परिक सम्बन्धों का अनुमान लगाया जा सकता है। किसी विशेषज्ञ परिस्थिति में एक व्यक्ति की अभिवृत्ति किसी वस्तु के प्रति कार्य की दिशा में एक विशेष तीव्रता की रूचि है। अभिवृत्ति द्वारा एक निश्चित कार्य क्षेत्र में विशेष प्रकार की रुचि अभिव्यक्त होती है जैसे- गृहकार्य, मनोरंजन, व्यवसाय धर्म आदि।

मनोभाव एक परिवेशगत गत्यात्मक शीलगुण है। अर्ग जन्मजात होते हैं परन्तु यह विकास के साथ परिवेशीय कारकों से प्रभावित दिखाती देते हैं। स्थायीभाव अथवा मनोभाव के कारण व्यक्ति कुछ विशेषज्ञ व्यक्तियों अथवा विशेष वस्तुओं के वर्गों की ओर ध्यान देने और उनके प्रति विशेशज्ञ प्रकार से अनुभव करने और अनुक्रिया करने के लिए प्रेरित होता है। ये अधिक महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि इनमें स्थायित्व अधिक होता है। ये अभिवृत्ति की तुलना में पहले अभिव्यक्त होते हैं।

मनोभाव महत्वपूर्ण सांस्कृतिक उद्दीपकों जैसे-संस्था, व्यक्ति आदि के प्रति संगठित होते हैं। कैटेल और उनके सहयोगियों के प्रदर्शित किया है कि नवयुवकों में प्रमुख रूप से व्यवसाय, खेलकूद यांत्रिक रुचि, धर्म, माता-पिता, जीवन साथी तथा स्व-मनोभाव पाये जाते हैं। कैटेल के सिद्धान्त में इस स्व मनोभाव का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है

स्व मनोभाव- कैटेल के अनुसार व्यक्तित्व के गत्यात्मक शीलगुणों की जटिल संरचना के लिए ‘स्व’ के प्रत्यय को समझना आवश्यक है। कैटेल ने इस सन्दर्भ में ‘स्व’ के मनोभाव का उल्लेख किया है। स्व की धारणा मनोविश्लेषणवाद की अहम् और परअहम् की धारणा पर आधारित है। ‘स्व’ के स्वरूप पर प्रकार डालते हुए कैटेल ने उसके तीन रूपों का उल्लेख किया है।

1- स्व का पहला रूप स्व सम्बन्धी मनोभाव होता है। इसके अन्तर्गत व्यक्ति अपने स्व की ओर पूर ध्यान देता है।

2- स्व का दूसरा रूप है यथार्थ स्व। व्यक्ति जैसे है, वहीं उसका यथार्थ स्व है।

3- स्व का तीसरा प्रकार है आदर्श स्व। आदर्श स्व का तात्पर्य है एक ऐसा रूप जो व्यक्ति प्राप्त करना चाहता है।

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