सामाजिक अध्ययन प्रयोगशाला की आवश्यकता
प्रयोगशाला की आवश्यकता- प्रायोगिक विज्ञानों में प्रयोगशाला एक आवश्यक अंग है। वर्तमानकाल में सामाजिक अध्ययन शिक्षण हेतु भी प्रयोगशाला की आवश्यकता अनुभव की जा रही है। अनेक स्थानो पर इस प्रकार के उपक्रम की शुरूआत भी हो चुकी है।
(i) प्रयोगशाला की आवश्यकता इसलिए है कि शिक्षण के अनेकानेक साधन यथा चित्र, मानचित्र, ग्लोब, चार्ट स्लाइड्स, आदि साधनों को एक स्थान से कक्षा में ले जाने व लाने में उपकरणों के नष्ट होने का खतरा बना रहता है।
(ii) प्रयोगशाला में साधनो का प्रदर्शन किया जाता है, जिनके आधार पर छात्र कार्य करते है। इस कारण भी प्रयोगशाला कक्ष आवश्यक है।
(iii) छात्र प्रतिवर्ष मानचित्रादि उत्पान कार्य करते है। जिनकी रख-रखाव आवश्यक है।
(iv) मानचित्र बनाने के लिए ट्रेसिंग मेज, टेप, चेन लाइट, कम्पास आदि उपकरणों की आवश्यकता है। इन सभी को कक्षा में लाना सम्भव नही है। अतः पृथक प्रयोगशाला जरूरी है।
(v) प्रयोगशाला कक्ष रूचि, स्वाध्याय, क्षमता तथा कौशलो को बढ़ाता है, अतः छात्र इससे अधिक सीखते है।
(vi) प्रायोगिक कार्य हेतु स्थान समय की आवश्यकता के कारण कक्षा में उक्त कार्य सम्भव नही है।
(vii) कक्षाओं में सामग्री के हस्तान्तरण का कार्य कठिन है। अतः त्रुटि की सम्भावना होती है।
प्रयोगशाला कक्ष की रूपरेखा
सामाजिक अध्ययन की प्रयोगशाला में अनेक कक्ष होते है, यथा-
(1) विस्तृत हॉल:- इस कक्ष में 40-50 छात्रों के बैठने की व्यवस्था होती है। यह कक्ष प्रकाशयुक्त व हवादार होना चाहिए। हॉल में अलमारियाँ होनी चाहिए, जिसमें विभिन्न प्रकार की सामग्री रखी जा सकें है। जैस-चित्र, मानचित्र, ग्लोब, चार्ट आदि। कमरे में अध्यापक की मेज के पास (बगल) में ओवर हैड प्रोजेक्टर, स्लाईड प्रोजेक्टर होना चाहिए।
(2) अन्धेरा कमरा:- इस कमरे में फिल्म प्रोजेक्टर होता है। आवश्यकता पड़ने पर एक छोटे गवाक्ष से मुख्य हॉल में स्थित परदे पर फिल्म प्रदर्शन किया जा सके।
(3) भण्डार घर: इसमें छात्रों को बनाए हुए मानचित्र, चित्र तथा चार्टी का संग्रहण होता है।
(4) कार्यशाला: यह वह स्थान होता है, जहाँ छात्र बैठकर कार्य करते है। मॉडल आदि बनाते है। प्रायः मिट्टी आदि के मॉडल इसी स्थान पर बनाये जाते है।
(5) पुस्तकालयः- पुस्तकालय पुस्तके रखने का स्थान होता है। जहाँ सन्दर्भ ग्रन्थ तथा पत्रिकाएँ रखी जाती है। जिनमें छात्र नोट्स बनाते है।
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