शिरोपरि प्रोजेक्टर (Overhead Projector) पर टिप्पणी लिखिये।
शिरोपरि प्रोजेक्टर (Overhead Projector )- शिरोपरि प्रोजेक्टर का प्रयोग सर्वप्रथम रोर्जर एप्पलेडार्न (Roger Appledorn) ने 1960 में किया। शिरोपरि प्रोजेक्टर एक मशीन संचालित माध्यम है। अध्यापक अपनी कक्षा में विद्यार्थियों की ओर अपना मुँह किये हुए उनका पूर्ण स्वाभाविक ढंग से सामना भी करता रहे और साथ ही पर्दे पर प्रक्षेपण करते हुए समय-समय पर मानचित्र को आवश्यकतानुसार प्रोजेक्टर पर दिखा दे। जिस समय ग्लोब, आरेख तथा किसी ग्राफ की आवश्यकता हो उस समय पर्दे पर उनका प्रक्षेपण मिल जाए। अध्यापक की इस प्रकार की कक्षा शिक्षण सम्बन्धी आवश्यकता को शिरोपरि प्रक्षेपी यानी MOHP बखूबी निभा सकता। अपने शिक्षण के दौरान अध्यापक द्वारा अपनी मेज पर ही इस उपकरण को रखा जा सकता है तथा आवश्यकतानुसार प्रक्षेपित सामग्री, स्लाइड आदि को पर्दे पर प्रक्षेपित कर उसी के द्वारा आसानी से दिखाया तथा समझाया जा सकता है।
वैसे तो इस प्रक्षेपी उपकरण में प्रक्षेपी तकनीक के उपयोग के कारण अन्य प्रक्षेपी उपकरणो मैजिक लैन्टर्न, एपीडाइस्कोप तथा स्लाइड प्रोजेक्टर की भाँति विद्युत लैम्प परवर्तक कन्डेन्सर और प्रोजेक्शन लैन्स, स्लाइड कैरियर आदि वस्तुओं का ही उपयोग किया जाता है परन्तु उनका आयोजन इस ढंग से रखा जाता है कि कुछ दूरी पर ही प्रक्षेपित सामग्री तथा उपकरण को रखा जाकर पर्दे पर स्पष्ट और बड़ी आकृति प्रतिबिम्ब के रूप में प्राप्त हो सके। इस कार्य हेतु जो विशेष प्रबन्ध इस उपकरण में किये जाते है उनमें सर्वप्रथम विद्युत लैम्प की किरणों का दर्पण पर पड़ना है इसके पश्चात् दर्पण पर पड़ने के बाद किरणें स्लाइड के अन्दर से गुजरती है। इसमें स्लाइड को रखने के लिए (25×25 cm.) का बड़ा सुराख या एपरेयर काम में लाया जाता है। पर्दे पर प्रक्षेपित सामग्री का अच्छा प्रतिबिम्ब प्राप्त करने के लिए प्रोजेक्शन लैन्स को आगे पीछे खिसकाकर प्रतिबिम्ब को फोकस किया जाता है। इस उपकरण को ठण्डा करने की भी इसमें उपयुक्त व्यवस्था होती है। इस उपकरण में प्रकाश व्यवस्था बहुत तेज लैम्प (1000 Watt) से की जाती है।
“शिरोपरि प्रोजेक्टर” की शैक्षिक उपयोगिता (Educational use of Over head Projector)
शिरोपरि प्रोजेक्टर की शैक्षिक उपयोगिता को निम्नलिखित प्रकार से स्पष्ट किया गया है-
(1) शिरोपरि प्रोजेक्टर का प्रयोग व संचालन सरल होता है।
(2) शिरोपरि प्रोजेक्टर का प्रयोग करते समय परदा अध्यापक के पीछे होता है और विद्यार्थी सामने। वह कक्षा में स्वाभाविक रूप से पढ़ सकता है और विद्यार्थियों की क्रियाओं व गतिविधियों पर भी नजर रख सकता है।
(3) शिरोपरि प्रोजेक्टर को अध्यापक की मेज पर ही रखा जाता है। यह ज्यादा स्थान नही घेरता। इसके नियन्त्रण में अध्यापक को सुविधा रहती है।
(4) इस प्रोजेक्टर के लिए प्रयुक्त होने वाले कमरे में अंधेरा करने की आवश्यकता नहीं होती ।
(5) इस प्रोजेक्टर में स्लाइड और पर्दे का प्रयोग होने के कारण श्यामपट्ट की आवश्यकता नहीं होती।
(6) श्यामपट्ट पर लिखित या चित्रित सामग्री के स्पष्टीकरण के लिए अध्यापक बार बार श्यामपट्ट के पास रखा जाता है, किन्तु शिरोपरि प्रोजेक्टर की सहायता से प्रक्षेपित सामग्री के ऊपर पैन्सिल या संकेतक का प्रयोग करने अध्यापक को बार-बार श्यामपट्ट के पास नही जाना पड़ता।
Important Links
- मानचित्र का अर्थ | मानचित्र के उपयोग
- चार्ट का अर्थ | चार्ट के प्रकार | चार्टो का प्रभावपूर्ण उपयोग
- ग्राफ का अर्थ | ग्राफ के प्रकार | ग्राफ की शैक्षिक उपयोगिता
- पाठ्यचर्या का अर्थ और परिभाषा
- फिल्म खण्डों के शैक्षिक मूल्य
- मापन और मूल्यांकन में अंतर
- मापन का महत्व
- मापन की विशेषताएँ
- व्यक्तित्व का अर्थ एवं स्वरूप | व्यक्तित्व की मुख्य विशेषताएं
- व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारक
- व्यक्तित्व क्या है? | व्यक्तित्व के शीलगुण सिद्धान्त
- व्यक्तिगत विभिन्नता का अर्थ और स्वरूप
- व्यक्तिगत विभिन्नता अर्थ और प्रकृति
- व्यक्तिगत विभिन्नता का क्षेत्र और प्रकार