B.Ed. / BTC/ D.EL.ED / M.Ed.

मानचित्र का अर्थ | मानचित्र के उपयोग | Maps in Hindi

मानचित्र का अर्थ
मानचित्र का अर्थ

मानचित्र का अर्थ

मानचित्र द्वारा पृथ्वी के धरातल से सम्बन्धित भागों को प्रदर्शित किया जाता है। भूगोल, इतिहास जैसे विषयों के शिक्षण में मानचित्र का प्रयोग आवश्यक है। यह साधन किसी भी स्थान की उचित भौगोलिक स्थिति व दूरी मापने में सहायता करता है। कौन-सा देश पृथ्वी पर कहाँ स्थित है व हमारे देश से कितना दूर है, भारत के पूर्व में कौनसे देश है, पश्चिम में कौन से देश है, उत्तर में कौन-कौनसे देश है, आदि की जानकारी मानचित्र से ही मिल सकती है। मानचित्र विभिन्न प्रकार के राजनैतिक, भौगोलिक, ऐतिहासिक साधनो की जानकारी देने में सक्षम होते है। मानचित्र एक ऐसा माध्यम है जिससे पूरे विश्व को कक्षा-कक्ष में प्रदर्शित किया जा सकता है।

मानचित्र के उपयोग (Use of Map)

मानचित्र के उपयोग (Use of Map) निम्नलिखित है-

(1) मानचित्र पाठ को रूचिकर बनाने में सहायता करते है।

(2) मानचित्र पृथ्वी के धरातल से सम्बन्धित भागो, दूरी, किसी विशेष फसल, खनिज पदार्थ, धन सम्पदा आदि के बारे में जानकरी प्रदान करते है।

(3) मानचित्र की सहायता से ऐतिहासिक घटनाओं को विद्यार्थियों के समक्ष उपयोगी ढंग से पढ़ाया जा सकता है।

(4) मानचित्र की सहायता से कठिन ज्ञान भी सरल हो जाता है।

(5) इससे जलवायु तथा वनस्पति की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

मानचित्र का चयन और प्रयोग से सावधानियाँ ( Precaution in selection and use of Maps )-

मानचित्र को निम्नलिखित रूप से प्रयोग करना चाहिए-

(i) राजनैतिक, भौगोलिक तथा आर्थिक जिस प्रकार से मानचित्र का उपयोग जिस परिस्थिति में किया जाना है, उसी का चुनाव किया जाना चाहिए।

(ii) विद्यार्थियों की योग्यता व कक्षा को ध्यान में रखकर मानचित्र का चयन किया जाना चाहिए।

(iii) मानचित्र को इस प्रकार दिखाना चाहिए जिससे कक्षा के सभी विद्यार्थी उस पर प्रदर्शित वस्तुओं को अच्छी तरह देख सके।

(iv) विषय वस्तु की स्पष्टता को इनके चयन में पूरा महत्व दिया जाना चाहिए।

(v) संकेतो तथा पैमानो की दृष्टि से इसका उपयुक्त होना जरूरी है ताकि दूरी तथा अन्य आंकड़ो का सही चित्रण किया जा सके।

(vi) रंग, रेखांकन, सूचना व्यक्त करने वाले शब्दो या संकेतो की दृष्टि से भी इसे उपयुक्त होना चाहिए।

(vii) इनमें प्रदर्शित बातों पर ध्यान दिलाने के लिए संकेतक का प्रयोग करना चाहिए।

(viii) बार-बार प्रयोग में लाने के लिए इनका उपयुक्त होना जरूरी है।

(ix) एक मानचित्र द्वारा कुछ सीमित जानकारी दी जानी चाहिए।

(x) मानचित्र को दीवार पर उतनी देर टांगना चाहिए जितनी आवश्यकता हो ।

(xi) मानचित्रों का निर्माण छात्रों द्वारा ही होना चाहिए। इससे बच्चों में ज्ञानार्जन की प्रवृति को बढ़ावा मिलता है।

(xii) मानचित्रों में आवश्यकता से अधिक रंगों का प्रयोग नही करना चाहिए।

(xiii) मानचित्र की सतह खुरदरी होनी चाहिए ताकि पीछे बैठे हुए विद्यार्थियों को साफ दिखाई दे सके।

(xiv) प्रयोग किया जाने वाला मानचित्र सरल व सस्ता होना चाहिए।

(xv) मानचित्र में ऐतिहासिक घटनाओं से सम्बन्धित स्थल सही ढंग से प्रदर्शित किए जाने चाहिए।

Important Links

Disclaimer

Disclaimer:Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment