“राज्य प्रभु को बनाता है न कि प्रभु राज्य को” -ग्रीन | “राज्य का आधार शक्ति नहीं इच्छा है।”-ग्रीन
ग्रीन से पूर्व राज्य की उत्पत्ति के सम्बन्ध में अनेक विचारधाराएँ प्रचलित थी। सामाजिक समझौते के सिद्धान्त के समर्थक राज्य की उत्पत्ति समझौते द्वारा मानते थे। उनका विचार था कि हम राज्य की आज्ञाओं का पालन इसलिए करते हैं, क्योंकि ऐसा करने के लिए हमारे पूर्वजों ने समझौता किया है। राज्य की उत्पत्ति के सम्बन्ध में शक्ति सिद्धान्त के समर्थक राज्य को शक्ति या बल पर आधारित समुदाय मानते हैं, जिनका निर्माण शक्तिशाली व्यक्ति ने किया है। उनके अनुसार हम राज्य की आज्ञा का पालन दण्ड के भय से करते हैं। यदि व्यक्ति राज्य की आज्ञा का पालन न करे, तो राज्य द्वारा उसे दण्डित किया जायेगा। अतः शक्ति सिद्धान्त राज्य का आधार शक्ति को मानता है। ग्रीन इन दोनों विचारों से सहमत नहीं है। अपने विचारों का सारांश देते हुए ग्रीन ने लिखा है “शक्ति नहीं इच्छा राज्य का आधार है।”
सामान्य इच्छा के सम्बन्ध में विचार- ग्रीन ने सामान्य इच्छा में भेद किया है। उसके मत से यथार्थ इच्छा शक्ति की स्वार्थी इच्छा होती है। इसके विपरीत वास्तविक इच्छा सामूहिक कल्याण चाहती है। समाज की वास्तविक इच्छाओं का योग ही सामान्य इच्छा है। यह व्यक्तियों की स्वतन्त्र और नैतिक इच्छा होती है। यही सामान्य इच्छा राज्य का वास्तविक आधार है। ग्रीन के अनुसार सामान्य इच्छा सामूहिक कल्याण की दृष्टि से कार्य करती है। यही राज्य का वास्तविक आधार है और यही राज्य की प्रभुसत्ता को धारण करती है।
इस प्रकार ग्रीन ने रूसो के सामान्य इच्छा के सिद्धान्त को यथावत् स्वीकार कर लिया है, परन्तु ग्रीन तथा रूसो ने सामान्य इच्छा और राज्य में जो सम्बन्ध स्थापित किया है, वह अलग अलग है। रूसो सामान्य इच्छा को ही राज्य मानता है, जबकि ग्रीन सामान्य इच्छा को राज्य नहीं अपितु राज्य की आधार मानता है। इस प्रकार ग्रीन ने रूसो के सामान्य इच्छा के सिद्धान्त की आत्मा को स्वीकार कर लिया, परन्तु उसके वाहन परिधान को फोड़ फेंका।
ग्रीन का विचार है कि सामान्य उद्देश्य से प्रेरित होने वाली और सब नागरिकों में पायी जाने वाली चेतना ही सामान्य इच्छा है और यही सामान्य इच्छा राज्य का आधार है। ग्रीन ने शक्ति सिद्धान्त के इस विचार का कि राज्य का कानूनों का पालन व्यक्ति भय के कारण करते हैं प्रबल खण्डन किया है। उसका विचार है कि हम राज्य की आज्ञाओं का पालन इसलिए करते हैं, क्योंकि यह हमारे तथा समाज के लिए हितकर है। यदि राज्य की आज्ञाओं का पालन न किया जाये, तो हमारी तथा राज्य की प्रगति अवरुद्ध हो जायेगी। अतः राज्य की आज्ञाओं का पालन व्यक्ति स्वाभाविक रूप से करता है, दण्ड के भय से नहीं।
“राज्य का आधार इच्छा है न कि शक्ति।”
राज्य का आधार इच्छा है, शक्ति नहीं इसके पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिये गये हैं-
1. राज्य द्वारा आत्मोन्नति का अवसर सरल- “राज्य की सृष्टि का आधार अधिकारों के संरक्षण की आकांक्षा है।” ग्रीन के राजनीतिक दर्शन का यह स्पष्ट परिणाम है—मनुष्य वास्तव में एक सामाजिक प्राणी उसमें सामाजिक प्रवृत्ति स्वाभाविक रूप से विद्यमान हैं। वह यही चाहता है कि अपने व्यक्ति के विकास के लिए प्रयत्न करें तथा अन्य व्यक्तियों को भी जो उसकी ही भाँति अपने व्यक्तित्व के विकास व आत्मोन्नति के लिए प्रयत्नशील हैं, ऐसे प्रयत्न करने का अबाधित अवसर प्रदान करे। फिर भी कुछ असामाजिक प्रवृत्तियाँ समाज के कुछ व्यक्तियों में स्वाभाविक रूप से तथा शेष व्यक्तियों में अनायास ही पायी जाती है। मनुष्य स्वभाव से तथा व्यक्ति व राज्य के उद्देश्यों में समानता स्थापित करती है। नैतिकता तथा राजनीतिक अधीनता का जन्म इसी चेतना के परिणामस्वरूप ही हुआ है। अतः यह निश्चितता पूर्वक कहा जा सकता है कि राज्य का आधार शक्ति नहीं अपितु जन स्वीकृति (इच्छा) ही है।
ग्रीन के विचारों का निष्कर्ष प्रस्तुत करते हुए सेबाइन ने लिखा है “ग्रीन का कहना है कि शासन शक्ति का नहीं, वरन् इच्छा पर आधारित होता है इसका कारण यह है कि व्यक्ति को समाज से बाँधने वाली कड़ी उसकी स्वयं के स्वभाव की विवशता है न कि कानून के दण्ड या स्वार्थपूर्ण लाभों का विचार।”
Important Links
- मैकियावेली अपने युग का शिशु | Maikiyaveli Apne Yug Ka Shishu
- धर्म और नैतिकता के सम्बन्ध में मैकियावेली के विचार तथा आलोचना
- मैकियावेली के राजा सम्बन्धी विचार | मैकियावेली के अनुसार शासक के गुण
- मैकियावेली के राजनीतिक विचार | मैकियावेली के राजनीतिक विचारों की मुख्य विशेषताएँ
- अरस्तू के परिवार सम्बन्धी विचार | Aristotle’s family thoughts in Hindi
- अरस्तू के सम्पत्ति सम्बन्धी विचार | Aristotle’s property ideas in Hindi
- प्लेटो प्रथम साम्यवादी के रूप में (Plato As the First Communist ),
- प्लेटो की शिक्षा प्रणाली की विशेषताएँ (Features of Plato’s Education System),
- प्लेटो: साम्यवाद का सिद्धान्त, अर्थ, विशेषताएँ, प्रकार तथा उद्देश्य,
- प्लेटो: जीवन परिचय | ( History of Plato) in Hindi
- प्लेटो पर सुकरात का प्रभाव( Influence of Socrates ) in Hindi
- प्लेटो की अवधारणा (Platonic Conception of Justice)- in Hindi
- प्लेटो (Plato): महत्त्वपूर्ण रचनाएँ तथा अध्ययन शैली और पद्धति in Hindi
- प्लेटो: समकालीन परिस्थितियाँ | (Contemporary Situations) in Hindi
- प्लेटो: आदर्श राज्य की विशेषताएँ (Features of Ideal State) in Hindi
- प्लेटो: न्याय का सिद्धान्त ( Theory of Justice )
- प्लेटो के आदर्श राज्य की आलोचना | Criticism of Plato’s ideal state in Hindi
- प्लेटो के अनुसार शिक्षा का अर्थ, उद्देश्य, पाठ्यक्रम, विधियाँ, तथा क्षेत्र में योगदान
- प्रत्यक्ष प्रजातंत्र क्या है? प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के साधन, गुण व दोष
- भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं
- भारतीय संसद के कार्य (शक्तियाँ अथवा अधिकार)