कार्यकारिणी से आप क्या समझते हैं ?
कार्यकारिणी (अंग्रेजी (Executive) सरकार का वह अंग होती है जो राज्य के शासन का अधिकार रखती है और उसकी जिम्मेदारी उठाती है। कार्यकारिणी कानून को कार्यान्वित करती है और उसे लागू करती है। अध्यक्षीय प्रणाली में कार्यकारिणी का प्रमुख दोनों राज्य का प्रमुख और सरकार का प्रमुख होता है जबकि राज्य का प्रमुख आम तौर पर एक औपचारिक राजा अथवा राष्ट्रपति होता है। कार्यकारिणी के अन्तर्गत निम्न को सम्मिलित किया गया है-
कार्यपालिका
संघीय कार्यपालिका में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति की सहायता – करने एवं सलाह देने के लिये अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री के साथ मंत्रिपरिषद एवं महान्यायवादी शामिल है।
राष्ट्रपति
राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचिका के सदस्यों द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद – के दोनों सदनों के चयनित सदस्य समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार राज्यों में विधानसभा के सदस्यों द्वारा एकल अंतरणीय मत के द्वारा होता है। राज्यों के बीच परस्पर एकरूपता लाने के लिये तथा सम्पूर्ण रूप से राज्यों और केंद्र के बीच संगतता लाने के लिये प्रत्येक मत को उचित महत्व दिया जाता है। राष्ट्रपति को भारत का नागरिक होना आवश्यक है, उनकी आयु 35 वर्ष से कम न हो और वह लोकसभा के सदस्य के रूप में चुने जाने के योग्य हो। उनके कार्य की अवधि पाँच वर्ष की होती है और वह पुनर्निर्वाचन के लिये पात्र होता है। उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया संविधान की धारा 61 में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार होती है। वह अपने हाथ से उपराष्ट्रपति को अपने पद से इस्तीफा देने के लिये संबोधन करते हुये पत्र लिख सकते हैं। केन्द्र की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति को प्राप्त है और उसके द्वारा प्रत्यक्ष रूप अधीन अधिकारियों के जरिये संविधान के अनुसार अधिकार का प्रयोग किया गया। संघ के रक्ष या उसके बलों का सर्वोच्च शासन भी उसी का होता है। राष्ट्रपति संबोधित करता है, संसद को संदेश भेजता है और लोकसभा भंग करता है, किसी भी समय अध्यादेश जारी करता है जैसे उस समय को छोड़कर जब संसद के दोनों सदनों में सत्र चल रहा हो, वित्तीय और धन विधेयक लाने की सिफारिश करने, प्राणदंड स्थगित करने, सजा को कम करने या क्षमा करने या निलम्बित करने एवं कुछ मामलों में सजाओं को माफ करने या रूपांतरण का कार्य करता है। यदि उसे लगता है कि गंभीर आपातकाल की स्थिति उत्पन्न हुई है तो वह देश में आपातकाल की घोषणा कर सकता है।
उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचिका के सदस्यों द्वारा होता है जिसमें एकल हस्तांतरीय मत द्वारा समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार संसद के दोनों सदनों के सदस्य होते हैं वह भारत का नागरिक हो, उसकी 35 आयु वर्ष से कम न हो और राज्य सभा के सदस्य के रूप में चुनाव के लिये पात्रता रखता हो। उसके पद की अवधि पाँच वर्ष की होती है और वह पुनर्निर्वाचन का पात्र होता है। उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होता है और जब बीमारी या किसी अन्य कारण से या नए राष्ट्रपति के चुनाव होने तक छह माह के भीतर किया जाता है यदि यह रिक्ति मृत्यु के कारण होती है, राष्ट्रपति के इस्तीफा देने या पद से हटाये जाने के कारण होती है। राष्ट्रपति के अनुपस्थित रहने के कारण अपने कार्यों का निष्पादन करने में असमर्थ होता है तब राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है।
मंत्रि परिषद
राष्ट्रपति को उनके कार्यों में सहायता करने और सलाह देने के लिये प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद होती है। प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है वह मंत्री की सलाह देने के लिये प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्री परिषद होती है। प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है वह मंत्री की सलाह पर अन्य मंत्रियों की भी नियुक्ति करता है। मंत्री परिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। संघ के प्रशासन या कार्य और उनसे संबंधित विधानों और सूचनाओं के प्रस्तावों से संबंधित मंत्रिपरिषद के सभी निर्णयों की सूचना राष्ट्रपति को देना प्रधानमंत्री का कर्तव्य है। मंत्रिपरिषद में मंत्रिपरिषद के मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राज्यमंत्री और उपमंत्री होते हैं।
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