समाजशास्‍त्र / Sociology

प्रगट तथा अन्तर्हित प्रकार्यों में अन्तर

प्रगट तथा अन्तर्हित प्रकार्यों में अन्तर
प्रगट तथा अन्तर्हित प्रकार्यों में अन्तर

प्रगट तथा अन्तर्हित प्रकार्यों में अन्तर

प्रगट तथा अन्तर्हित प्रकार्यों में अन्तर निम्नलिखित है-

प्रगट प्रकार्य

अन्तर्हित प्रकार्य

1. प्रगट प्रकार्य वह कार्य है जो बाहरी तौर पर प्रकट हो। 1. अन्तर्हित प्रकार्य अन्दर-ही-अन्दर क्रियाशील होता है। कर्ता का हाथ प्रत्येक क्रियाशीलता में नहीं होता।
2. प्रगट प्रकार्य में कर्ता उस कार्य के सम्भावित परिणाम के सम्बन्ध में सचेत रहता है अर्थात् वह कुछ निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ही उस कार्य को करता है।  2. अन्तर्हित प्रकार्य में कर्ता सम्भावित परिणाम के सम्बन्ध में सचेत रहता है अर्थात् वह यह सोचता भी नहीं है कि जो कुछ वह कर रहा है उसका कभी ऐसा भी परिणाम हो सकता है।
3. प्रगट प्रकार्य कर्ता के द्वारा इच्छित होता है अर्थात् किसी उद्देश्य या परिणाम की इच्छा से ही कर्ता उस कार्य को करता है। 3. अन्तर्हित प्रकार्य इच्छित नहीं होता है अर्थात् उस उद्देश्य से वह उस काम को नहीं करता है।
4. प्रगट प्रकार्य में कार्य की प्रेरणा परिस्थिति तथा परिणाम कर्ता का जाना-पहचाना होता है। 4. अन्तर्हित प्रकार्य में प्रेरणा, परिस्थिति या परिणाम के सम्बन्ध के कर्ता को कोई पूर्व सूचना या पूर्व ज्ञान नहीं होता है।
  1. अल्फ्रेड रेडक्लिफ- ब्राउन के प्रकार्यवाद की आलोचना
  2. पारसन्स के प्रकार्यवाद | Functionalism Parsons in Hindi
  3. मैलीनॉस्की के प्रकार्यवाद | Malinaski’s functionalism in Hindi

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