समाजशास्‍त्र / Sociology

न्यायपालिका किसे कहते है ? | Nyaypalika Kise Kahate Hain

न्यायपालिका किसे कहते है
न्यायपालिका किसे कहते है

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न्यायपालिका किसे कहते है ?

न्यायपालिका राजनीतिक प्रक्रिया का एक ऐसा अंग है जो सरकार के हाथों में राजनीतिक शक्ति के अत्यधिक केन्द्रीकरण की रोकथाम और ‘लोकतंत्र की धांधलियों या बहुमत के निरकुंश शासन से जनता को बचाने की व्यवस्था करती है। इसी कारण न्यायाधीश और न्यायालय समग्र राजनीतिक प्रक्रिया के महत्वपूर्ण पहलू माने जाते हैं। न्यायपालिका सरकार का तीसरा प्रमुख अंग है। व्यवस्थापिका राज्य की इच्छा की अभिव्यक्ति कानूनों के रूप में करती है और कार्यपालिका इनको कार्य रूप देती है तथा न्यायपालिका इन कानूनों की व्याख्या करने और इनका उल्लंघन करने वालों को दण्डित करने का कार्य करती है। इस प्रकार सरकार के अंगों में न्यायपालिका का महत्वपूर्ण स्थान रहता है। अरस्तू के समय से ही न्यायपालिका को सरकारी तन्त्र का आधारभूत अंग माना जाता है। सामान्यतया इस बात पर सभी सहमत हैं कि न्यायिक शक्ति की राजनीतिक व्यवस्थाओं में विशेष भूमिका रहे। इसी कारण प्राचीन समय से इस बात पर आम सहमति रही है कि न्यायिक शक्ति को विशेषकर इस शक्ति को क्रियान्वित करने वाले व्यक्तियों को राजनीतिक सत्ता के अन्य पहलुओं से पृथक रखा जाए, क्योंकि न्यायपालिका को पृथक रखने से व्यक्ति को यह आश्वासन मिल जाता है कि उसकी समस्या को निष्पक्षता व स्वतंत्रता से परखा गया है। इस प्रकार, न्यायिक व्यवस्था का हर राजनीतिक समाज में अस्तित्व व महत्व होता है। इसका अर्थ व परिभाषा इसके महत्व व भूमिका को अच्छी तरह समझने में सहायक होगें।

साधारण अर्थ में कानूनों की व्याख्या करने व उनका उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों को दण्डित करने की संस्थागत व्यवस्था को न्यायपालिका कहा जाता है। यह उन व्यक्तियों का समूह है जिन्हें कानून के अनुसार समाज के विवादों को हल करने का अधिकार प्राप्त रहता है। इस अर्थ में न्यायपालिका सरकार का एक विशिष्ट अंग है जिसको कानूनों का पालन कराने के लिये विशेष अधिकार प्राप्त रहते हैं। लास्की ने न्यायपालिका की परिभाषा करते हुये लिखा है – “एक राज्य की न्यायपालिका, अधिकाकारियों के ऐसे समूह के रूप में परिभाषित की जा सकती है, जिनका कार्य राज्य के किसी कानून विशेष के उल्लंघन या तोड़ने संबंधी शिकायत जो विभिन्न लोगों के बीच या नागरिकों व राज्य के बीच एक-दूसरे के विरुद्ध होती है, का समाधान व फैसला करना है। इस तरह न्यायपालिका, न्यायिक प्रक्रिया न्यायाधीशों के द्वारा मुकदमों का निर्णय करने की मानसिक प्रविधि को कहा जाता है। यह व्यवस्थित कानूनी लड़ाई के लिये की गयी व्यवस्था के अन्तर्गत जांच करने का तरीका है। इस तरह न्यायपालिका, न्यायिक प्रक्रिया की संरचित व्यवस्था के रूप में समाज के स्थापित कानून को लेकर उठने वाले विवादों का समाधान करने का संस्थागत यंत्र है।

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