वाणिज्य / Commerce

विकास बैंकिंग, व्यापारिक बैंकिंग एवं विनियोग बैंकिंग में अन्तर कीजिए।

विकास बैंकिंग, व्यापारिक बैंकिंग एवं विनियोग बैंकिंग में अन्तर
विकास बैंकिंग, व्यापारिक बैंकिंग एवं विनियोग बैंकिंग में अन्तर

विकास बैंकिंग, व्यापारिक बैंकिंग एवं विनियोग बैंकिंग में अन्तर

विकास बैंकिंग, व्यापारिक बैंकिंग तथा विनियोग बैंकिंग में अन्तर (Development Banking Distinguished From Commercial and Investment Banking)— विकास बैंकिंग, व्यापारिक बैंकिंग और विनियोग बैंकिंग में निम्नलिखित अन्तर है-

अन्तर विकास बैंक व्यापारिक का विनियोग बैंक
उद्भव इन बैंकों का उद्भव अन्तराल पूरकों (Gap Fillers) के रूप में हुआ है। जब औद्योगिक संस्थाओं को विशिष्ट सामान्य स्त्रोत से वित्त की पूर्ति नहीं होती है तो विकास बैंको की स्थापना कर इस कमी को पूरा किया जाता है।

इन बैंकों का प्रादुर्भाव प्रमुख रूप से बिखरी हुई बचती को संग्रह करके लाभप्रद विनियोजन के लिए किया गया है।

ऋण की प्रकृति औद्योगिक उपक्रमियों को मध्यम व दीर्घकालीन ऋण उपलब्ध कराते है। व्यवसायियों को अल्पकालीन ऋण ही उपलब्ध कराते है।
वित्त प्रबन्धन की विधि ये बैंक कम्पनियों से अंश खरीदकर उनके ऋण-पत्रों का रूप अथवा अंशो से ऋण-पत्रों के अभिगोपन द्वारा वित्तीय व्यवस्था करते हैं। व्यपारिक बैंक ऋण देने वाले को ऋण की पूरी राशि नकद में नही देते बल्कि ग्राहक के खाते में जमा कर देते है और उन्हें आवश्यकतानुसार बैंक से रुपये निकालने का अधिकार दे रखे देते है।
ऋण के उद्देश्य ये बैंक वास्तव में स्थिर सम्पत्तियों में वास्तविक विनियोग के लिए वित्त उपलब्ध कराते हैं।

ये बैंक चालू पूँजी की पूर्ति के लिए। धन उपलब्ध कराते हैं और इनका मुख्य उद्देश्य बैंक की तरलता बनाये रखना होता है।

वित्त के स्त्रोत चूँकि ये बैंक सरकार द्वारा प्रायोजित होते इसलिए इन्हें अधिकांश वित्त सरकार, केन्द्रीय बैंक और सार्वजनिक संस्थाओं से मिलता है। इनका बचतों के एकत्रीकरण से कोई सम्बन्ध नहीं होता| इनका प्रमुख वित्त का स्रोत बचतें ही है जिन्हें ये एकत्र करके उत्पादक कार्यों में लगाते हैं।
कौशल निर्माण ये बैंक कौशल निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये यह कार्य नहीं करते हैं।

सामाजिक लाभ

इन बैंकों का दृष्टिकोण विकासोन्मुख होता है। अतः इनकी स्थापना लाभ कमाने के लिए नहीं बल्कि राष्ट्र के औद्योगिक लक्ष्यों और योजना की प्राथमिकताओं के अनु रूप कार्य करना होता है। इनका दृष्टिकोण सेवा द्वारा लाभ कमाना होता है।
विदेशी मुद्रा का अर्जन ये बैंक बहुमूल्य विदेशी मुद्रा का अर्जन करते है और औद्योगिक संस्थाओं द्वारा विदेशी कम्पनियों से प्राप्त किये गये, ऋणों की गारण्टी देते हैं। इन बैंक का विदेशी मुद्रा के अर्जन और विदेशी ऋणों की गारण्टी की भूमिका नगण्य है।
उपक्रमियों का विकास ये बैंक देश में उद्यमशीता के विकास में सक्रिय भूमिका का निर्माण कर रहे हैं। ये यह कार्य नहीं करते हैं।
तकनीकी सहायता ये उद्योग के विकास एवं विस्तार के लिए उनके प्रवर्तन व प्रबन्ध में सहयोग देते हैं। साथ ही आवश्यकता पड़ने पर तकनीकी एवं वित्तीय परामर्श भी देते हैं। यद्यपि ये बैंक भी औद्योगिक परियोजनाओं के प्रवर्तन के लिए कार्य करते हैं परन्तु इनका क्षेत्र व दृष्टिकोण संकुचित है।
समन्वयात्मक कार्य विकास बैंक एक सर्वोच्च संस्था के रूप में औद्योगिक वित्त से सम्बन्धित विभिन्न विशिष्ट वित्तीय संस्थाओं में समन्वय स्थापित करता है, ताकि सभी संस्थाएँ मिलकर समान उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कार्य कर सकें।

इनकी इस प्रकार की कोई भूमिका नहीं है।

नव- प्रवर्तन कार्य

विकास बैक नव-प्रवर्तन के रूप में विभिन्न कार्य करते हैं, जैसे- नई-नई आकर्षक और उत्पादक बचत और  विनियोग योजनाओं का निर्माण, आर्थिक विकास की नवीन संस्थाओं का सृजन आदि।

इन बैंकों में प्रायः नव-प्रवर्तन कार्यों का अभाव है।

पूँजी बाजार का निर्माण ये बैंक पूँजी बाजार को प्रोत्साहन देने और उनमें स्वस्थ परम्पराओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये इस तरह के कार्य नहीं करते।

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