वाणिज्य पत्र बाजार | Commercial Paper Market in Hindi
वाणिज्य पत्र बाजार (Commercial Paper Market)- वाणिज्य पत्र भी ट्रेजरी बिलो की भाँति वित्तीय प्रपत्र हैं। ये असुरक्षित (Unsecured), विनिमय साध्य (Negotiable), अल्पकालिक प्रतिज्ञा पत्र होते हैं जिसकी एक निश्चित परिपक्वता तिथि होती है।
वाणिज्य पत्र, बैंकों से उधार लेने के बजाय सीधे बाजार से अल्पकालीन चल पूँजी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ख्याति प्राप्त कम्पनियों द्वारा जारी किये जाते हैं। CP उधार लेने वाली कम्पनी द्वारा किसी निश्चित तिथि को ऋण चुकाने का वचन होता है जो सामान्यतः 3 महीने से 6 महीने की अवधि के लिए होता है।
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यह उपकरण अमेरिका, इंग्लैण्ड, जापान, ऑस्ट्रेलिया और कई अन्य देशों में काफी लोकप्रिय है। भारत में वधुल समिति की सिफारिशों पर BRi ने 27 मार्च, 1989 को घोषित •साख नीति में वित्तीय सुधारों के कार्यक्रम के अन्तर्गत जमा प्रमाण पत्रों के साथ ही वाणिज्य पत्र जारी करने की अनुमति दी। अतः भारत में इसकी शुरुआत जनवरी, 1990 से हुई।
वाणिज्य पत्र की विशेषताएँ (Features of a commercial Paper)
1. यह उच्च मूल्य वाले निगम द्वारा जारी किये गये अल्पकालिक जमानत-रहित वायदा पत्र होते हैं। ये निवेशकर्ताओं को सीधे ही जारी किये जाते हैं और उपलब्ध संसाधनों से व्यापारिक क्रियाओं का वित्तीयन किया जाता है।
2. वाणिज्य पत्र वाणिज्य बिल जैसे अन्य मुद्रा बाजार परिपत्रों से इस रूप में भिन्न होते हैं कि वाणिज्य पत्रों की जिम्मेदारी जारी करने वाले बैंक तक ही सीमित होती है, जबकि अन्य परिपत्रों के लिए जारी करने वाले के साथ ही स्वीकार करने वाले बैंक की जिम्मेदारी होती है।
3. इनका प्रयोग वाणिज्य बैंकों से अनुमत कार्यशील पूँजी की साख की सीमाओं के बदले किया जाता है। वाणिज्य पत्र के जारी करने से निगमों की साख राशि में वृद्धि नहीं होती है।
4. यह अंकित मूल्य से कम मूल्य पर जारी किये जाते हैं। बट्टों का मूल्य बाजार शक्तियों द्वारा निर्धारित किया जाता है।
5. कोई व्यक्ति, बैंक, कम्पनी वित्तीय संस्था, अनिवासी वाणिज्य पत्र में विनियोग कर सकता है।
6. इनकी परिपक्वता अवधि 3 महीने से 6 महीने तक की होती है।
7. वाणिज्य पत्र पर ब्याज दर बाजार निर्धारित (Market Determined) होते हैं।
8. वाणिज्य पत्र का खुले रूप में हस्तान्तरण किया जा सकता है।
9. इनकी अण्डरराइटिंग नहीं की जा सकती और न ही किसी दूसरे बैंकों से स्वीकार्य हो सकता है।
10. भारत में रूपये 1 करोड़ से कम मूल्य के वाणिज्य पत्र जारी नहीं किये जा सकते, जबकि उच्चतम सीमा जारी करने वाली कम्पनी की सकल कार्यशील पूँजी के 75 प्रतिशत के बराबर होती है। यह पत्र 25 लाख के मूल्य या उसके गुणक में जारी किये जा सकते हैं।
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वाणिज्य पत्रों का महत्व (Importance of Commercial Papers)
यद्यपि वाणिज्य पत्र बाजार अन्य बाजारों की तुलना में छोटा है फिर भी अर्थव्यवस्था में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान है जैसा कि निम्नलिखित विवरण से स्पष्ट हो जायेगा ।
(i) कम्पनियों को लाभ- वाणिज्य पत्र के माध्यम से कम ब्याज दर पर ऋण प्राप्त होने के कारण ऋण प्राप्त करने वाली कम्पनियों को लाभ होता है।
(ii) खुले बाजार की प्रतियोगिता – इस बाजार के कारण खुले बाजार में प्रतियोगिता बढ़ गयी है और ऋणियों को भी उनके बैंकों द्वारा कम ब्याज दर पर ऋण प्राप्त होना सम्भव हुआ है।
(iii) उपयोगी बाजार- बैंकों तथा अन्य विनियोजकों को यह बाजर उपयोगी रहा है, क्योंकि बैंक व्यापारिक पत्रों में अपना धन विनियोजित करते हैं जो सुरक्षा व तरलता प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें लाभ भी प्रदान करते हैं।
(iv) सुदृढ़ बैंकिंग व्यवस्था- सुदृढ़ बैंकिंग व्यवस्था की दृष्टि से यह बाजार उपयोगी सिद्ध हुआ है।
(v) साख साधनों का उपयोग- इस बाजार के कारण देश के साख साधनों का अधिक प्रभावपूर्ण उपयोग सम्भव हुआ है जिससे सामान्य जनता को लाभ हुआ है।
(vi) उचित दर पर ऋण- उचित दर पर ऋण प्राप्त होने की सुविधा उपलब्ध हुई है और देश के विभिन्न भागों में व्यापारियों के कार्यों को प्रोत्साहन मिला है।
(vii) कोष का उचित आवंटन- वाणिज्य पत्र बाजार के कारण उपलब्ध होने वाले ऋण कोष का पूरे देश में उचित आबंटन सम्भव होता है जिससे ब्याज दर में समानता स्थापित होने में मदद मिलती है।
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